जी हाँ, आप ये कदापि न सोचें कि, मैं यूँ ही कोई रद्दी माल उठा कर आपके सामने परोस रहा हूँ। ये बिल्कुल सच है ,आप ख़ुद ही sochiye कि यदि कोई पौधा ये कहता है कि आज तो बहुत अच्छा लगा, दिन भर गुनगुनी धुप सेंक कर बड़ा अच्छा लगा , वो भी अपने ब्लॉग पर तो कैसा लगेगा, खैर आप जब तक ये सोचें कि आप उस पौधे की पोस्ट पर क्या टिप्प्न्नी करेंगे, तब तक में आपको पूरी ख़बर बताता हूँ।
दरअसल जापान में एक विशेष तकनीक विकसित की गयी है जिसके जरिये पौधा भी अपनी भावनाएं ब्लॉग के माध्यम से व्यक्त कर सकेगा। एक इन्टरनेट कैफे में लगा मदोरी सेन नामक एक पौधा नियमित रूप से इन्टरनेट पर ब्लॉग लिख रहा है। वैज्ञानिकों द्वारा आविष्कार किए गए सेंसर के माध्यम से पौधे की भावनाओं को जापानी भाषा में ( यहाँ ये बता दूँ कि जापानी भाषा में इसलिए कि आंकडों के अनुसार दुनिया में सर्वाधिक पोस्ट जापानी भाषा में ही किए जाते हैं ) अनुवाद कर उसके ब्लॉग पर डाल दिया जाता है ।
अब बताइये है न कमाल की बात, यार ये जाप्नीयों के दिमाग में होता क्या है। वैसे मैं सोच रहा हूँ कि यदि मुझे भी ये प्रोग्राम मिल गया तो सबसे पहले मैं आलू , प्याज, और टमाटर के अन्दर उसे फ़िर करके पोस्ट करवाउंगा, और जरूर पूछूंगा कि भाई, कब तक तुम्हारी वजह से मीर हैसियत यूँ गरीबों वाली रहेगी।
आप भी सोचें कि आपने किस पौधे से क्या पोस्ट करवाना है,या कौन सी टिप्प्न्नी करनी हैं।
अब होगी ओबामा और ओसामा की लडाई : - मेरे मित्र पलटू राम की ये आदत कभी नहीं जायेगी, कि वो हमेशा किसी भी चीज को, घटना को, दुर्घटना को भी उल्टे होकर देखते हैं, पता नहीं शायद उल्टे पैदा हुए थे। खैर जब उनसे पूछा कि क्यों भाई सबसे शक्तिशाली आदमी के रूप में ओबामा को ही देखा जा रहा है क्या कहते हो। वो कहने लगे, यार ये तो पता नहीं मगर मुझे लगता है कि यदि ओबामा जीत गए तो ओसामा को नहीं छोडेंगे, देखो न कितना मिलता जुलता नाम है, उन्हें इसी का कोम्प्लेक्स सताता रहेगा, तो लगता है कि जल्दी ही कोई बड़ी लड़ाई छिड़ने वाली है, कमाल है ये कौन सा एंगल था यार.
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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....