प्रचार खिडकी

सोमवार, 28 सितंबर 2015

हर औरंगजेब को अब मिटा देंगे









आज गाने दे मुझको , गीत मातृवंदना के ,
मुहब्बत के नगमे, फिर कभी तुझको सुना देंगे ||

उठ बढ़ा कदम अपनी हिम्मत और विशवास से 
"वो" रुदाली हैं जो , रो रो के तुझको डरा देंगे ||

उन्हें भरोसा है अपनी काबलियत पर इतना कि ,
मरने देंगे पहले , जी उठने की फिर वो दवा देंगे ||

आग लगाने की उनको आदत नहीं है मगर ,
लेस चिंगारी लबों से, धीरे धीरे उसको हवा देंगे ||

बड़ी मुद्दतों बाद उतारा है बोझ कन्धों से ,
उन्हें अब भी यकीन है ,दौर डोरेमोन का वो फिर चला देंगे ||

मनाने दो मातम , बेताजी का उनको ,
जो रूठे कभी तो , विदेशों में छुट्टी बिता लेंगे ||

गया छुपने छुपाने का वो मौसम कहीं ,
अब तो सुभाष-शास्त्री की फाईलें भी दिखा देंगे ||

उन्हें गुमां हो चला जब मिली जीत का ,
लडे आप ही अपनों में जो , वो गैरों से क्या वफ़ा देंगे ||

सुन पड़ोसी बेगैरत , तू मान भी जा ,
तिनके सी हैसियत तेरी , बाँध पतंगों में किसी दिन उड़ा देंगे ||

जयघोष ये उठा है , चहुँओर से अब ,
तुम रोओ गाओ , हर शोर को अब दबा देंगे ||

निशानियाँ गुलामी की बहुत हैं संभाली हमने ,
नाम लिख कलाम का , हर औरंगजेब को मिटा देंगे ||

मर्ज़ भांपा है ,साठ सालों तक जिन्होंने ,
तैयार रहना , ठीक करने को , वे कडवी दवा देंगे ||

1 टिप्पणी:

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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