प्रचार खिडकी

गुरुवार, 26 जनवरी 2012

आसमान में पत्थर रोज़ उछाला करते हैं



गूगल चित्र खोज इंजन से , साभार


कुछ नय हो सकता है , कह कह के , कई लोग उम्मीद की मैय्यत निकाला करते हैं
छेद डालेंगे आसमान , रोज़ इसी विश्वास से , हम पत्थर उछाला करते हैं......
 
देखिए जी ,इस तरह जो जूतों के इस्तेमाल में आप चेंज़ लाएंगे ,
बहुत जल्दीए , फ़ेयर एंड लभली वाले भी जूतों की नई रेंज़ लाएंगे ..
 
नोएडा के रिहायशी इलाकों में कल से सीलींग की हो गई तैयारी ,
काहे बे , तुम लोक हाथी को ठीक से नहीं खिलाए , अबकी बारी
 
महामहिम का संदेस है , लोकतंत्र का पेड गिर जाए, इत्ता न हिसाएं ,
तो क्या करेंगे इस पेड का , सारे फ़ल इसपे जब ज़हरीले ही आएं ???
 
जितना लूटा और खसोटा , वापस अब सारा माल करो ,
खून चूस कर जिनका , लाल किए बैठे हो , अब उसीके हवाले अपने गाल करो ...
 
सियासत मगरूर ,सियासत बेलगाम , और सियासत बदनाम हुई जाती है ,
ज़रा सा जो जाग गई जनता जब से ,सियासत की नींद हराम हुई जाती है
 
राजनाथ सिंह के पुत्र को महामंत्री बनाने पर बवाल ,
कौन कर रहा है बे , अबे जब सब पोलटिसयन का है यही हाल ...
 
बसों की खरीद में ,61 करोड का हुआ वारा न्यारा ,
अमां लगे हाथ ये भी बता दे , किसने कितना हाथ मारा ...
 
जाने कि ये मुहब्बत है या कुछ और , रोज़ कीमत अदा कर रहे हैं ,
हालात कुछ यूं हैं कि , खुशियां और गम ,दोनों से वफ़ा कर रहे हैं .
 
जहां बनते हैं रोज़ कानून , अपराध की गुंज़ाईश वहीं रहती है ज़्यादा ,
शह हो या मात हो ,ताज्जुब नहीं कि इस खेल में अक्सर मरता है प्यादा 

चहुंओर सों चलत पादुका , घनन ,घनन केकर जियरा देखो कांपे रे,
बहुत दबायो , तुमही उकसायो , जो बोया तुम आपनो , काट वही अब आपे रे ..
 
एक्सप्रेस वे से चोरों ने लाखों की रेलिंग चुराई ,
का करें कि ,सरकार खुदे ई हुनर है सिखाई ...
 
बडी करारी ई ,जनता जो खोल ले , आपन नैन , दिमाग ,
चिंगारी में लगे जो फ़ूंका , सियासत जल जाए इस आग ....
 
घोटाले के आरोपी ने खुद को गोली से उडाया ,
हाय , सब घोटालेबाजों को ई आइडिया काहे नहीं आया ...
 
अमां सुना है कि रेलों में फ़िर से बढने वाला है किराया ,
वो तो ठीक है , लेकिन ई तो बताओ ,एक्सीडेंट को भी बढाओगे न भाया ..

अबे ई का घनघोर शिश्टम निकाले हो , आ कि बहुत हो गिया पैसा का तंगी है
मुन्नी , सीला , जिलेबी , चमेली , छन्नो , यार ये फ़ेहरिस्त तो बहुत लंबी है .....

12 टिप्‍पणियां:

  1. गज़ब ही किये हैं ... बहुत शानदार ...सब तीखा तीखा .

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  2. बढ़िया पोस्ट समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

    जवाब देंहटाएं
  3. अजय भैया जी जवाब नहीं आपका गणतंत्र दिवस के मौके पर जानदार और शानदार रचना है।

    गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं....!
    जय हिंद...वंदे मातरम्।

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  4. बहुत प्रेरक और सुंदर अभिव्यक्ति..

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  5. पत्‍थर छोड़ो अजय जी
    अब उछालो पहाड़
    पहाड़ जो जूतों का
    अतीत के भूतों का
    दब के मर जाए
    जिसमें भ्रष्‍टाचार
    कब उछालोगे
    बतलाओ पहाड़।

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  6. देखन में छोटन लगें...घाव करें गम्भीर...

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  7. अजय बेटा अशोर्वाद
    सुंदर रचना
    बधाई
    गणतन्त्र दिवस की शुभ कामनाएँ

    जवाब देंहटाएं
  8. khoob bhigo bhigo kar maare hain , ab bhi sharm na aaye to phir kahenge ki besharmi kee haden paar kar deen.

    isa kavyatmak vyangya ke liye abhaar !

    जवाब देंहटाएं
  9. कुछ नय हो सकता है , कह कह के , कई लोग उम्मीद की मैय्यत निकाला करते हैं
    छेद डालेंगे आसमान , रोज़ इसी विश्वास से , हम पत्थर उछाला करते हैं......



    और विश्वास से उछालना था ना ......कुछ तो हो जी जाना था


    वैसे व्यंग्य कमाल का हैं ...

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  10. आप सबका शुक्रिया पढने और सराहने के लिए

    जवाब देंहटाएं
  11. घोटाले के आरोपी ने खुद को गोली से उडाया ,
    हाय , सब घोटालेबाजों को ई आइडिया काहे नहीं आया ...

    बहूऊऊऊऊउत गहरी

    जवाब देंहटाएं
  12. अबे ई का घनघोर शिश्टम निकाले हो , आ कि बहुत हो गिया पैसा का तंगी है
    मुन्नी , सीला , जिलेबी , चमेली , छन्नो , यार ये फ़ेहरिस्त तो बहुत लंबी है .....

    Bahut Badhiya....

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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