प्रचार खिडकी

रविवार, 6 सितंबर 2009

पहले कमाओ.....फ़िर नौकरी पाओ...



..है न कमाल..या शायद थोडा कन्फ़्यूजिंग.....नहीं जी बिल्कुल भी नहीं...जब आप भी पूरी बात सुनेंगे ..तो कहेंगे .कि ये तो सच ही है....दरअसल बात ये है कि अभी हाल ही में...केन्द्रीय विद्यालय संगठन में कई पदों की भर्ती का इश्तहार विग्यापित किया गया है...खुशी की बात है न.....आज जब सरकारी नौकरियों में काफ़ी कटौती की जा रही है तो ऐसे में..यदि इस तरह की चुनौतियां बच्चों को मिल रही हैं..ये उनके लिये निसंदेह अच्छी बात है.....यहां तक तो सब ठीक है .....मगर इसके आगे ....

इस पद को पाने के लिये जो प्रतियोगिता आयोजित की जायेगी...उसके लिये आवेदन मंगाये गये हैं...और उस आवेदन के साथ परीक्षार्थी को मात्र ....एक हज़ार रुपये की राशि जमा करनी है...अब ये आपकी श्रद्धा है....आप उसे ड्राफ़्ट के माध्यम से जमा करवाते हैं..या पोस्टल और्डर के माध्यम से...राशि सिर्फ़ ....मात्र एक हज़ार रुपये ही रहेगी....देखा सरकार कित्ते कम पैसे में ..बेरोजगार बच्चों को इतना सुनहरा अवसर दे रही है...मेरे ख्याल से सरकार शायद ये सोच रही है कि ..बच्चे पहले कमाना सीख लें..थोडे पैसे वैसे बचाना सीख लें.....फ़िर नौकरी भी दे दी जायेगी उनको....क्या कहा ...क्या पूछ रहे हैं आप ....नौकरी से पहले कमाना कैसे सीख सकेंगे बच्चे...लिजीये ..इससे सरकार को क्या लेना देना....भई वो सरकार है ...कुछ भी सोच सकती है....

मैंने भी अपने अनुज को इस प्रतियोगिता में आवेदन के लिये कहा था....मगर इत्ती सी फ़ीस सी फ़ीस को देख कर ....और उसकी अपार काबिलियत को देख कर थोडा सा ठिठक गया.....फ़िर सोचा इसी बहाने ...उनसे पूछूं तो सही कि ...ये इतनी सब्सीडी काहे दे रहे हो भाई.....बेरोजागारों को ....

हेल्लो...जी देखिये आपने जो ये फ़ौर्म निकाला है न....यार इसकी फ़ीस तो बहुत ज्यादा है...बंदा सिर्फ़ इसमें भाग लेने के लिये इतनी राशि खर्च कैसे करेगा...वो भी बेरोजगार व्यक्ति....

अबे जाओ ..ये कौन सी ज्यादा राशि है भई....कौन सी दुनिया में हो ..इत्ते में तो दस किलो दाल भी नहीं आयेगी......

आयं...नौकरी से दाल का क्या कनेक्शन भाई........

लो अब ये भी मैं बताऊं.... दाल से आज किस चीज़ का कनेक्शन नहीं है....और तो और ..सुना है सोना जो महंगा हुआ है ..उसमें भी कहीं न कहीं दाल का ही हाथ है....और सुनो ..विश्व में भारतीय अर्थव्यवस्था का अपना जो एक अलग और मजबूत स्थान बन रहा है ....सब दाल की बदौलत ....वे कह रहे हैं....जो देश दाल इतनी मंहगी खा सकता है ...वो जरूर ही ......

अरे भाई रूको रूको...यार मैं आवेदन की फ़ीस की बात कर रहा हूं आप दाल की गाये जा रहे हो....यार जब हमने फ़ौर्म भरा था ऐसे पदों के लिये तब तो मात्र बीस पच्चीस रुपये हुआ करते थे.....अब भाई को भरवाना है...

तो अब तो आप रिटायर हो चुके होंगे ....या होने वाले होंगे......?

अरे नहीं भई...सिर्फ़ दस साल पहले की बात है यार....आप तो कमाल करते हैं.....

तो तब क्यों नहीं भरवा दिया अपने भाई को फ़ौर्म अब इतनी मंहगाई में ये तजुर्बा क्यों कर रहे हो......

यार तब उसकी उम्र नहीं हुई थी.....अब हुई है...

अरे तो इतनी मंहगाई में जवान होगा तो ...भुगतना तो पडेगा ही न........

उसने फ़ोन काट दिया.....मैं भी लटका हुआ हूं....सोच रहा हूं इससे अच्छा तो एक दाल की दुकान ही खुलवा दूं...वैसे जिन जिन के पास मात्र हज़ार रुपये हों वे यह सुनहरा अवसर न छोडें.....


7 टिप्‍पणियां:

  1. जय हो! अमाँ, इक्सीसवीं सदी के प्राणी हो कर भी दाल खाते हो? नौकरी की कहाँ जरूरत है।

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  2. राम राम मात्र हजार..... अजी यह तो गरीब के हाथ की मेल है,द्स पंदरह दिन खाना ना खाये, बच्चो को भी ना खिलाये, दिन रात मज्दुरी करे रिक्शा चलाये..... कितनी अच्छी सरकार है ओर उस के नियम, सच मै राम राज आ गया मात्र एक हजार मै नोकरी पक्की, बस अब गरीबी जल्द ही दुर हो जायेगी

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  3. इतनी मंहगाई में जवान होगा तो ...भुगतना तो पडेगा ही न........

    -इतनी मंहगी सलाह फ्री मे दे डाली.

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  4. बीएसएनएल ने तो मैनेजमेंट ट्रेनी की पोसेट के लिये 1500 रीपये फीस रखी है।

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  5. ..इत्ते में तो दस किलो दाल भी नहीं आयेगी......

    मुद्रा विनिमय का अच्छा पैमाना है :-)

    बढ़िया कटाक्ष

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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