आजकल टी आर पी का ज़माना है ...सो सोचा कि मेहमान भी तो ऐसा होना चाहिए कि जिसके इंटरव्यू को देख पढ़ कर उसका हो न हो ....अपना कल्याण तो हो ही जाए...तो ऐसे में सच का सामना से बेहतर और कौन हो सकता था...मेजबान उस शो के तो तैयार नहीं हुए....कहने लगे ..अबे जा .अब जाके इस शो के बहाने तो मेरी खुद की टी आर पी बढ़ी है ...अब इंटरव्यू आप जैसे को दे दिया तो ..जो टी आर पी बढ़ी है ..वो टी आर पी से....सीधा बी जे पी .हो जायेगी.....बी जे पी......अरे पार्टी नहीं यार...बी जे पी मतलब ...भाड़ में जाओ पुत्तर ..ओह अच्छा ...तो और कौन मिलता ..वहाँ आने वाले मेहमान से बात की ....वे बौखलाए थे ..अबे भाग यहाँ से ..इस शो में आकर सिर्फ टी आर पी ही मिली है ...कमबख्त पैसे तो आज तक इन्होने किसी को दिए नहीं ....टी आर पी भी ..ऐसी ..थूकम और फजीहत ...
अचानक ही मेरा कोने वाला ब्रिलिएंट दिमाग भक्क से जल उठा ....अरे असली बंधू तो अब मिले हैं ...इंटरव्यू के लिए इनसे बढिया तो और कोई हो ही नहीं सकते थे ...मैं फटाक से पहुँच गया ....
और भैया ..एन आर आई..पोलीग्राफी मशीन ...कैसी हो ....कैसा लग रहा है ..पूरे देश की बखिया उधेड़ रही हो ...और मजे आ रहे हैं न......
मशीन की तो जैसे बाँछें खिल रही थी ...मुझे तो सिर्फ इस बात से पता चला कि उसमें से निकल रही बहुत सी तारें एक दम से ... टैन टैणेन .......करने लगी ...
मशीन हुलस कर बोली....क्या बताउं.....इससे पहले जितनी बार भी मुझे यहां बुलाया ..लाया जाता रहा है ...कम्बखत...चोरों...
डाकुओं....नेताओं.......और पता नहीं कैसे कैसे झूठों का ...कितना गंदा ....कैसा धंधा...और क्या क्या उगलवाया जाता था...और मुझे कह्ते थे...सुनो झेलो...बताओ...इतने पर भी मुझे कोई मलाल नहीं होता ...यदि ..वे मेरे ..सहारे किसी को सजा दिलवा पाते...अरे तो क्या खाली ..कहानी सुनाने के लिये बुलाया है मुझे...कह्ते तू बस सच झूठ का बता ...इसका यूज कैसे करना है ....वो हम देख लेंगे .....सत्यानाश हो तुम्हारा ....मन दुख जाता था.....मगर करती क्या.....
अब जाकर कुछ तसल्ली हुई है...बल्कि कहुं तो लगता है कि हां...इसी दिन के लिये तो मेरा जन्म हुआ था ...जब आयोजकों ने मुझसे सम्पर्क किया ..तो मुझे भी लगा ....ये क्या बात हुई..अपने जीवन से जुडी हुई कुछ सच्चाईयों को स्वीकार करो ..और ढेर सारे पैसे ले जाओ ...कोइ क्यों झूठ बोलेगा......किसे नहीं पैसे चाहिये.....मगर फ़िर पता चला ....अरे आप क्यों इत्ता सोच रही हो ...आप देखना हम प्रश्न ही ऐसे करेंगे ....कि यदि सच बोले तो भी गये..और झूठ बोले तो भी ....और प्रश्न भी ऐसे कि ....बस एक उत्तर देने वाले..और उसके रिश्तेदारों को छोड्कर ...बांकी सब को गुदगुदी होने लगे.....
अरे इतना ही नहीं ....उन्होंने मुझे एक सूची सौंपी ..और कहा कि ..किसान...मजदूर....गरीब...जैसों को कभी भी ...इस शो पर नहीं बुलाया जायेगा...तुम बस मजे लो....तब जाकर मुझे तसल्ली हुई...अब तो ऐसा लग रहा है कि ...इस देश में कोई ऐसा बचा ही नहीं...जिसका कोइ गलत सम्बन्ध नहीं...जाओ जाओ इससे ज्यादा इन्टरव्यु दिया तो ...गड्बड हो सकती है ...
बिलकुल व्यंग्य जैसा व्यंग्य है .बधाई ।
जवाब देंहटाएंकोई गड़बड़ नहीं होगी
जवाब देंहटाएंआप तो अजय भाई
दनादन मशीन का
इंटरव्यू लिए जाओ।
उधर पप्पू की पत्नी ने
सच का सामना में
धमाल मचा रखा है
इधर आपे मचाए जाओ।
मशीन भी कोनो सच
रही है बोल
एक और मशीन लाई
जा रही है
जो इन बोलों को
भी लेगी तोल।
खोलेगी नोटों को पाने की
मची बेमची पोलमपोल।
बेचारी मशीन का असली सच और उसका यूज़ करने वालो का तो बाज़ा ही बज़ जायेगा।ये है मखमली जूता।
जवाब देंहटाएंकिसान...मजदूर....गरीब...जैसों को कभी भी ...इस शो पर नहीं बुलाया जायेगा..
जवाब देंहटाएंअब इस सच का सामना कौन करेगा?
ये क्या?...मज़ा आना शुरू ही हुआ था कि शो खत्म... :-(
जवाब देंहटाएंखैर!..कोई बात नहीं...अगली फिल्लम का इंतज़ार रहेगा
गड्बड तो पक्का हो सकती है -जरा संभलना भाई. पैसा कमाने के और भी साधन हैं.
जवाब देंहटाएंबेचारी मशीन ....क्या सोच कर आई थी और क्या हो गया ?
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जवाब देंहटाएंएकदम्मै ठोंक देहलऽऽ हो ?
गाने का मन कर रहा है, " झाजी हमारा बड़ा नाम करेगा "
bahut mazedaar vayang
जवाब देंहटाएंbahut achee bhai..
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