प्रचार खिडकी

रविवार, 12 फ़रवरी 2012

झपकी भी नींद सरीखी लगती है .......









गूगल सर्च इंजन द्वारा लिया गया चित्र , साभार




छोटी सी झपकी भी नींद बडी लगती है , हाय कि अब तो सपने भी नहीं आते ,
जिंदगी ने दायरा इतना कर दिया छोटा , अपने इस दायरे में कई अपने भी नहीं आते .
 
सुनो , जो अब भी न बोले तो , कल सोचेगा ये कि , आज क्यूं ,हम मौन हैं ,
लोकतंतर माने भारत है यदि , और जो हमारे हैं ये प्रतिनिधि तो फ़िर हम कौन हैं
 
तुम्हारे गीतों वो खुमारी कहां है , और बोलो में वो नशा कहां है ,
जाओ ये फ़ैसला तुम्हीं पर छोडा , बता दो , दर्द कहां और दवा कहां है ..
 
तुम देखना कोई न कोई यूं बयान ये भी कर जाएगा ,
अब कोई फ़ांसी नहीं होगी , आएगा जब महाप्रलय , कसाब खुद मर जाएगा 
 
इस देस का लोकतंतर , ससुरा हो गया रंगीला ,
माननीय लोग सदन में देख रहे सिलेमा नीला
 
जल की कमी पर सरकार ने चेताया ,
आ टोटल नदी सबको कूडाघर बनाया 
 
ये जो अब रातों को नींद नहीं आती ,कसूर ये सारा हालात का है ,
आधा दिन कटता नौकरी आधा चाकरी में , वक्त अपने पास बस रात का 
 
यूं न समझना कि रातों में भी हम खामोश बैठे हैं ,
चेत जाएं वो , जो हमारे से होकर भी कुछ ज्यादा ऐठे हैं
 
खुर्शीद बाबू चुनाव आयोग के दोषी दिए गए करार ,
इलेकसन का मौसम है , अबे समझा करो कुछ यार ....
 
दिल्ली में ठंड ने पिछले तीस साल का रिकॉर्ड तोडा ,
चल तू भी जोर आजमा , गरीब को हाय , किसी ने न छोडा ..
 
प्रनब दादा बोले हैं , अभी मुश्किलों से पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है देस ,
एकदम्मे ठीक , विश्व के नक्शे से ही बाहर कर दो ,इत्ते लगाओ इसको ठेस
 
राहुल पीएम पद के लिए नहीं हैं लालायित, पिरयंका गांधी फ़रमाई हैं ,
आयं , अबे तो फ़िर काहे के लिए , फ़ुल फ़ैमिली विद मम्मी मैदान में आई हैं ,

चलते चलते एक खुशखबरी भी दे दें आपको

दो दीवाने शहर में , ढूंढते थे एक आशियाना ,
बसेरा हो गया आखिर ,मिल गया अपना ठिकाना

मुद्दतों बाद जाकर , हम भी एक स्थाई पते वाले हो गए जी ........
 
और फ़िर हाल कुछ ऐसा हुआ कि ,

पिछले एक हफ़्ते से घर को बसाने सजाने में गज्ज्ब बैंड बजा है ,
मगर सच मानिए , अपने घर में खटने खटाने का अपना ही मजा है ,

और हम ले भी रहे हैं भरपूर ..आहिस्ता आहिस्ता

18 टिप्‍पणियां:

  1. जिंदगी ने दायरा इतना कर दिया छोटा , अपने इस दायरे में कई अपने भी नहीं आते

    ...................................................................................................................... से

    मगर सच मानिए , अपने घर में खटने खटाने का अपना ही मजा है ,तक में

    आहिस्ता आहिस्ता आपने सब समेट दिया है..... !! वाह..... ! अंदाज निराला है.... :)

    जवाब देंहटाएं
  2. कल 13/02/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
    धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं
  3. मुद्दतों बाद जाकर , हम भी एक स्थाई पते वाले हो गए जी
    वाह
    ढेरों बधाइयां.

    जवाब देंहटाएं
  4. हर शेर दमदार।
    बधाई हो आपको, स्‍थाई पता के लिए।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत बढि़या ...बधाई सहित शुभकामनाएं ।

    जवाब देंहटाएं
  6. प्रनब दादा बोले हैं , अभी मुश्किलों से पूरी तरह बाहर नहीं हुआ है देस ,
    एकदम्मे ठीक , विश्व के नक्शे से ही बाहर कर दो ,इत्ते लगाओ इसको ठेस




    राहुल पीएम पद के लिए नहीं हैं लालायित, पिरयंका गांधी फ़रमाई हैं ,
    आयं , अबे तो फ़िर काहे के लिए , फ़ुल फ़ैमिली विद मम्मी मैदान में आई हैं ,


    :):) बहुत बढ़िया ....

    अपने घर का दरवाज़ा खटखटाने के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  7. क्या बात है आपने तो सभी को एक साथ मैदान में लाखड़ा किया :) बहुत बढ़िया नये घर के लिए शुभकामनायें...

    जवाब देंहटाएं
  8. पिछले एक हफ़्ते से घर को बसाने सजाने में गज्ज्ब बैंड बजा है ,
    मगर सच मानिए , अपने घर में खटने खटाने का अपना ही मजा है ,
    ..sach jo sukh chhaji ke chaobare, wah balakh na bukhare...
    bahut badiya prastuti..
    haardik shubhkamnayen!

    जवाब देंहटाएं
  9. waah..
    ek se ek badhkar teer chalaaye hain sirji..
    behtareen :)

    palchhin-aditya.blogspot.in

    जवाब देंहटाएं
  10. वाह बहुत बढिया जी ....
    नए आशियाने की शुभकामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  11. आप सबका बहुत बहुत शुक्रिया और आभार ।

    जवाब देंहटाएं
  12. एक अदद छत की दरकार सबको है। बधाई स्वीकारिए।

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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