जनता जनार्दन है ,हर वक्त रहती है इम्तहानों में ,
संसद में लुटता है लोकतंत्र , और पिटता है मैदानों में ..
वो जो रातों को खुद चुपके से करते हैं प्रहार ,
उन्हें दिन के उजाले में रक्षक कैसे मान लें यार ..
सत्ता में बैठे , हुक्मरानों से कह दो ये खुलेआम ,
हमेशा भारी पडता है बस आदमी एक आम .....
कब तलक चला सकोगे यूं , ये दौर बेहयाई का ,
अब तो वक्त भी आ गया , तुम्हारी जूतों से पिटाई का ..
अन्ना , बाबा , जनता ने रूप अब कई लिए हैं धर ,
सोच लो क्या हो जो हर एक अपनी पे आया उतर ....
दबाओ , झुकाओ , उठाओ , कर के देख लो अपनी हर तरकीब ,
अब जनता तैयार है ,खुद ,लिखने को सत्ता का नसीब ...........
अब हर मिनट , है क्रांति , हर दिन एक आंदोलन है ....
पिटा तेरा जनार्दन , पीटने वाल जनता जनार्दन है ...
प्रचार खिडकी
सोमवार, 6 जून 2011
पिटा तेरा जनार्दन , पीटने वाल जनता जनार्दन है ...
लेबल:
कुछ पंक्तियां,
जनता,
जनार्दन,
बिखरे आखर
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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दबाओ , झुकाओ , उठाओ , कर के देख लो अपनी हर तरकीब ,
जवाब देंहटाएंअब जनता तैयार है ,खुद ,लिखने को सत्ता का नसीब ...........
लिखो ,लिखो खूब नसीब लिखो...जिस दिन कोई गरीब किसी अमीर का नसीब लिखेगा...दास्ताँ भी न होगी दास्तानों में !
भाव अच्छे हैं,स्वभाव में गरमाहट बनाये रहो !
अजय भाई, जनभावनाओं का मार्मिक और वास्तविक चित्रण। यह लड़ाई जनता की है और तमाम अन्ना तमाम बाबा अभी निकल कर आते ही रहेंगे।
जवाब देंहटाएंइंक़लाब जिंदाबाद !!
जवाब देंहटाएंनसीब में जिसके जो लिखा वह उसकी पीसी में काम आया .
जवाब देंहटाएंअभी तो यह अंगड़ाई है आगे बहुत लड़ाई है वाह रे जूता...
ये सब खबर देख-पढ़ के भगवान को धन्यवाद करती हूँ की उन्होंने मुझे हिन्दुस्तान से बाहर भेज दिया. शर्म आती है अब तो ...
जवाब देंहटाएं" लगा दे मेरे भाई ...ये हरामी इसी के लायक है " ..बहुत ही करारी पोस्ट ..अजयभाई आपकोतहे दिल से सलाम सर "
जवाब देंहटाएंबहुत सही...........
जवाब देंहटाएंबहुत सही..
जवाब देंहटाएंजनभावनाओं को आपने जगह दी अपनी चर्चा में, आपका शुक्रिया !
शर्म आती है अब तो ...
क्या आपने मेरा लेख पढ़ा है ?
घूंघट में सन्यासी और वह भी दाढ़ी वाला
सेम
जवाब देंहटाएंसेम
सेम
सेम
सेम
सेम
बहुत सही।
जवाब देंहटाएं---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत किसे है?
बाबाजी, भ्रष्टाचार के सबसे बड़े सवाल की उपेक्षा क्यों?
आज काँग्रेसी सोते हुए बुरा सपना भी देखते हैं तो चौंक कर भाजपा आर एस एस की साजिश करार देने लग जाते हैं... नपुंसक सरकार का ज़मीर जूते की दवाई से भी खड़ा होने वाला नहीं है
जवाब देंहटाएंआपकी पोस्ट की चर्चा यहाँ भी है .....
जवाब देंहटाएंआज के खास चिट्ठे ...
यही होगा आखिर ....
जवाब देंहटाएंइंक़लाब जिंदाबाद !!
जवाब देंहटाएंजय जनता जनार्दन--------दे दना दन दन
जवाब देंहटाएंखुलने लगी है अब धीरे धीरे सबकी पोल
जवाब देंहटाएंजनता जनार्दन को पिटते हुये छोद भागने वाले बाबा। सब की खूब पोल खुली इस बहाने लेकिन वही आपकी बात पिटना फिर भी जनता को ही पडा।
जवाब देंहटाएंदिग्गी, कपिल, पुलिस कर्मचारी,
जवाब देंहटाएंये सब ताड़न के अधिकारी।
बहुत सही कहा है ..
जवाब देंहटाएंअरे यार जड देता दो चार तो उस की आवाज दुर तक जाती, क्यो रुक गया था, पता हे यह लातो के भुत हे बातो से नही मानेगे, वर्ना बाबा की बात मांन लेते....
जवाब देंहटाएंबहुत ही सही लिखा आपने .....अब सामी आ चुका है ...जहां खी भी ये दिखे इनसे जबाब मांगो और नहीं देने पर धो डालो ...
जवाब देंहटाएंदुतरफा चीरहरण जारी है ..
जवाब देंहटाएंआपने शब्दों के ज़रिये उसे एक बढ़िया रूप मे रखा.
अजय कुमार झा जी ,आपकी लेखनी में आंच है ,प्रासंगिकता है ,चेतावनी है ,फटकार है ,ललकार है .सह -भावित हम सभी ब्लोगिये हैं आपके भाव -अनुभाव के .
जवाब देंहटाएंसही कहा है। विचारोत्तेजक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंसोयी हुयी मासूम जनता को जो अंधेरों का सहारा लेकर मारते हैं वो 'कायर' शब्द को परिभाषित करते हैं। बहुत सटीक और सामयिक प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंअब हर मिनट , है क्रांति , हर दिन एक आंदोलन है ....
जवाब देंहटाएंपिटा तेरा जनार्दन , पीटने वाल जनता जनार्दन है ...
Ye sapne sakaar ho jayen to kya baat hai....aameen!
मेरा बिना पानी पिए आज का उपवास है आप भी जाने क्यों मैंने यह व्रत किया है.
जवाब देंहटाएंदिल्ली पुलिस का कोई खाकी वर्दी वाला मेरे मृतक शरीर को न छूने की कोशिश भी न करें. मैं नहीं मानता कि-तुम मेरे मृतक शरीर को छूने के भी लायक हो.आप भी उपरोक्त पत्र पढ़कर जाने की क्यों नहीं हैं पुलिस के अधिकारी मेरे मृतक शरीर को छूने के लायक?
मैं आपसे पत्र के माध्यम से वादा करता हूँ की अगर न्याय प्रक्रिया मेरा साथ देती है तब कम से कम 551लाख रूपये का राजस्व का सरकार को फायदा करवा सकता हूँ. मुझे किसी प्रकार का कोई ईनाम भी नहीं चाहिए.ऐसा ही एक पत्र दिल्ली के उच्च न्यायालय में लिखकर भेजा है. ज्यादा पढ़ने के लिए किल्क करके पढ़ें. मैं खाली हाथ आया और खाली हाथ लौट जाऊँगा.
मैंने अपनी पत्नी व उसके परिजनों के साथ ही दिल्ली पुलिस और न्याय व्यवस्था के अत्याचारों के विरोध में 20 मई 2011 से अन्न का त्याग किया हुआ है और 20 जून 2011 से केवल जल पीकर 28 जुलाई तक जैन धर्म की तपस्या करूँगा.जिसके कारण मोबाईल और लैंडलाइन फोन भी बंद रहेंगे. 23 जून से मौन व्रत भी शुरू होगा. आप दुआ करें कि-मेरी तपस्या पूरी हो