प्रचार खिडकी

शनिवार, 28 फ़रवरी 2009

पड़ोस की आग अपना घर भी जलाती है

एक कहावत बहुत पुरानी है, यदि पड़ोसी के घर आग लगी हो तो अपने घर की सुरक्षा के बारे में भी सोच लेना चाहिए। इतिहास बताता है की देश समाज एवं सरकारों पर पड़ोस की दिशा और दशा का सकारात्मक नकारात्मक प्रभाव पड़ता ही रहा है। यूँ तो भारत भौगोलिक रूप से जिन भी देशों के साथ रहा है उनमें से कोई भी देश कभी भी भारत का सच्चा सखा साबित नहीं हुआ है। उल्टे इन देशों की आतंरिक अस्थिरता का खामियाजा भारत को ही परोक्ष प्रत्यक्ष रूप से भुगतना पड़ता है।

वर्तमान में दक्षिण एशियाई देशों विशेषकर भारत के पड़ोसी राष्ट्रों में अस्थिरता और अविश्वास से जैसा माहौल बना हुआ है वह न भारत के लिए बल्कि वैश्विक समुदाय के लिए भी चिंता का विषय बना हुआ है। पाकिस्तान में दशकों से चले आ रहे सता संघर्षतथा तानाशाई फौजे शाषन और प्रजातांत्रिक व्यवस्था के बीच चल रही रस्साकशी पर तब विराम लगने का अनुमान लगाया जा रहा था जब जनरल परवेज को गद्दी से उतात दिया गया। किंतु न जाने किन कारणों से पाकिस्तान में सत्तानशीन हुई नयी सरकार भी उस खतरे को दबा नहीं पाई जो ख़ुद पाकिस्तानी हुकूमत के साथ पूरे विश्व के लिया अब एक नासूर साबित हो रहा है। मामला इसलिए भी ज्यादा संवेदनशील हो जाता है क्योंकि पाकिस्तान भी बदकिस्मती से परमाणु संपन्न राष्ट्र है।

पाकिस्तान के अलावा श्रीलंका और बांग्लादेश की भी इन दिनों ज्वलंत परिस्थितियों से गुजर रहे हैं। बांग्लादेश की राष्ट्रीय सेना के जवानों द्वारा किया गे शास्त्र विद्रोह यही इशारा कर रहा है की आने वाला समय वहां की सरकार के लिए बेहद कठिनाई भरा होगा। श्रीलंका में तमिल चरमपंथियों याने लिट्टे तथा सरकारी सेना के बीच जारी शास्त्र संघर्स्ग में अब तक लाखों लोगों की जान जा चुकी है। स्वयं भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव गांधी की हत्या भी इसी संघर्ष का परिणाम थी। नेपाल में बेशक ही माओवादियों के सत्ता संभालने के बाद हालत शांतिपूर्ण दिख रहे हैं किंतु कितने दिनों तक सब ठीक रह पाता है ये तो देखने वाली बात होगी।

भारत इन दिनों बेहद सावधानीपूर्वक विकास के रास्ते पर अग्रसर है। विश्व में छाई गहरी आर्थिक मंदी के बावजूद यदि यहाँ अब तक सब कुछ बिल्कुल ठीक चल रहा है तो इसका सारा श्री निसंदेह भारत की प्रजातांत्रिक शाहन व्यवस्था तथा यहाँ की सहिष्णु जनता को जाता है। किंतु आसपास की बेहद नाजुक परिस्थितियों को देखते हुए भारत को अपने आप हरेक रूप में और हरेक हालातों से निपटने के लिए तैयार रहना होगा ताकि पड़ोसी के घर लगी आग की तपिश यहाँ तक न पहुंचे .

2 टिप्‍पणियां:

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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