प्रचार खिडकी

बुधवार, 22 दिसंबर 2010

नई दुनिया ,में प्रकाशित मेरा एक लघु आलेख ...



आलेख को पढने के लिए उस पर चटका लगा दें । छवि अलग खिडकी में बडी होकर खुलेगी





4 टिप्‍पणियां:

  1. सार्थक लेख ...बहुत ही शर्मनाक टी० वी० शो हैं यह दोनों ही ..

    जवाब देंहटाएं
  2. आप के लेख से सहमत हे जी, अब तो हद ही होती जा रही हे...बस अब नंगा होना ही शेष बचा हे जो शायद यह भी हो जाये, हमारा मीडिया तो युरोप से भी दस कदम आगे गंदगी पेश कर रहा हे, ओर सेंसर भांग पीये सो रहा हे. धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. टी वि पर जो दिखाया जा रहा है , उसका पूरा-पूरा असर आज के युवा वर्ग में दिख रहा है। उनकी बोल-चाल और पहनावे भी वैसे ही हो रहे हैं। शर्म-हया से तो परहेज ही हो गया है।

    जवाब देंहटाएं
  4. टीवी पर प्रसारित होने वाले शो का इसी तरह विरोध करना ज़रूरी है ।

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...