चित्र , गूगल इमेज खोज इंजन के परिणाम से , साभार |
ये न पूछ मुझसे कि ये आज मुझे हुआ क्या है ,
जो ज़िंदगी ही मर्ज़ है तो बता इसकी दवा क्या है
पत्थर के इस शहर में जाने हर ईंट क्यूं पराई है
धधक रहा है कुछ भीतर , किसने ये आग लगाई है
चल माना दस्तूर अदला बदली का है , द्स्तूर निभाया ही जाए जरूरी तो नहीं
जो देते रहे ताउम्र इस ज़िदगी को ,वही ज़िंदगी से पाया भी जाए जरूरी तो नहीं
कतरों और किश्तों में बंटी जिंदगी ,तकदीर, जो तेरी यही रज़ा है ,
जो जिंदगी आसान ही होती जाए , तो ये मौत भी बेमज़ा है ...
तू अब न मुझे डराया कर जिंदगी,बता क्या नहीं अब तक खोया हूं मैं ,
गीली आंखों को भी रोने दे ज़रा, बहुत हंसती आंखों से रोया हूं मैं
ज़िन्दगी , क्यूं तुझसे कोई शिकायत करूं , इक मुझसे ही तू खफ़ा तो नहीं ,
तेरी वफ़ा पर होते रहे शुबहे , मौत मेहबूबा ही कभी हुई बेवफ़ा तो नहीं
छूटा गांव , बिछडे अपने , पकडी जो , उस रेल को कोसता हूं मैं ,
जीतने की ज़िद थी जिंदगी के खेल की , उस खेल को कोसता हूं मैं ...
जिंदगी को बहुत अच्छे से महसूसता रहा , कि इस देश का अवाम हूं मैं ,
जो यूं करता हूं ज़िक्र जिंदगी मौत का , बस इसलिए कि आदमी आम हूं मैं
जिंदगी यूं न कटेगी , इसे जीने का पहले ,दस्तूर समझ लो ,
सज़ा कबूलने में आसानी होगी ,इक बार अपना कसूर समझ लो
मत रोक मुझे , मत टोक मुझे , आज तो जी की कहने दे ,
कब तलक मुस्कुराती रहेंगी आंखे , आज अश्कों को बहने दे
मुझे नाहक ही दर्द महसूस हुआ , ये शाम ही है कुछ उदास उदास ,
जिंदगी इर्द गिर्द थी होठों के आजकल बसेरा है उसका आंखों के आसपास
दिन काट लेते हैं तपिश में जलाते खुद को ,क्यूं ये रात अच्छी नहीं लगती ,
कैसे मिलने का वादा करूं तुमसे जब खुद से मुलाकात अच्छी नहीं लगती
मुहब्बत से झूठी कोई शै नहीं ,इश्क से बडा और कोई व्यापार नहीं
जिंदगी तो हमेशा से बेवफ़ा रही है , मौत भी अपना यार नहीं ....
हर बार मैं तुझसे मिला के आंखें , मुस्कुरा दूं , ऐसा कोई करार नहीं है ,
जो तुझे मेरी कद्र नहीं , तो जा जिंदगी , मुझे भी तुझसे अब प्यार नहीं है
मानना पड़ेगा.. बहुत खूब लिखा है... यह अंदाज़ से मैं अनजान था.. थैंक्स फोर शेयरिंग...
जवाब देंहटाएंछूटा गांव , बिछडे अपने , पकडी जो , उस रेल को कोसता हूं मैं ,
जवाब देंहटाएंजीतने की ज़िद थी जिंदगी के खेल की , उस खेल को कोसता हूं मैं .
सभी पंक्तियाँ जीवन से जुड़ी सी ......
आज हवा का झोंका दिल छू कर निकल गया।
जवाब देंहटाएंबढ़िया है हो... :-)
जवाब देंहटाएंक्या बात है अजय भाई जय हो आपकी ... बेहद उम्दा भाव है !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - बुंदेले हर बोलों के मुंह, हमने सुनी कहानी थी ... ब्लॉग बुलेटिन
पत्थर के इस शहर में जाने हर ईंट क्यूं पराई है
जवाब देंहटाएंधधक रहा है कुछ भीतर , किसने ये आग लगाई है
हर बार मैं तुझसे मिला के आंखें , मुस्कुरा दूं , ऐसा कोई करार नहीं है ,
जो तुझे मेरी कद्र नहीं , तो जा जिंदगी , मुझे भी तुझसे अब प्यार नहीं है
बहुत खूब .... सभी बहुत बढ़िया
सुन्दर............
जवाब देंहटाएंअति सुन्दर......................
अनु
अनुपम भाव संयोजित किये हैं आपने ...
जवाब देंहटाएंकल 20/06/2012 को आपकी इस पोस्ट को नयी पुरानी हलचल पर लिंक किया जा रहा हैं.
आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
बहुत मुश्किल सा दौर है ये
चल माना दस्तूर अदला बदली का है , द्स्तूर निभाया ही जाए जरूरी तो नहीं
जवाब देंहटाएंजो देते रहे ताउम्र इस ज़िदगी को ,वही ज़िंदगी से पाया भी जाए जरूरी तो नहीं
....बिल्कुल ज़रूरी नहीं
छूटा गांव , बिछडे अपने , पकडी जो , उस रेल को कोसता हूं मैं ,
जवाब देंहटाएंजीतने की ज़िद थी जिंदगी के खेल की , उस खेल को कोसता हूं मैं ...
सब कुछ खो जाने के बाद बस मन मसोस के रह जाता है इंसान ... जब जीतने की जिद्द होती है तो कुछ नज़र नहीं आता ... लाजवाब है हर शेर ...
मुहब्बत से झूठी कोई शै नहीं ,इश्क से बडा और कोई व्यापार नहीं
जवाब देंहटाएंजिंदगी तो हमेशा से बेवफ़ा रही है , मौत भी अपना यार नहीं ....
बहुत बढ़िया सर!
सादर
अलग अंदाज. सुंदर प्रस्तुति.
जवाब देंहटाएंबधाई.
बहुत खूब ...अलग ही अंदाज़
जवाब देंहटाएंhar ke sher dil ko chhoo jane wale ehsas jagata hai.
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