
ब्लॉगवाणी के बंद होने के बाद कुछ दिनों तक अफ़रातफ़री का माहौल रहा ....इसके कुछ दिनों बात थक हार कर फ़िर से अटकलों / अफ़वाहों का दौर चला । अब उस समय को बीते काफ़ी समय हो चुका है और यदि लोग ब्लॉगवाणी को नहीं भी भूल सके हैं ( जबकि मुझे विश्वास है कि एक हिंदी ब्लॉगर शायद ही कभी एक एग्रीगेटर के रूप में ब्लॉगवाणी की सेवा को भूल सके ) तो कम से कम उसके लिए मायूस हताश नहीं दिखते । मगर इन सबके बावजूद अक्सर ब्लॉगर्स और पाठकों की एक शिकायत गाहे बेगाहे सुनने को मिल ही जा रही है कि पाठक कम हो गए हैं ..या कम से कम टिप्पणियों के आने पर अंतर पडा है । और कम से कम मेरे से ये दलील आसानी से गले नहीं उतारी जाती कि टिप्पणी का कोई फ़र्क नहीं पडता । पडता तो है जनाब ....क्या और कितना ये तो सबके अपने अपने पैमाने हैं ।

इधर हालफ़िलहाल ..कई नए मित्र एग्रीगेटर्स भी आ गए हैं । हमारीवाणी , इंडली , और ब्लॉगप्रहरी जो नए रूप में सामने आया है । इनके अलावा ढेर सारे निजि और सार्वजनिक फ़ीड एग्रीगेटर्स भी हैं जो अपनी सेवा दे रहे हैं । मगर इन सबके बावजूद एक एग्रीगेटर की कमी तो जरूर खल रही है ..और यकीनन बेहद खल रही है । एक एग्रीगेटर जो ब्लॉगवाणी की तरह तेज़ हो ..ढेर सारी पोस्ट फ़ीड को पहले ही पन्ने पर समेटे हुए हो । फ़िर चाहे अपनी तमाम खूबियों कमियों को वो रखे या हटाए ।
हालांकि वर्तमान में चिट्ठाजगत ही सबका इकलौता प्रिय एग्रीगेटर है और उसकी कई अनोखे और विशिष्ट सुविधाएं हैं मगर कभी कभी ये धीमा लगता है और ऐसा भी महसूस होता है कि इसके कलेवर में भी थोडा बहुत बदलाव किया जाना चाहिए मसलन उसकी कई सूचियां अभी भी अद्यतित नहीं हैं या काफ़ी पुरानी हैं । तो आपको क्या लगता है कि क्या ये कमी मुझे ही महसूस हो रही है या आप सबको भी ..........

मुझे तो इंतज़ार है एक ऐसे ही मनपसंद एग्रीगेटर का .....और आपको ???????