प्रचार खिडकी

बुधवार, 2 अप्रैल 2008

लो जी हम वापस आ गए

" लो जी , हम वापस आ गए । " जैसे ही हमारे मुखार्बिंदु से ये खुशी के उदगार निकले कि हमारी तरह ही ख़ुद को परम विद्वान् और धाँसू ब्लागिये मानने वाले मित्र चप्टू जी ने नाक भौं सिकोड़ ली।

अमा चप रहो, तुम क्या गरीब रथ एक्प्रेस हो कि तुम्हारे आने से अयेर्कंदीशन की ठंडक का एहसास हो , या कि बर्ड फ्लू हो जो सरकार और प्रशाशन टीके और इंजेक्शन लेकर तैयार हो जाएं, और फिर तुम बिपाशा बासु के आईटम सोंग वाली कोई पिक्चर भी नहीं हो , तो तुम्हारा आना क्या और जाना क्या बे ।

हमें ताज्जुब तो हुआ ही थोडी सी बेईज्ज़ती सी भी हुई । अरे चुप तुम रहो बोले ही चले जा रहे हो । तुम शायद भूल रहे हो कि तुम्हारे पोस्टों पर, पोस्टों क्या तुम्हारे ब्लॉग पर अजो इकलौती टिप्पणी होती है वो इसी खाकसार की होती है। चलो माना कि तुम्हें हमारी पोस्टों का न सही मगर हमारी तिप्प्न्नियों का तो जरूर इंतज़ार होगा, क्यों।

चप्टू जी फिर बिदक गए। काहे की टिप्पणी बे, रोज़ रोज़ एक ही बात चेप देते हो , कविता लिखूं या कहानी, व्यंग्ये लिखूं या साहित्य तुम्हारी नज़र में सब बराबर हैं। मुझे तो शक होता है कि तुम सिर्फ़ कट और पेस्ट करते हो। कोई बड़ा वरिष्ठ ब्लोगिया या कोई छाट्ठाकारनी मुझे प्रोत्साहित करते तो बात बनती। तुम जैसा bलोगैड़ी यदि कोई तिप्प्न्नी कर भी देता है तो क्या फर्क पड़ता है.

क्या , क्या कहा ब्लोगैडी, ठीक से बताओ , क्या कहना चाह रहे हो . मुझे अच्छे तरह याद है कि ऐसे ही पहली पहली बार तुमने मुझे कहा था कि यार मुबारक हो , सुना है तुम वल्गर बन गए हो बाद में पता चला कि तुम कहना ये चाह रहे थे कि मैं ब्लॉगर बन गया हूँ , सात्यानाश हो तुम्हारी डिक्शनरी का. ये बताओ ये ब्लोगैडी का क्या मतलब.

यार ये कौन सा मुश्किल है जैसे नशे का आदि नशेड़ी होता है वैसे तुम्हारी तरह ब्लॉग का आदि ब्लोगैडी होता है.

अरे छोडो तुम्हें न सही हमारे ब्लॉग जगत के मित्रों को तो जरूर ही इंतज़ार होगा हमारे वापस लौटने का.

हाँ, हाँ , पता है हमें तुम्हारे मित्रों का , आज तक किसी ने कभी पूछा भी है, लिंक देना और लिखना तो दूर रहा, किसी ने पसंद किया है कभी ....

और पता नहीं चप्टू जी क्या क्या बोल कर मुझे चपटा करके चल दिए.
बहरहाल हम अब वापस तो आ ही गए हैं, देखिये आगे क्या होता है ?

3 टिप्‍पणियां:

  1. nahi sahab ,likhte rahe,kuch bhi.....man ka ....yahi to bloging hai.ab aap ise jo bhi nam de..

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  2. लीकते रहीये क्यो की अगर लीखने मे कुछ देर करेंगे तो फीर हम कैसे पढेंगे।
    बहुत गहरी बात बोल जाते हैं आप।

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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