प्रचार खिडकी

गुरुवार, 2 जून 2011

हर बार ये हादसा टल जाता है ......बिखरे आखर



चित्र , गूगल से साभार 




होते होते इश्क ये बस रह जाता है ,
हर बार ये हादसा टल जाता है ,
हम रूमानी होते हैं रुत देख के, 
मौसम , बिन बताए ही बदल जाता है ....


यूं तो रूठने मनाने का है अपना मजा ,
कौन कब रूठे कब माने , किसको पता, 
मेहबूबा का दिल है तो ऐसा ही होगा , 
पल में माना , फ़िर पल में ही मचल जाता है ......


हां , मौका देती है जिंदगी , सबको एक बार , 
उसके ईशारे को फ़िर भी, जो समझ न सके ,
उसकी तकदीर फ़िर दफ़न हो कर रहे, 
जो समझा ईशारा , तो संभल जाता है ........


ख्वाहिशों के भी रंग हैं कितने हज़ार, 
आंखें जितनी सपने भी उतने , बस ,
किसी को चांद चूमने का चाहत , और,
किसी का मन, कंकड से ही बहल जाता है ...


कोशिश हर बार करता हूं , नई नई , 
जाने कितने ही नुस्खे आजमाता हूं ,
जितना ही फ़ूंक के करता हूं ठंडा ,
कलेजा, उतना अक्सर उबल जाता है .....



मेरी बांहो को रही है तलाश हमेशा ही ,
कुछ दोस्तों का साथ भी मैंने खोया-पाया,
मुझे छोडते नहीं हैं ,यार मेरे ,अकेला कभी,
कोई न कोई तो साथ टहल जाता है ....




20 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सुंदर शिकायते जी, धन्यवाद

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  2. अजय जी,

    आपने जो चित्र लगाया है इसके लिए "चित्र , गूगल से साभार" लिखा है!

    मेरी समझ से आपने गूगल से इस चित्र की खोज की है! यदि ऐसा है तो गूगल का इस चित्र पर कोई अधिकार नही है। इस चित्र का वास्तविक स्वामी तो कोई और होगा जिसे आपने श्रेय नही दिया है।

    आप कानून के जानकार है, क्या इस तरह से चित्र का प्रयोग कापीराईट कानून का उल्लंघन नही है ?

    वैसे यह कार्य करते मैने और भी कई ब्लागरो को देखा है।

    जवाब देंहटाएं
  3. यह शिकायत अपने आप से है, या ज़माने से देखिये अभी मानसून आने वाला वैसे दिल्ली में जुलाई
    में आयेगा अब की कोई मौका हाथ से ना जाने दीजिये

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  4. आशीष जी ,
    आपकी बात से पूर्णत: सहमत , लेकिन इस बात की क्या गारंटी है कि जिसे श्रेय दिया जाए ये वास्तव में उसका ही हो , इसलिए चूंकि मुझे गूगल से उपलब्ध हुआ है इसलिए गूगल से साभार लिखा गया है । वैसे यदि ये पता हो कि असली स्वामी कौन है तो फ़िर उसे श्रेय दिया जाना चाहिए , मैं भी सहमत हूं ।

    अब बात कॉपीराइट की , तो कुछ संशय सा देखा है मैंने अक्सर इस मुद्दे पर । मैं एक विधिक पक्ष स्पष्ट करता चलूं , इस पोस्ट में लगाई गई तस्वीर या फ़िर कि ऐसी ही कोई अन्य तस्वीर कॉपीराइट का उल्लंघन कानून की नज़र में तब तक नहीं मानी जा सकती हैं जब तक कि मैं इसका अनुचित व्यावसायिक लाभ (वो भी वो लाभ जो कि असल में चित्र लगाने वाले को मिलना चाहिए था ) ले रहा हूं , सबसे मुख्य बात कि , मेरी मंशा वाकई कॉपीराइट के उल्लंघन करने जैसी थी । आप खुद बताइए कि इस पोस्ट में मुख्यतया मैंने क्या किया है , तस्वीर के सहारे लिखा है या लिखने के बाद तस्वीर लगा दी है , बस यही बात कानून भी देखता है ।मुझे लगता है कि अब शायद थोडी स्थिति स्पष्ट हुई होगी॥ शुक्रिया ।

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  5. अजय जी,

    मेरी टिप्पणी को अन्यथा न ले! मेरी टिप्पणी का आशय आपकी मंशा पर कोई शक या दूर्भावना नही नही है। मैं जानता हूं कि इस चित्र के प्रयोग से आपको कोई लाभ नही है।

    आपने यह फोटो जिस साइट से लिया है उसकी Terms and Condition देखिये: http://www.dreamstime.com/terms

    मैने जान बूझकर इस टिप्पणी के लिए आपका ब्लॉग को चूना है क्योंकि मेरा उद्देश्य इस विषय पर एक बहस छेड़ना है। यह कार्य किसी कानून के जानकार के ब्लॉग पर ही अच्छे से हो सकता है।

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  6. ख्वाहिशों के भी रंग हैं कितने हज़ार,
    आंखें जितनी सपने भी उतने , बस ,
    किसी को चांद चूमने का चाहत , और,
    किसी का मन, कंकड से ही बहल जाता है ...
    bahut khoob!

    जवाब देंहटाएं
  7. आशीष जी ,
    बहुत बहुत शुक्रिया आपका कि आपने इस विषय को उठाया है , बहुत जल्दी ही इस पर अलग से कुछ लिखना होगा । मैं शर्तों को देखता हूं । वैसे कॉपीराइट की शर्तों को पढ चुका हूं । आपकी बात से सहमत हूं लेकिन मैंने कहा न कि कानून भी व्यक्ति की मंशा देखता है ..और इससे भी बेहतर उपाय है कि यदि कोई आपत्ति दर्ज़ करता है तो उस सामग्री को हटा देना चाहिए । अंग्रेजी ब्लॉगिंग में ये धांधलेबाजी ज्यादा चल रही है इसलिए मुख्यतया उनसे बचने के लिए ही ये उपाय दिखाए लगाए हैं । वैसे इस बहस के आगे बढने से जागरूकता आएगी । शुक्रिया

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  8. कोई ना कोई साथ टहल जाता है ...
    मुश्किल राहों में एक भी साथ हो तो राह आसान हो जाती है ...
    सुन्दर भावाभिव्यक्ति !

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  9. हम रूमानी होते हैं रुत देख के,
    मौसम , बिन बताए ही बदल जाता है ....bahut khoob waah

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  10. होते होते इश्क ये बस रह जाता है ,

    हर बार ये हादसा टल जाता है ,

    हम रूमानी होते हैं रुत देख के,

    मौसम , बिन बताए ही बदल जाता है ....

    भई, अब तो मौसम के ऊपर धारा लगानी पडेगी…………ये रुत ऐसे बदलती रही तो बेचारे आशिक का क्या होगा…………वैसे शुक्र मनाओ हादसे से बच जाते हो………………मगर भाव सच मे बहुत सुन्दर पिरोये हैं।

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  11. कोशिश हर बार करता हूं , नई नई ,

    जाने कितने ही नुस्खे आजमाता हूं ,

    जितना ही फ़ूंक के करता हूं ठंडा ,

    कलेजा, उतना अक्सर उबल जाता है .....

    wah ! shandar rachana pura dard bikhar diaya hai her alfaz me

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  12. बहुत खूब ....काश हम भी ऐसा रद्दी लिख सकते
    समझा जाए तो पूरी कविता का सार इन ४ पक्तियों में छिपा है

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  13. aaj bade din baad blog par aana hua...yahan to sab badla badla nazar aa raha hai...raddi ki tokri ab bikhre aakhar ho gaya...khair naam kuchh bhi ho...tevar to vahi hain...

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  14. इसी लिये तो कहा है ...?


    जो दिल ने कहा ,लिखा वहाँ
    पढिये, आप के लिये;मैंने यहाँ:-
    http://ashokakela.blogspot.com/2011/05/blog-post_6262.html

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  15. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  16. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  17. aapne jo kahana chaha badi hi khubsurti se aur bahut khubsurat kaha hai.

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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