tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post6031412524008021169..comments2024-01-05T14:16:17.963+05:30Comments on बिखरे आखर .: कुछ पंक्तियाँ .......बस और क्याअजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-74634095724128737292010-01-13T17:16:13.559+05:302010-01-13T17:16:13.559+05:30वाह बहुत सटीक अभिव्यक्ति है शुभकामनायेंवाह बहुत सटीक अभिव्यक्ति है शुभकामनायेंसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-61728195240982514322010-01-05T21:59:19.435+05:302010-01-05T21:59:19.435+05:30बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों ...बहुत खूब .जाने क्या क्या कह डाला इन चंद पंक्तियों मेंसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-11193491086468107952009-12-19T10:11:36.477+05:302009-12-19T10:11:36.477+05:30बेशक उस गरीब के,
पास खाली झोली,
और याचक आखें हैं,
...बेशक उस गरीब के,<br />पास खाली झोली,<br />और याचक आखें हैं,<br />मगर मंदिर में जाने का,<br />पहला हक तुम्हारा है,<br />तुम्हारी पूजा का थाल अच्छा है ॥<br /><br />दोनों ही कवितायें बहुत सुन्दर लगीं।पूनम श्रीवास्तवhttps://www.blogger.com/profile/09864127183201263925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-29187447543058637102009-12-17T23:44:14.635+05:302009-12-17T23:44:14.635+05:30बहुत बढिया रचना.....एक दम सार्थकबहुत बढिया रचना.....एक दम सार्थकपरमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-25818543953324216532009-12-17T22:28:39.615+05:302009-12-17T22:28:39.615+05:30बड़ी सार्थक बातें..रचना के माध्यम से.
बडे भारी उप...बड़ी सार्थक बातें..रचना के माध्यम से.<br /><br /><br />बडे भारी उपहारों से लदे-फ़दे<br />और मुस्कान नकली सी ओढे ओढे,<br />उन अपनों के बीच, साथ फ़ाकाकशी करने वाला,<br />कोई मेहमान तलाशा जाए॥<br /><br />-बहुत बढ़िया!!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-13459967887680366132009-12-17T20:40:13.265+05:302009-12-17T20:40:13.265+05:30बढ़िया, अच्छा और मस्त..बढ़िया, अच्छा और मस्त..prabhat gopalhttps://www.blogger.com/profile/04696566469140492610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-28061988918694817732009-12-17T19:55:33.335+05:302009-12-17T19:55:33.335+05:30आपके ब्लाग पर पहली बार आया, तबियत मस्त हो गई..
सीध...आपके ब्लाग पर पहली बार आया, तबियत मस्त हो गई..<br />सीधे-सरल शब्दों में गंभीर कटाक्ष यही व्यंग्य लेखन की विशेषता है<br />खासकर इन पंक्तियों ने मन मोह लिया-<br />बेशक उस गरीब के,<br />पास खाली झोली,<br />और याचक आखें हैं,<br />मगर मंदिर में जाने का,<br />पहला हक तुम्हारा है,<br />तुम्हारी पूजा का थाल अच्छा है ॥<br />--और फिर कभीदेवेन्द्र पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/07466843806711544757noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-72818615831118303532009-12-17T18:55:26.878+05:302009-12-17T18:55:26.878+05:30नहीं पता, हां ये तो नहीं पता,
कि आज भरेगा ,
मजदूर ...नहीं पता, हां ये तो नहीं पता,<br />कि आज भरेगा ,<br />मजदूर का पेट,<br />या कि किसी ,<br />गरीब के घर,<br />पहुचेगा खुशियो का पैकेट,<br />ये हो न हो, मगर,<br />बाजार में उछाल अच्छा है॥<br />वाह बहुत सटीक अभिव्यक्ति है शुभकामनायेंनिर्मला कपिलाhttps://www.blogger.com/profile/11155122415530356473noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-29978983747886312802009-12-17T18:44:16.832+05:302009-12-17T18:44:16.832+05:30dono hi rachnayein alag alag sandesh deti huyi.......dono hi rachnayein alag alag sandesh deti huyi.........bahut hi sundar.vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-83514590087900165952009-12-17T17:29:50.588+05:302009-12-17T17:29:50.588+05:30दोनों रचनाएँ बहुत महत्व की हैं। दोनों विषमता के वि...दोनों रचनाएँ बहुत महत्व की हैं। दोनों विषमता के विरुद्ध कविताएँ हैं और शिल्प भी अनूठा है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-11529433639008889772009-12-17T17:12:19.430+05:302009-12-17T17:12:19.430+05:30तुम्हारी पूजा का थाल अच्छा है ॥
बेहतरीनतुम्हारी पूजा का थाल अच्छा है ॥<br />बेहतरीनM VERMAhttps://www.blogger.com/profile/10122855925525653850noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-52415682800792627782009-12-17T14:57:56.052+05:302009-12-17T14:57:56.052+05:30कविता तो सुन्दर है झा साहब मगर खुशदीप भाई की दी ...कविता तो सुन्दर है झा साहब मगर खुशदीप भाई की दी हुई तस्सली के जबाब में बस यही कहूंगा " अब अँधेरे में सफ़र करने की आदत डालो, इस सबेगम का सबेरा नहीं होने वाला "पी.सी.गोदियाल "परचेत"https://www.blogger.com/profile/15753852775337097760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-17063865812889515312009-12-17T13:47:53.321+05:302009-12-17T13:47:53.321+05:30बहुत सुन्दर रचनायें ।बहुत सुन्दर रचनायें ।Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-65150515988611441422009-12-17T13:19:24.134+05:302009-12-17T13:19:24.134+05:30उन अपनों के बीच, साथ फ़ाकाकशी करने वाला,
कोई मेहमान...उन अपनों के बीच, साथ फ़ाकाकशी करने वाला,<br />कोई मेहमान तलाशा जाए॥<br />कविता की व्याप्ति इतनी बड़ी हो कि वे जन समान्य को समेट सकें । यह काम आपकी कविता बखूबी करती है ।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-82031159590045660522009-12-17T13:10:14.907+05:302009-12-17T13:10:14.907+05:30कभी सुख,कभी दुख
यही ज़िंदगी है,
ये पतझड़ का मौसम
घ...कभी सुख,कभी दुख<br />यही ज़िंदगी है,<br />ये पतझड़ का मौसम<br />घड़ी दो घड़ी है,<br />नए फूल कल फिर<br />डगर में खिलेंगे,<br />उदासी भरे दिन<br />कभी तो हटेंगे...<br /><br />जय हिंद...Khushdeep Sehgalhttps://www.blogger.com/profile/14584664575155747243noreply@blogger.com