यार पिछले कितने समय से ओलम्पिक उदघाटन का इंतज़ार कर रहे थे। पहले तो सोचा था कि किसी खेल वेळ में नाम लिखवाकर पहुँच जायेंगे मगर पता चला कि गुल्ली डंडा , पतंगबाजी, कंचे, ताश, डंडे से टायर चलने आदि , जिन जिन खेलों में हमने महारथ हासिल की थी उन्हें तो हमारे अलावा कोई देश जानता ही नहीं। बताइये होता तो सारे गोल्ड, सिल्वर आयरन ,स्टील मैडल अपने ही होते न । खैर, जब पक्का हो गया कि नहीं जा पायेंगे तो मन बना लिए घर पर ही उदघाटन समारोह का मजा लेंगे। मगर धत तेरे की।
आप ही बताइये चीन के नाम पर अपने लोगों के दिमाग में क्या आता है - चौमींत, चाऊ चाऊ, और ढेर सारा चाईनीज़ नकली समान। पूरे समारोह के दौरान आँखें फाड़ फाड़ कर चाउमीन देखने के लिए बेताब रहे और बाद में तो हमें यकीन सा होने लगा कि इस चौमें से चीन का कोई लेना देना नहीं है, होता तो क्या ओलम्पिक में न दिखता। मगर हां नकली समान वाली बात तो बिल्कुल ठीक लग रही थी। यार, वहाँ नकली बुश, नकली मुशर्रफ नकली सोनिया और पता नहीं कितने सारे नकली नेता बिठा रखे थे।
सुनने में तो आया है कि बहुत सारे नकली मैडल भी तैयार हुए हैं ताकि हमारे देश तथा उनके जैसे और खिलाडिओं को निराश न होना पड़े। हां, भाई एक बात और जनसंख्या के हिसाब से चीन से हम सिर्फ़ एक नंबर पीछे हैं और ओलम्पिक में हमारा कोई नंबर ही नहीं है। हालाँकि चीन ने भारत पर साजिश रचने का आरोप लगाया है कि भारत ने मात्र ५६ लोगों को ओलम्पिक में भेजा है ताकि बांकी लोग यहीं रहकर जल्दी से जल्दी चीन की सबसे ज्यादा जनसंख्या का रेकोर्ड तोड़ दें।
कुल मिलाकर उदघाटन में मजा नहीं आया................................
क्या महाराज!!! इससे भव्य और क्या पेश करते??
जवाब देंहटाएंवैसे कहीं पाकिस्तान के कोई चैनल पर ओलम्पिक की ओपनिंग की जगह कुछ और तो नहीं देख लिया क्यूंकि मुशर्रफ तो आये ही नहीं थे-न असली/न नकली. :)
haan aapne sahee farmaayaa main shayad kisi aur se confuse ho gaya.
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