tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post8199293965953815839..comments2024-01-05T14:16:17.963+05:30Comments on बिखरे आखर .: नहीं मुझे कोई शिकायत नहीं , न देश से न उसकी आजादी से ..अजय कुमार झाhttp://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-50660697687229460152009-08-16T12:48:03.036+05:302009-08-16T12:48:03.036+05:30आप सबके मत और विचारों का आदर करता हूँ....और द्विवे...आप सबके मत और विचारों का आदर करता हूँ....और द्विवेदी जी ..आप जिन संवैधानिक व्यवस्थाओं की बात कर रहे हैं ..वे तो निश्चित ही एक कोढ़ का रूप ले चुके हैं आज...मगर मेरा कहने का तात्पर्य सिर्फ इतना था की ..पहले हमें खुद को ....सिर्फ खुद को समर्थ, विचारवान. जिम्मेदार होने, बनने की जरूरत है ..और जिसकी मुझे आज बहुत ही कमी दिखाई देती है ..और अन्य हालातों , स्थितियों पर तो मैं आप सबसे ...मैं क्या सभी एक स्वर में सहमत होंगे ही...आभारअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-87685541994409766682009-08-16T02:29:29.012+05:302009-08-16T02:29:29.012+05:30बहुत ही तीक्ष्ण दृष्टीकोण. क्या वाकयी हम पूरी तरह ...बहुत ही तीक्ष्ण दृष्टीकोण. क्या वाकयी हम पूरी तरह आजाद है...?<br /><br />कदम आगे बढते तो है...पर दो कदम पीछे क्यों हट जाते है..?. हम सब जान कर भी अन्जान है.Chandan Kumar Jhahttps://www.blogger.com/profile/11389708339225697162noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-15530656307855055682009-08-15T20:44:32.909+05:302009-08-15T20:44:32.909+05:30haan bilkul theek kahaa aapne...magar phir bhi.......haan bilkul theek kahaa aapne...magar phir bhi....<br />क्या हुआ जो मुहँ में घास है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो चोरों के सर पर ताज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो गरीबों के हिस्से में कोढ़ ओर खाज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो अब हमें देशद्रोहियों पर नाज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो सोने के दामों में बिक रहा अनाज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो आधे देश में आतंकवादियों का राज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या जो कदम-कदम पे स्त्री की लुट रही लाज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो हर आम आदमी हो रहा बर्बाद है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो हर शासन से सारी जनता नाराज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />क्या हुआ जो देश के अंजाम का बहुत बुरा आगाज है<br />अरे कम-से-कम देश तो आजाद है.....!!<br />इस लोकतंत्र में हर तरफ से आ रही गालियों की आवाज़ है<br />बस इसी तरह से मेरा यह देश आजाद है....!!!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-6989359645096836422.post-15885885745727781422009-08-15T17:40:02.183+05:302009-08-15T17:40:02.183+05:30निश्चित रूप से आजादी के अपने संघर्ष पर हमें गर्व ह...निश्चित रूप से आजादी के अपने संघर्ष पर हमें गर्व है। आजादी को हासिल करने का भी गर्व है। आजादी के आरंभिक वर्षों में जो योजनाएँ बनीं और जिन की ठोस जमीन पर आज का हिन्दुस्तान खड़ा है उस पर भी हमें नाज है। लेकिन उस के बाद हमारी पीढ़ी से पहले की पीढ़ी और हमारी पीढ़ी ने इस देश को जिस स्थान पर पहुँचा दिया है उस पर शर्म भी हमें आज के दिन महसूस होनी चाहिए। संविधान बनाते हुए हम ने जो लक्ष्य निर्धारित किए थे वे कहाँ हैं। एक सिर्फ एक बात स्मरण कराना चाहता हूँ कि आरक्षण जो केवल कुछ वर्षों के लिए एक व्यवस्था थी उसे हम साठ वर्ष तक खींच गए हैं और दस वर्ष के लिए हम ने उसे बढ़ा दिया है। जातियों के बीच जो ऊँच-नीच है उसे समाप्त करने से हम कितनी दूर हैं? हमें सोचना चाहिए कि क्या अगले दस वर्ष बाद इस जातिगत आरक्षण से क्या मुक्ति पायी जा सकती है। यदि हाँ तो उस के क्या उपाय हो सकते हैं।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.com