प्रचार खिडकी

शनिवार, 12 नवंबर 2011

फ़िर वही बातें , फ़िर वही अंदाज़ है



चित्र गूगल सर्च से लिया गया है , साभार , मूल स्वामी से ,






तो प्रजाजनों ,आज के भी यही हैं बस मुख्य समाचार ,
आप फ़िकर कतई न करें , खुद सरकार कर रही है देश का बंटाधार 
 
अबे साईर न समझो हमको ,हम दिल के फ़ुंके , दिल के जलाए हुए हैं ,
जानते हैं कि जो मौका मिला , हिला देगी दुनिया , इसलिए हमही दुनिया हिलाए हुए हैं 
 
बहुत मशरूफ़ रहा इस दुनिया में , अब कुछ समय अज्ञात में कटेंगे ,
जाने कितने बरस कट गए , बात बात में , अब कुछ बेबात में कटेंगे .
 
ज़िंदगी अब यूं न इतराया कर , अब पहले सी मुहब्बत नहीं रही तुझसे ,
ले बता भी दिया है सीना ठोककर , बाद शिकायत करती नहीं कही तुझसे
 
मेड्डम्म जी :सिर्फ़ भाषण से और आरोप लगाने से नहीं मिटेगा भ्रष्टाचार
पब्लिक जी : ये दोनों भी तो आप और आपके ही नेताजी करते हैं सरकार ..
 
लाखों टन अनाज़ सड गया , मगर मर गई बुधिया भूखे ,
लीद (लीड ) न्यूज़ में फ़िर भी आया , वो महाशतक से चूके
 
कई बार सोचा ,चलो आज कुछ नहीं सुनते ,आज कुछ नहीं कहते ,
कोशिश की भी ,मगर नाकाम रहे , समझ गए कि चेहरे कभी चुप नहीं रहते
 
मेरे शब्दों का ,मुझसे ही , सबब पूछते हो ,
तुम जब भी पूछते हो , गजब पूछते हो ..
 
बिग बास में और बास फ़ैलाने को पहुंचे अग्निवेश ,
सांपनाथ जी , करेंगे करतब ,धर के नागनाथ का भेष
 
उफ़्फ़ हाय कि अब तो दे दो , चाहे दे दो बस ज़रा सी ,
पाकिस्तान भी कहने लेगा , अबे अब तो दे दो फ़ांसी
 
पीएम जी फ़रमाते हैं ,गिलानी शांति के दूत हैं ,
इत्ता और बता देते , कि कसाब और अफ़ज़ल , किस दूत के पूत हैं ...
 
उन दिनों ,जब इन जगहों पर सियासत के पहरेदार रहा करेंगे ,
तुम घबराना मत ,अरे आदत पुरानी है ,खत से सुना कहा करेंगे ..
 
इस दुनिया में, प्यार , सिर्फ़ एहसासों का ,इक धोखा है ,
नहीं मानोगे तुम , जानता हूं , खुद महसूस करो , हमने कब रोका है 
 
लाख चाहे भी तो ये नज़रें , दिल से वफ़ा कहां कर पाती हैं ,
होंठ तो फ़िर भी साथ देते हैं इस झूठे दिले का , ये आंखें सच बयां कर जाती हैं 
 
फ़साने मुहब्बत के हमें सुनाया न करो , हम खुद दीवाने हैं ,
जिनको अपना बनाने को , सबको किया बेगाना , आज वही अपने बेगाने हैं
 
इस देश का भाग्य हाय जाने लिखता कौन सा रे विधाता है ,
गरीब हटे न गरीबी , कभी सियासत कभी खुदाई ,रोज़ गरीब मिटाता है
 
लगा लेने दो ज़ोर सियासत को इस बार , सारा कस बल निकल जाने दो ,
या जला दो अब खोखले कानूनों को , ये फ़िर अब इस देश को जल जाने दो
 
अबे कौन सी दुनिया है ये , दिन दिन नहीं होता ,रात रात नहीं होती ,
न दिन में दिखते हैं गौरईयों के झुंड , ठंडी छत पर लेट के तारों से बात नहीं होती .

18 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ज़बरदस्त अंदाज़ है बातों का ... बढ़िया प्रस्तुति

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  2. बातों बातों में काफी कुछ कह दिया आपने ... हम सब के दिल की बातों को अपने अलफ़ाज़ दे दिया आपने !

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  3. ee kaa kah diye, kaa likh diye... baatein bahut badhiya hain... n luckily inme se kuchh lines ham fb pe padh hi chuke hain...

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  4. बस हिआं एक्कै चीज की कमी है...उ है की कमेंटवा जरा थम के है

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  5. बहुतई गजब समाचार दिया है भैया.

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  6. ज़िंदगी अब यूं न इतराया कर , अब पहले सी मुहब्बत नहीं रही तुझसे ,
    ले बता भी दिया है सीना ठोककर , बाद शिकायत करती नहीं कही तुझसे---"

    अंदाज़ पसंद आया ......

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  7. क्या गजब की शायरी है झा साहब
    वाह

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  8. वाह क्या बात है ... मज़ा आ गया इस शायरी का भी झा साहब ..

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  9. पीएम जी फ़रमाते हैं ,गिलानी शांति के दूत हैं ,
    इत्ता और बता देते , कि कसाब और अफ़ज़ल , किस दूत के पूत हैं ...
    धांसू लिखा है……………मार करते रहिये।

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  10. ये एक अलग अंदाज रहा या एक अलग आगाज रहा!!

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  11. सही कह रहे हैं झा जी। न गौरेये हैं,न तारों के झुंड। इंद्रधनुष देखे तो मानो ज़माना बीत गया।

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  12. जब तक सरकार प्रजनन की व्य्वस्था करती रहेगी प्रजाजनन को कोई चिंता करने की आवश्यक्ता नहीं है :)

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  13. जब तक सरकार प्रजनन की व्य्वस्था करती रहेगी प्रजाजनन को कोई चिंता करने की आवश्यक्ता नहीं है :)

    जवाब देंहटाएं
  14. straightforward expression without beating about the bush. Great!

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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