ब्लॉगवाणी के बंद होने के बाद कुछ दिनों तक अफ़रातफ़री का माहौल रहा ....इसके कुछ दिनों बात थक हार कर फ़िर से अटकलों / अफ़वाहों का दौर चला । अब उस समय को बीते काफ़ी समय हो चुका है और यदि लोग ब्लॉगवाणी को नहीं भी भूल सके हैं ( जबकि मुझे विश्वास है कि एक हिंदी ब्लॉगर शायद ही कभी एक एग्रीगेटर के रूप में ब्लॉगवाणी की सेवा को भूल सके ) तो कम से कम उसके लिए मायूस हताश नहीं दिखते । मगर इन सबके बावजूद अक्सर ब्लॉगर्स और पाठकों की एक शिकायत गाहे बेगाहे सुनने को मिल ही जा रही है कि पाठक कम हो गए हैं ..या कम से कम टिप्पणियों के आने पर अंतर पडा है । और कम से कम मेरे से ये दलील आसानी से गले नहीं उतारी जाती कि टिप्पणी का कोई फ़र्क नहीं पडता । पडता तो है जनाब ....क्या और कितना ये तो सबके अपने अपने पैमाने हैं ।इधर हालफ़िलहाल ..कई नए मित्र एग्रीगेटर्स भी आ गए हैं । हमारीवाणी , इंडली , और ब्लॉगप्रहरी जो नए रूप में सामने आया है । इनके अलावा ढेर सारे निजि और सार्वजनिक फ़ीड एग्रीगेटर्स भी हैं जो अपनी सेवा दे रहे हैं । मगर इन सबके बावजूद एक एग्रीगेटर की कमी तो जरूर खल रही है ..और यकीनन बेहद खल रही है । एक एग्रीगेटर जो ब्लॉगवाणी की तरह तेज़ हो ..ढेर सारी पोस्ट फ़ीड को पहले ही पन्ने पर समेटे हुए हो । फ़िर चाहे अपनी तमाम खूबियों कमियों को वो रखे या हटाए ।हालांकि वर्तमान में चिट्ठाजगत ही सबका इकलौता प्रिय एग्रीगेटर है और उसकी कई अनोखे और विशिष्ट सुविधाएं हैं मगर कभी कभी ये धीमा लगता है और ऐसा भी महसूस होता है कि इसके कलेवर में भी थोडा बहुत बदलाव किया जाना चाहिए मसलन उसकी कई सूचियां अभी भी अद्यतित नहीं हैं या काफ़ी पुरानी हैं । तो आपको क्या लगता है कि क्या ये कमी मुझे ही महसूस हो रही है या आप सबको भी ..........
प्रचार खिडकी
शुक्रवार, 22 अक्तूबर 2010
क्या ब्लॉगजगत को वाकई एक एग्रीगेटर की कमी खल रही है ..????
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
ये भी कोई पूछने वाली बात है .. किसी एग्रीगेटर में सारे ब्लॉगर पंजीकृत हो तो शायद समस्या कम हो .. अभी तो ब्लॉग प्रहरी भी एक अच्छा विकल्प है .. पर बहुतों को तो इसकी जानकारी भी नहीं!!
जवाब देंहटाएंवाकई कमी खल रही है ....
जवाब देंहटाएंये भी कोई पूछने वाली बात है
जवाब देंहटाएंब्लौवानी के जाने के फ़ौरन बाद से मेरे ब्लौगों में पाठकों की कुछ गिरावट आई थी जो अब संभल गयी है. वैसे भी मेरे ब्लौग में जायदातर पाठक सर्च करके आते हैं इसलिए फिलहाल कोई कमी खलने जैसी बात नहीं. हमारीवानी और अप्नीवानी बहुत कमज़ोर हैं और उनमें ब्लौग दर्ज कराना ज़रूरी नहीं समझता.
जवाब देंहटाएंऔर मैं तो वर्डप्रेस का मुरीद हूँ जिसे ज्यादातर एग्रीगेटर बेहतर सपोर्ट नहीं देते.
इंतज़ार और अभी... और अभी
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
आप सही कह रहे हैं, पर मुझे लगता है कि जल्द ही कुछ समाधान निकलेगा...
आप सुन तो रहे हैं न आदरणीय पाबला जी!
...
वाकई बहुत फर्क पढ़ा है ....यह पूर तरह सही है कि इतने सारे एग्रीगेटर्स होने के बाद भी कोई ब्लोगवाणी जैसा नहीं है अब तक तो ....शायद अभी और समय लगेगा .
जवाब देंहटाएंशुभकामनायें - जल्दी से स्टार्ट करो ...मैंने आपका नया लिंक देखा !
जवाब देंहटाएंआप सही कह रहे है |
जवाब देंहटाएंब्लॉग अग्रीगेटर तो बहुत आ गए पर ब्लोगवाणी की कमी अभी भी खल ही रही है , नए आये एग्रीगेटर्स पर जाने का मन ही नहीं करता |
काम तो चल रहा है चिट्ठाजगत से मगर नया बेहतर सुविधाओं के साथ आये, तो उसका भी स्वागत है. एग्रीगेटर भी आदत का हिस्सा बन जाते हैं.
जवाब देंहटाएं@ प्रवीण शाह
जवाब देंहटाएंआपकी आवाज़ अभी तक सुन नहीं पाया हूँ :-)
मुझे तो सब से अधिक इन्तजार है। चिट्ठा जग्त बेशक अच्छा है मगर धीमा है। ब्लअगप्रहरी देखते हैं अभी देखा नही। धन्यवाद।
जवाब देंहटाएंअजय भाई, जाने वाले की कमी कुछ दिन तक तो खलती ही है।
जवाब देंहटाएं..............
यौन शोषण : सिर्फ पुरूष दोषी?
क्या मल्लिका शेरावत की 'हिस्स' पर रोक लगनी चाहिए?
मुझे आये ज्यादा समय नहीं हुआ था जब ब्लोगवाणी बंद हुआ पर मुझे भी चिटठा जगत में वो मजा नहीं आता है जो उसमे था और अपने तो नहीं पर दुसरो की पोस्ट पर पाठको और टिप्पणियों का फर्क दिखता है | और हा अब चिटठा जगत पर कोई सवाल खड़ा मत कीजिये कही ये बंद हो गया तो हम जैसे ब्लोगरो को जिन्हें ज्यादा लोग नहीं जानते है उन्हें एक भी पाठक नहीं मिलेंगे | बावला jiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii मै सुनाई दे रही हु |
जवाब देंहटाएं@ anshumala
जवाब देंहटाएंबावला ji iiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiii मै सुनाई दे रही हु|
हा हा हा
इतना बावला नहीं हुआ हूँ अभी तक
कि
ऐसी पुकार लगाई जाए!!
मुझे पाबला ही रहने दें। हा हा हा
अंशुमाला जी ,
जवाब देंहटाएंयहां किसी भी एग्रीगेटर पर कोई सवाल खडा नहीं किया जा रहा है गौर से देखिए मैंने भी यही कहा है कि आज की तारीख में यही सबसे लोकप्रिय एग्रीगेटर है ...बावजूद इसके कि इसकी कई सूचियां अद्यत्तित नहीं हैं ..और इसे कोई भी आसानी से समझ सकता है । और मैं कह ही चुका हूं कि मुझे तो किसी नए एग्रीगेटर का इंतज़ार जरूर है ..अन्य पाठक भी अपना मत रख ही चुके हैं ???। टिप्पणी के लिए शुक्रिया
लेकिन ब्लॉगवाणी की अपनी कुछ विशेष्तायें तो थी । और सबसे बडी बात उसकी एक आदत सी हो गई थी । अब इस आदत के बदलने मे समय तो लगेगा ही
जवाब देंहटाएं