दैनिक सच कहूं सिरसा में प्रकाशितआज के दैनिक डेली हिन्द मिलाप , हैदराबाद में प्रकाशित(आलेख को पढने के लिए उसे चटकाएं, और अलग से खुली खिडकी में,दिखने वाली छवि को चटका कर आराम से पढा जा सकता है ) , इस आलेखको आप ब्लोग पोस्ट के रूप में पहले भी पढ चुके हैं ।
प्रचार खिडकी
बुधवार, 2 जून 2010
आज के "डेली हिन्द मिलाप" , (हैदराबाद ),तथा "सच कहूं" सिरसा, में में प्रकाशित मेरा एक आलेख
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विचारणीय और तथ्यों पर आधारित सच्चाई को खोजती रचना को पढवाने के लिए धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंबधाई !
जवाब देंहटाएंबहुत-बहुत बधाई!
जवाब देंहटाएंअच्छा और सामयिक लेख!
जवाब देंहटाएंसादर वन्दे !
जवाब देंहटाएंइस खेल का खेल समझाने के लिए धन्यवाद !
रत्नेश त्रिपाठी
झा जी, इस हेतु हमारी भी बधाई स्वीकारें।
जवाब देंहटाएं--------
क्या आप जवान रहना चाहते हैं?
ढ़ाक कहो टेसू कहो या फिर कहो पलाश...
आज रात पढि़ए ब्लोग जगत के महारथी महामानव फुरसतिया सर को समर्पित कविता। दोबारा याद नहीं कराऊंगी। खुद ही आ जाना अगर मौज लेनी हो, अब तक तो वे ही लेते रहेंगे, देखिएगा कि देते हुए कैसे लगते हैं फुरसतिया सर।
जवाब देंहटाएंक्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।
जवाब देंहटाएंआइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !
खेलों से हमें भी बड़ी उम्मीदे हैं । अब देखते हैं कितनी पूरी होती हैं ।
जवाब देंहटाएंबधाई।
बधाई !
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