प्रचार खिडकी

मंगलवार, 29 अप्रैल 2008

लो जी हो गया चीर हरण ( चीयर गल्स प्रकरण )

उस दिन हमारे मित्र बल्ले सिंग बिल्कुल हत्थे से उखड़े उखड़े लग रहे थे।

अमा, क्या हुआ, अब तो तुम्हारा लीग भी पोपुलर हो गया , इतना नाम तो आज़ादी की लड़ाई में मुस्लिम लीग का भी नहीं हुआ था जितना की तुम्हारी इस लीग का हो रहा है , फ़िर ये फटीचर बल्ले की तरह शक्ल क्यों बनाए हुए हो ?

अरे छोडो यार, लीग की कोई बात ही मत करो, क्रिकेट का तो चीर हरण कर के रख दिया है, यहाँ तो कुछ लोगों को हमेशा किसी ना किसी से, और किसी भी बात से दिक्कत रहती ही है ।

क्या कह रहे हो यार, मैं समझा नहीं।

अरे वही यार चीर गर्ल्स के नृत्य संगीत पर पाबंदी लगा रहे हैं। दरअसल बल्ले सिंग जी चीयर गर्ल्स को अपने स्टाईल से हमेशा चीर गर्ल्स ही कहते थे , हालांकि इसके लिए उनके पास कई वाजिब तर्क भी थे ।( आप भी सुनिए, पहला ये की एक तो वे कपड़े चीर चीर कर पहनती हैं। टाँगें चीर चीर कर नाचती हैं, और जब भी नाचती हैं सबका कलेजा चीर कर रख देती हैं।). अब तुम्ही बताओ बेचारी उन अबलाओं के पेट पर लात मार कर क्या मिलेगा किसी को , फ़िर ये उनका ये अपमान क्या किस चीर हरार से कम है।

क्या बल्ले सिंग , तुम भी यार कमाल ही करते हो , अमा उनके पास उतना कपडा ही कहाँ होता की कोई चीर हरण की हिमाकत कर सके। और इसी वज़ह से तो उन पर प्रतिबंद लगाया जा रहा है ।

अच्छा , ये क्या बात हुई भाई, एक बात बताओ जब कोई कसरत करने जायेगा, जब कोई खेल के मैदान में उतरेगा तो जाहिर सी बात है की कम कपडों में उतरेगा ताकि उछलने कूदने और भागने दौड़ने में कोई कठिनाई ना हो , ठीक ऐसे ही उन बेचारी चीर गर्ल्स को भी करना पड़ रहा है। और सबसे जरूरी बात , जब खेल में सरे आम एक खिलाड़ी दूसरे को पीट रहा है, गाली गलौज चल रहा है तो कम से कम उस हिंसा से तो यही ठीक है न, की नृत्य का आनंद लिया जाए। यार बहुत अफ़सोस होता है आज भी अपने यहाँ महिलाओं के साथ कितना भेदभाव हो रहा है।

मैं बल्ले सिंग के तर्क पर शोध और मंथन कर रहा हूँ आप भी करें.

2 टिप्‍पणियां:

  1. ऐसा लगता है जो लोग इन चेयार्स गर्ल पे ज्यादा हल्ला मचा रहे है ...वही क्रिकेट न देखकर बस इन्हे ही देखने मे लगे राहते है.....

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  2. bilkul sahee farmaayaa sir aapne apne yahan kee yahee to khaasiyat hai, kambakht aisee aisee cheezein dekhte hain jo aur koi nahin dekh paataa.

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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