प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 9 जुलाई 2010

तैयारी पूरी है (व्यंग्य) ..........अजय कुमार झा





जैसे ही खबर फ़ैली कि , खेल कुंभ के लिए सारी तैयारी समय से पहले पूरी कर ली गई हैं , समय से पहले , यानि खेलों के शुरू होने से पहले ही तैयारी खत्म हो गई है , वर्ना तो अमूमन तौर पर खेल के खत्म होने तक कई बार तैयारी शुरू भी नहीं होने की नौबत आई रहती है , मगर इस बार मामला जरा बिदेसी था सो ऐसा ही करना पडा । तो जैसे ही खबर फ़ैली , अब ये मत पूछना कि खबर फ़ैली क्यों , अरे आजकल तो एक ही फ़ंडा है कि रायता फ़ैले न फ़ैले , खबर जरूर फ़ैल जाती है , और जो फ़ैलती नहीं , वो खबर नहीं होती । इसलिए जैसे ही खबर फ़ैली वैसेही उसका ज़ायज़ा लेने , विदेश से लपटन साहब दलबल के साथ यहां पहुंच गए ।

आखिरकार आप लोगों ने तैयारी पूरी कर ही ली न , चलिए वर्ना आप लोगों का रिकार्ड देख कर तो हम यही सोच बैठे थे कि जिन जिन खेलों की तैयारी पूरी हो गई होगी वे इस बार करवा लेंगे , बांकी बचे हुए खेलों को अगले आयोजन में डबल बार करवा कर सारा बैक लॉग पूरा कर लिया जाएगा । अच्छा बताईये कि क्या क्या हो गया है ?

सर मेट्रो , दिल्ली तो दिल्ली अब तो हम तो उसे हरियाणा तक घुसेड चुके हैं । देखते जाईये , अगर योजना ठीक इसी तरह से चलती रही ,तो हम जल्दी ही चिकमंगलूर से लेकर झुमरी तलैया तक मेट्रो की पटरियां बिछा देंगे । वो तो आपने खेलों में थोडी जल्दी मचा दी वर्ना तो हमने सोच रखा था कि श्रीलंका और नेपाल के खिलाडी तो सीधा मेट्रो से ही आकर अपनी प्रतियोगिका में भाग लेकर पदक जीत कर मेट्रो से ही वापसी हो लेंगे । खैर कोई बात नहीं , जितना हो रहा है वही क्या कम है भला ?

अच्छा , लपटन जी की पूरी टीम ने लपट कर कहा , और बताओ , और बताओ क्या क्या तैयारी हुई है , विस्तार पूर्वक बताओ जरा ।

और क्या क्या बताएं सर बस ये समझिए कि हमने तो अपना पूरा ध्यान इसी एक बात पर इस तरह से केंद्रित कर दिया है कि अब किसान से लेकर , जवान तक , नेता से लेकर अभिनेता तक
सबको खाली एकही टेंशन है कि कब ये खेल हों ? और इस टेंशन को महसूस करने के लिए हमने इसके साथ ही और भी बहुत सारे टेंशन जोड दिए हैं । अब तो हालात इस तरह के हो गए हो गए हैं कि लोगों को यही टेंशन रहती है कि पता नहीं कब कौन सी नई टेंशन आ जाए ?

ये क्या टेंशन टेंशन लगा रखी है , इससे तो हमें ही टेंशन होने लगी है । सब कुछ साफ़ साफ़ बताओ ..

लो इसमें साफ़ साफ़ समझने वाली कौन सी बात है सर । हम रोज बिना बताए , बिना कोई ईशारा किए और बिना किसी वजह के , कभी पेट्रोल की , तो कभी गैस की , कभी चीनी , कभी टमाटर , आलू, मतलब किसी भी चीज़ का दाम अचानक बढा देते हैं । बस हो जाती है सबको टेंशन , और तो और सरकार और मंत्रियों को भी टेंशन रहती है कि जनता को बताएं क्या , राष्ट्रमंडल खेल का ही एक बहाना आखिर चलेगा कितनी बार , मगर देखिए हम हैं कि किए जा रहे हैं ।

अच्छा अच्छा जगह वैगेरह तो तैयार हैं न सारे ?

हें हें हें , कमाल है सर आप उसकी चिंता क्यों करते हैं हम तो यहां पर , स्कूलों में शादी के पंडाल लगा देते हैं और पंडालों में स्कूल चला लेते हैं , हें हें हें सर इसी से समझ जाईये कि कितने मल्टी टेलेंटेड फ़ैसिलिटी से युक्त हैं सर । और कुछ पूछना हो तो ....

अरे हां चलते चलते ये भी बता दीजीए कि , खिलाडियों की तैयारी तो पूरी है न ....

सर इसके लिए अभी हमने कुछ सोचा नहीं है , और सच कहें तो हम खिलाडियों , खेल के बारे में ज्यादा नहीं सोचते हैं , वे भी खेल शुरू होने तक आ ही जाएंगे अपने आप । अभी हमें ही नहीं पता कि कौन कौन से खिलाडी हैं खेलने वाले , हमेशा की तरह । आपको तो पता है न सर कि वो तो खेलों में पदक जीतने के बाद ही पता चलता है , जैसे राज्यवर्धन सिंह राठौड , अभिनव बिंद्रा , सुशील कुमार , विजेंद्र सिंह ,...उनके बारे में ही हमें कौन सा कुछ पता था , जीते तब जाकर सबको पता लगा । आप चिंता न करें सर , वो भी आ ही जाएंगे अपने आप । बस समझिए कि तैयारी पूरी है ....

10 टिप्‍पणियां:

  1. जैसे राज्यवर्धन सिंह राठौड , अभिनव बिंद्रा , सुशील कुमार , विजेंद्र सिंह ,...उनके बारे में ही हमें कौन सा कुछ पता था , जीते तब जाकर सबको पता लगा । आप चिंता न करें सर , वो भी आ ही जाएंगे अपने आप । बस समझिए कि तैयारी पूरी है ...
    कमाल की तैयारी है !!

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  2. हम लेने में नहीं , देने में विश्वास रखते हैं । इसलिए सारे मेडल यदि दूसरे ले जाएँ , तो चिंता नहीं करना । यह हमारी मेहमाननवाज़ी होगी ।

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  3. डॉ टी एस दराल जी से सहमत है अगर खुद ही रख लिये या जीत लिये तो रखेगे कहां? इन नकली सोने चांदी के मेडल को

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  4. जी अच्छी तैयारी है.
    खिलाडियो का क्या जीतने के बाद पता चल ही जायेगा कि कौन खिलाडी है. वैसे हारना कोई नई बात तो नहीं है ना.
    और फिर असली खिलाडी तो कोई और है .. जो सर्वदा जीतता ही है

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  5. " आजकल तो एक ही फ़ंडा है कि रायता फ़ैले न फ़ैले , खबर जरूर फ़ैल जाती है , और जो फ़ैलती नहीं , वो खबर नहीं होती । "

    बेहद उम्दा !

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  6. गुड्डो दादी ने मेल से कहा :-

    अजय बेटा जी
    जीते रहो
    व्यंग पढ़ कर हंसी छूट गई
    व्यंग भी लिखने अच्छा ढंग है
    अति उत्तम

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  7. "तैयारी पूरी है ------------मेरा भारत महान"
    बहुत गहरा व्यंग्य।

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  8. बहुत बढ़िया जी .. तैयारी तो पूरी है राष्ट्रमंडल खेलो के नाम पर .. सारा शहर खोद डाला फुटपाथ के पत्थर पलट पलट कर लगा दिए ... बस खिलाडी आ जाए

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  9. बहुत बढ़िया व्यंग....यह पढ़ कर मुझे शरद जोशी की एक रचना याद आ गयी..जिसमें वो ओलंपिक खेलों में जाने की बात करते हैं..हॉकी टीम में उन्हें चुन लिया होता तो कम से कम विदेश ही घूमना हो जाता...हारना तो था ही कम से कम विदेश ही घूम आते..और हम भारतीय अपनी परम्परा कैसे छोड़ दें.. हम कहते हैं पहले आप....बस इसी लिए रेस में पीछे रह जाते हैं.....

    कुछ इसी शैली पर आपका लिखा व्यंग बहुत पसंद आया...तैयारी पूरी है

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  10. ाच्छा कटाक्ष है बधाई आप इसी तरह तैयारी रखिये। हम आते हैं अगली पोस्ट तक। शुभकामनायें

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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