प्रचार खिडकी

शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

दो पंक्तियां जो अक्सर मैं कह जाता हूं .......



आपके अपना 




नहीं तुम नहीं समझ सकते ,

सियासतदानों, तुमने कौन कब अपना खोया है ,

हिम्मत है तो किसी खिडकी से झांक लो उस घर में ,

जिसमें कल रात हर आंख का जोडा रोया है..






बुजुर्गों को बधाई , विश्व,आज बुजुर्ग दिवस मना रहा है ,
सुना प्रशासन थोक के भाव "वृद्धाश्रम " बना रहा है .







नए आरोपों पर बहस से , किया राजा ने इंकार ,
फ़िकर नॉट , पुराने से , तुम्हरा होगा बंटाधार 







सात सालों से पीएम बिना छुट्टी लिए कर रहे हैं काम जी,
ओह इत्ती घनघोर ड्यूटी के बावजूद ,ये हुआ अंजाम जी







उसने व्रत के खर्चे का हिसाब लगाया ,
उससे सस्ते में तो दुर्गो पूजा हो रही थी ....







बारह पेज में बारह बस खबरें , हाय कैसा हुआ अखबार रे ,
नीचे लिखा गरीब मरा भूख से , ऊपर कुत्तों के बिस्कुट का प्रचार रे







पहले लिखी पाती , फ़िर अपनी ही बात से मंत्री जी गए पलट,
बंद कमरे में फ़िर चला इक डिरामा , सब मामला गया सुलट 







अफ़ज़ल की फ़ांसी के खिलाफ़ हैं उमर ,
काश कोई नेता भी उस दिन जाता मर





बकौल हिना , भारत के साथ हर मुद्दा सुलझाने की इच्छा है ,
हमने सुना , दिल बहलाने को रब्बानी , ये भी ख्याल अच्छा है







सालों पहले कांग्रेस के राज में , मौनी बाबा थे एक , जिनका पूरा मंत्रीमंडल भ्रष्ट ,
फ़िर वही सब दोहरा रहे , मौनी बाबा फ़िर से आए , करने देश को नष्ट .







हादसों का हश्र यही , जांच और मुआवजा , चैप्टर हुआ क्लोज़,
सरकार का कौन मरता है कोई , चाहे इक हादसा होता रहे रोज़









नहीं नहीं कोई दबाव नहीं है , सीबीआई संस्था है स्वायत्त ,
कोने कोने से आवाज ये आई , अबे हुर्रर्रर्र , हट , धत्त ...



देश की राजनीति , लोकतंत्र का मतलब बदल रही है ,
कसाब , अफ़ज़लों को बचाने के लिए , कैसे विधानसभाएं मचल रही हैं




10 टिप्‍पणियां:

  1. हर दो लाइनों में पूरा नशा चढ़ गया है।

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  2. आप शायद नहीं जानते ... इन दो लाइनों में आप कितना कुछ कह जाते है ... हर बार ... बार बार ... ना जाने दिल के कितने ही तारो को आप छेड़ जाते है ... बहुत बार ऐसा लगा है ... अरे यही तो मैं भी कहना चाहता था ... पर आप बाज़ी मार ले जाते है ... पर सच कहता हूँ बुरा कभी भी नहीं लगा ... यही दुआ है आप ऐसे ही बाज़ी मरते जाएँ ... क्यों कि आप की तरह मैं शब्दों को जान दे नहीं सकता !

    बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

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  3. इन दो लाइन्स का हिसाब
    हर मुद्दे का जवाब.....
    शुभकामनाएं!

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  4. " har alfaz ..har kadi ek paigaam de jati hai ...arey aapki isi ada ke to hum diwane hai :)

    -tulsibhai

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|

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  6. बारह पेज में बारह बस खबरें , हाय कैसा हुआ अखबार रे ,
    नीचे लिखा गरीब मरा भूख से , ऊपर कुत्तों के बिस्कुट का प्रचार रे

    i liked these the best

    जवाब देंहटाएं
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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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