tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post1855263856204230479..comments2024-01-05T14:16:17.963+05:30Comments on बिखरे आखर .: आपकी मर्ज़ी , चाहे तो पुस्तकालय बनाएं या कूडाघरअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger14125tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-72769440242511546292010-06-04T00:40:30.516+05:302010-06-04T00:40:30.516+05:30आप नाम के चक्कर में ना जाओ .................सब बढ़...आप नाम के चक्कर में ना जाओ .................सब बढ़िया है .............बस लगे रहो जी !शिवम् मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/07241309587790633372noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-40087450502626123102010-06-03T22:15:01.678+05:302010-06-03T22:15:01.678+05:30अरे आपकी ये रद्दी की टोकरी वह रद्दी है जैसे शहद मध...अरे आपकी ये रद्दी की टोकरी वह रद्दी है जैसे शहद मधुमक्खी का रद्दी है ,लेकिन सारी दुनिया के सेहत के लिए तो बहुत फायदेमंद है ....honesty project democracyhttps://www.blogger.com/profile/02935419766380607042noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-39014578885514966712010-06-03T22:13:25.024+05:302010-06-03T22:13:25.024+05:30बहुत गहरा संदेश छिपा है इस प्रस्तुति में।बहुत गहरा संदेश छिपा है इस प्रस्तुति में।हास्यफुहारhttps://www.blogger.com/profile/14559166253764445534noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-78776670589455695922010-06-03T19:28:08.561+05:302010-06-03T19:28:08.561+05:30अजी यह भी बहुत सुंदर नाम है,कोई दिक्कत नही... आप क...अजी यह भी बहुत सुंदर नाम है,कोई दिक्कत नही... आप के विचार हम पढने आते है, सो सुंदर लगते है ओर वोही आप के ब्लांग को चमकाते है, नाम तो एक पहचान के लिये है ,राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-46235230282765368362010-06-03T19:06:31.391+05:302010-06-03T19:06:31.391+05:30समीर लाल जी सही कह रहे हैं और वैसे भी नाम में क्या...समीर लाल जी सही कह रहे हैं और वैसे भी नाम में क्या रखा है?राजीव तनेजाhttps://www.blogger.com/profile/00683488495609747573noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-71493249602583765412010-06-03T18:55:13.317+05:302010-06-03T18:55:13.317+05:30यदि गुलाब का नाम गुलाब ना रखकर कुछ और रख दें तो क्...यदि गुलाब का नाम गुलाब ना रखकर कुछ और रख दें तो क्या उसकी खुशबू बदल जायेगी?Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/09998235662017055457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-66242340320793467472010-06-03T18:42:13.898+05:302010-06-03T18:42:13.898+05:30गारबेज बैग में गारबेज भर दो, तो गारबेज और नोटों की...गारबेज बैग में गारबेज भर दो, तो गारबेज और नोटों की गड्डी रख लो, तो सेफ मनी बैग...<br /><br /><br />ये रद्दी की टोकरी तो नोटों से भरी है सर जी. हमें तो यही चाहिये. हा हा!<br /><br />झा जी का व्यक्तित्व आज कल ज्यादा चिन्तनशील हुआ जा रहा है. :)Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-85481587076263493672010-06-03T18:22:15.993+05:302010-06-03T18:22:15.993+05:30टोकरी रद्दी की हो या फूल सजी, मैटर डिपेंड करता है
...टोकरी रद्दी की हो या फूल सजी, मैटर डिपेंड करता है<br />नाम में क्या रखा है आपकी रद्दी की टोकरी को हम तो खंगालते रहते हैंM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-47259178461509074792010-06-03T18:03:34.187+05:302010-06-03T18:03:34.187+05:30आजकल कुछ चिट्ठाकार अपने चिट्ठे को वाकई इस रूप में ...आजकल कुछ चिट्ठाकार अपने चिट्ठे को वाकई इस रूप में खुले छोडे हुए हैं जैसे कि सरकार मेनहोल के ढक्कन खुले छोड देती है । कि आओ और उडेल दो अपना सब कुछ।<br /><br />यह गंद भी उनकी ही होती है जो जानबुझकर खुला छोड़ते हैं, लोग समझे की गंद दुसरा डाल गया।ब्लॉ.ललित शर्माhttps://www.blogger.com/profile/09784276654633707541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-4618947296375919682010-06-03T17:55:50.513+05:302010-06-03T17:55:50.513+05:30सादर !
आपके विचार तो किसी साहित्यकार कि वसीयत कि त...सादर !<br />आपके विचार तो किसी साहित्यकार कि वसीयत कि तरह लग रहे हैं |<br />मैंने कही पढ़ा था कि एक साहित्यकार कि मृत्यु हुयी तो रिश्तेदार बड़े परेसान हुए कि इनका अंतिम संस्कार कैसे होगा | उसके अपने उनके कमरेमें गए तो देखा कि उनकी जीवन भर कि कमाई उनकी साहित्य को उन्होंने सजों कर रखा है, जिससे पूरा कमरा कागजों से भरा था | रिश्तेदारों को बड़ी राहत मिली कि चलो इन्होने अपना इंतजाम खुद ही कर रखा है | <br />माफ़ करें इसे बिनोद के रूप में ही लें | क्योंकि इतनी मौलिक सोच किसी अच्छे साहित्यकार कि ही हो सकती है<br />रत्नेश त्रिपाठीaaryahttps://www.blogger.com/profile/08420022724928147307noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-53344221708320442132010-06-03T17:52:07.865+05:302010-06-03T17:52:07.865+05:30रद्दी की टोकरी ही सही, अब तो ये नाम प्रतिष्ठा पा ग...रद्दी की टोकरी ही सही, अब तो ये नाम प्रतिष्ठा पा गया है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-47966377359266515372010-06-03T17:25:00.816+05:302010-06-03T17:25:00.816+05:30अब नाम तो जो भी चाहे आप रखें....बस लिखते इसी तरह ...अब नाम तो जो भी चाहे आप रखें....बस लिखते इसी तरह रहिये...संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-81142816279282294022010-06-03T17:10:27.120+05:302010-06-03T17:10:27.120+05:30good ideagood ideaमाधव( Madhav)https://www.blogger.com/profile/07993697625251806552noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-87333315835711106412010-06-03T16:55:36.816+05:302010-06-03T16:55:36.816+05:30दिव्या जी की बात में दम हैं ..इसका मतलब यह नहीं की...दिव्या जी की बात में दम हैं ..इसका मतलब यह नहीं की आपकी बेदम हैं :) !Arvind Mishrahttps://www.blogger.com/profile/02231261732951391013noreply@blogger.com