प्रचार खिडकी

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

अब राजधानी में भी हो सकेगी ठंड में दिवाली....


पिछले कुछ दिनों से देख कर तो यही लग रह था कि ...इस बार तो ये मुई गरमी सारे रिकार्ड तोड कर रख देगी....अब रिकार्डों का भी क्या कहें....चाहे क्रिकेट के हों.... या मौसम के ..बस बनते हैं और टूटते हैं....।
और मौसम के रिकार्ड का क्या कहें...हमारे मित्र लपटन जी कहते हैं.. ...ये ससुरे ..मौसम के रिकार्ड भी शीशे की तरह ...अजी तरह क्या उनसे भी नाजुक होते हैं...पता ही नहीं चलता ..कब टूट जाते हैं...और जब देखो...पिछले बीस बरस..पच्चीस बरस...इतने लंबे समय के ही टूटते हैं...।

लपटन जी ऐसे ही मौसम में कहने लगे झाजी ....अबके तो होली मनेगी होली.........

आयं..अमा लपटन जी आप भी कौनो बात ....कुछ भी बोल जाते हो...शुक्र मनाओ कि ..ब्लागर नहीं हो...नहीं तो...आपको का पता..इहां बिटवीन दि लाईंस ....को समझ कर भी लोग बाग पोस्ट लिख मारते हैं.....अब ई हम उनको नहीं बताये कि ..लोग पोस्ट मारते हैं कि ....लिख कर मारते हैं......ई समय में होली....अब तो दिवाली आने वाला है जी....रावण को फ़ूंकने के बाद ..जौन पटाखा बचा था...ऊ सब ठो बिटवा को दे भी दिये हैं फ़ोडने के लिये.....और आप कह रहे हैं कि होली मनायेंगे.....
(दिल्ली में छाये बादल)

अरे यार झा जी....ई गर्मी को देख कर तो यही जी कर रहा है कि ..दिवाली से बढिया तो यही है कि होली मनाई जाये....कम से कम पानी से राहत तो मिलेगी न.......

बात तो लपटन जी ठीक ही कह रहे हो आप......?

बस सुबह के इस संवाद को जैसे इंद्र देवता ने सीरियसली ले लिया.....

नतीजा आपके सामने...पहले कुछ इस तरह के बदरा छाये ........

फ़िर बरखा भी छमछम आयी.......


हमने भी फ़ौरन लपटन जी को मैसेज किया....विश यू ए दिवाली.....इन स्वीट ठंड...लपटन.....














13 टिप्‍पणियां:

  1. बधाई लपटन को वाटर प्रूफ बम्ब भिजवा दो हा हा

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  2. हा.....हा....हा...क्या द्विवेदी जी...आज अचानक आप रद्दी क्यूं ढूंढ रहे हैं...टोकरी में झांकते रहिये...और अपना स्नेह बनाये रखिये...मेरे जैसे कबाडी के लिये इतना ही बहुत है...

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  3. फ़ोटू क्या आधी रात को खिंचे है? मोममब्त्ती जला कर देखने पड रहे है, अब दिपावली पर कोन सी मोम बत्ती जलाऊगां?

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  4. राज भाई ...फ़ोटो तो दिन को ही लिये हैं...यही तो कह रहा हूं...अब अंदाज़ा आप लगा लिजीये....

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  5. एक मेसेज हमारी तरफ से भी घुमाई दीजिए लपटन भैया को..बहू बढ़िया हुआ ई गर्मी के मारे एकदम जान जा रही थी..
    और आप को तो डाइरेक्ट ही बोल देते है बधाई ठंड में दीवाली मनयिये..जी..
    बढ़िया लिखे है आप..पढ़ के बहुत अच्छा लगा..तो धन्यवाद तो आपको लेने ही पड़ेगा..

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  6. भई हमारे यहाँ तो लिपाई-पुताए वाले आसमान की ओर देख रहे है यह बन्द हो तो हमारा धन्धा चले ।

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  7. इहां बिटवीन दि लाईंस ....को समझ कर भी लोग बाग पोस्ट लिख मारते हैं.....अब
    ab hum is par post likhne ja rahe hain.....

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  8. अच्छा है, दिल्ली में पुरानी ठंढ वापस आ गयी है वरना मौसम के मिजाज़ तो ऐसे बदल रहें हैं कि मेरी एक दोस्त का कहना है, आगे वाली पीढियाँ पढ़ेंगी नवम्बर दिसम्बर .गर्मियों का मौसम है और मई जून ठंढ का....

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  9. jha sahab aapne masam cheng karakar mujhe vairal kara diya.
    doctor ka bil bhej doonga krapaa pemet kara dena.

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  10. टोकरी में गज़ब का माल रखे हो भाई
    like this
    इहां बिटवीन दि लाईंस ....को समझ कर भी लोग बाग पोस्ट लिख मारते हैं.....अब ई हम उनको नहीं बताये कि ..लोग पोस्ट मारते हैं कि ....लिख कर मारते हैं..

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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