प्रचार खिडकी

शनिवार, 4 जुलाई 2009

तो क्या टिप्न्नियाँ भी बंद कर दूं...?




जब ब्लॉग्गिंग शुरू की थी ..तभी से एक प्रबल इच्छा मन में उठती थी ....खूब सारे ब्लोग्स को पढने की..और खूब जम कर टिपियाने की..मगर कैफे के निर्धारित एक घंटे के समय में अक्सर एक पोस्ट नहीं लिखी जा पाती थी ..तो पढता क्या और टिपियाता क्या..इसके बाद ..आईडिया निकला ..एक दिन लिखने का ..और दूसरे दिन सिर्फ पढने और टीपने का...मगर फिर भी मन को तसल्ली नहीं होती थी..मन में हमेशा एक आस होती थी की चलो किसी न किसी दिन तो अपना भी कंप्यूटर होगा ..और तब हम भी नजर आयेंगे तिप्प्न्निकारों की सूची में...दरअसल किसी भी नए ब्लॉगर की तरह मैं भी उड़नतश्तरी जी से बेहद प्रभावित हुआ...

तिप्पन्नीकारी में दूसरी आदत जो आयी वो थी किसी भी पोस्ट को यदि पढ़ लिया तो बिना टिपियाते वहाँ से नहीं निकलना..वर्ड वेरिफिकेशन हो..या टिप्प्न्नी बक्सा देर से खुलता है..मगर नियम बन गया की जब घर में घुसे हैं तो खातिरदारी करवाके ही निकलेंगे...इसके बाद समय आया नए ब्लोगों में घूम घूम कर टिप्प्न्नी करने का...वहाँ कई बार लगभग न के बराबर लिखी गयी पोस्ट पर भी टिप्प्न्नी की..इसी दौर में ..बहुत से नए मित्रों ..ने अपनी प्रारम्भिक कठिनाइयाँ ..भी बाँटीं...जितना आता था बताया ..और खुद भी पूछते रहे ..सभी अग्रगामियों से ...

तिप्प्न्नियों में ये आदत भी स्वाभाविक रूप से आ गयी...की सीधे सीधे क्या लिख दें ....सपाट दीवार की तरह..तो जिसने शेर लिखे.....हमने भी एक बकरी बाँध दी उसके पीछे......जिसकी कविता पढ़ी .....उसके पीछे अपनी सविता (हमारी फटी चिटी पंक्तियाँ ) ..छोड़ दी..और गंभीर विषय पर ..गंभीर हो कर लिखा....हरयान्वी को हरयान्वी में...और भोजपुरिया को भोजपुरी में.....यदि विचारों से असहमति है ...तो खुल कर कहा ..क्यूँ ..किस बात पर ..सब कुछ ....और भाषा की मर्यादा का हमेशा ध्यान रखा....
मगर यही से शुरुआत हुई, लोगों ने तिप्पन्नियाँ ..उडानी शुरू कर दी ..इसके बाद धमकाने का आज कल प्रचलित अस्त्र का प्रयोग किया गया ...और अब तो ईमेल फीमेल ..सबसे प्यारे प्यारे सन्देश आ रहे हैं...भैया क्या करूँ ...बताओ क्या अब टिप्प्न्नी करना ..भी अपराध हो गया क्या......? मगर भैया चाहे जो हो ......यदि अपराध है तो यही सही...जिन्हें ऐसा लगे की मुझे उनकी पोस्ट पर टिप्प्न्नी नहीं करनी चाहिए ..बता दें.....हम आदेश मान लेंगे....क्यूंकि बहुत हैं प्यार बांटने-प्यार देने वाले.......

38 टिप्‍पणियां:

  1. खूब टिप्पणी करिए, किसने रोका है?
    लेकिन 'टिप्प्न्नियों' से कष्ट होता है, 'टिप्पणियाँ' लिखे न ! :)

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  2. हम तो टिप्पणी टिपाणे का कार्यक्रम जारी रखेंगे कोई कुछ भी कहे ।

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  3. बस यही अपराध हर बार करता हूं,
    ब्लागर हूं, हर टिपण्णी से प्यार करता हूं।

    लगे रहो कोई प्राब्लम नही है।

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  4. सबसे पहले तो यह करें कि अपनी प्रोफाइल में अपनी मुस्कुराती सी फोटो लगाएँ। जिस से टिप्पणी उड़ाने वालों की संख्या कुछ कम हो।

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  5. अरे अरे अजय भाई ऐसा ज़ुर्म ना करें 1वैसे कर के देख भी लें तो आपको दो दिन मे नानी याद आ जायेगी अब ये टिप्पणी से लागी छूटे ना बस आंख कान बन्द कर के लगे रहिये

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  6. kya karun girijesh jee kambakht ..transilitor service mein khoob koshish kee..magar kambakht tippnni nahin likha gaya ...aur hindi tankan kee klass jaaree hai ..tab tak jheliye....

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  7. टिप्पणी करनी चाहिए जी. टिप्पणियां उडाई जा रही हैं, यह बात कुछ समझ में नहीं आई. कोई आपकी टिप्पणियां क्या डिलीट कर दे रहा है या कोई आपकी टिप्पणियां कॉपी करके अपने नाम से दे रहा है. और टिप्पणी करने से धमकी मिल रही है, यह बात आज पहली बार सुनी. अगर ऐसा है तो यही कहा जा सकता है कि लोगों को अब टिप्पणियों की चिंता नहीं रही. ऐसे में ब्लॉग लेखन और निखरेगा.

    समझ में न आने के बावजूद यही कहूँगा कि टिप्पणियां करते रहे. लोगों का हौसला बढ़ाते रहे.

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  8. ब्लाग पर टिप्पणिया कौन सी रहें, कौन सी रद्दी की टोकरी में डाली जांय इस पर तो ब्लाग स्वामी का अधिकार होता है

    धमकाने और ईमेल भेजने का कारनामा तो वकीलों का सूना था, ये कोई और कौन है:)

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  9. जिसने यह धमकी दी है उसके बारे में अगर खुलकर नहीं तो चुपके से ही सही हमें बताया जाय ! कंपनी कुछ न कुछ उपाय करने की कोशिश करेगी !

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  10. बिलकुल शिव जी...अब क्या बताऊँ ...की क्या क्या हो रहा है ...किसी को कहा जा रहा ..आप टिप्प्न्नी न करें ...किसी को कहा जा रहा है ..ये जो टिप्प्णी की है ..उसे हटाओ ..और ये सब एक ही ..या शायद और भी कोई हो ..करने पर आमादा है...

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  11. क्या अजय जी, आप भी ना बातों को दिल पर ले बैठते हैं। अरे किसी ने टिप्पणी उड़ा दी तो आप उनकी बातों को हवा में उड़ा दो।

    हिसाब बराबर, किस्सा खतम :-)

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  12. पूरी बात तो समझ में आयी नहीं .. मै तो अभी भी टिप्‍पणियां करती ही हूं .. मुझे नहीं लगता कि इससे किसी को तकलीफ होती होगी !

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  13. अरे अजय भाई कोई धमकी वाली, बतमीजी वाली, ओर गेर जिम्मेदाराना टिपण्णि को कभी मत हटाओ, उसे सब लोग पढे ओर सभी उसे लानत भेजे गे, आप खांम्खा मै टेंशन क्यो लेते हो, फ़िर आप के ब्लांग पर कोई टिपण्णी कर क्र डिलिट कर दे तो क्या आप के पास तो ऎ मेल मै है ना, उसे फ़िर से उसी पोस्ट पर देदो.
    कम से कम हम सब को पता तो चले, ओर फ़िर धीरे धीरे सभी लोग इन से दुर हो जायेगे, आप अकेले क्यो फ़िकर करते है.

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  14. आपका कथन सत्‍य है, लोगों का तो काम ही कहना होता है, आप टिप्‍पणी देंगे तो भी और नहीं देंगे तो भी कुछ न कुछ तो कहना ही है ... वैसे मन जो कहे वही करना चाहिए ।

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  15. क्या हो गया भाई ,ऐसा क्यों लिखते हैं .

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  16. अजी टिप्पणी तो हाथ का मैल है!...:)

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  17. उन बदनाम गलियों की और जाते ही क्यूं हो अजय भाई

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  18. mujhe samajh nahin aa raha kee padhne-padhane kee baat bhee logon ko kyon akhartee hai. tipanee likhna to mujhe post likhne se bhee jyada mehnatee kam lagta hai. yah aasan kam nahin hai.

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  19. जो शब्‍द जैसे ण टाइप करने पर न आये तो भी न घबरायें शिफ्ट दबाकर लिखें वो ण ही आएगा। इसी तरह ट से ठ, स से श या ष जैसे अक्षरों में भी सफलता मिलेगी।
    लगे रहो।
    कोई कितना भी धमकाये पर आप न धमकना और धमकाने वाले को चना चबेना चबवा देना।
    जय हो
    अजय हो
    विजय हो।

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  20. भाई सही लिखा है आजकल स्वाईन फ़्ल्यु का मौसम चल रहा है.:)

    आपकी बात एकदम सही लगी की एक बार जिसके घर (ब्लाग) मे घुस जावो तो टिपणि करके ही निकलो..ये इसलिये सही है कि अगर उसी समय अनाम या अनामिका आकर टिपणी चेप गये और आप बिना टिपणी बाहर आये तो सट से आपका ही नाम ऊछाला जायेगा. सबने आजकल मीटर लगा रखे हैं. मेरी बात का समर्थन राज भाटिया जी अवश्य करेंगे. क्युंकि यहा करेगा कोई और भरेगा कोई.

    रामराम.

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  21. अविनाश भाई..बहुत बहुत आभार ..आप जैसे मार्गदर्शक हैं ..उनका स्नेह है तो ..मैं भी डटा ही हुआ हूँ...जानकारी के लिए धन्यवाद..
    मिश्र जी..उन गलियों में जाना तो छोड़ ही दिया है..अजी धरा क्या है वहाँ .....सिवा इसके.....??????

    ताऊ ,,मैंने इस एंगल से तो सोचा ही नहीं था...ये आपने खूब बताया ..चलो इसका एक फायदा ये भी होगा..

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  22. जब तक दम है कुछ भी हो पर टिपियाना नहीं छोडूंगा

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  23. एक बिच्छू धायल था. साधु उस रास्ते निकला. बिच्छू को उठाकर मलहम लगाया. बिच्छू ने डंक मार दिया. अगले दिन साधु फिर आया, मलहम लगाया और बिच्छू ने फिर डंक मारा. यह सिलसिला तब तक चलता रहा, जब तक बिच्छू बिल्कुल ठीक नहीं हो गया. किसी भक्त ने साधु से पूछा कि वो डंक मारता है, सारा गांव पीठ पीछे आपको मू्रख कह रहा है और आप रोज मलहम लगाये जा रहे हैं.

    साधु मुस्कराये (जैसा कि दिनेश जी सलाह दी है फोटो मुसराती हुई लगाने की आपको) कहा..देखो डंक मारना बिच्छू का स्वभाव है और मेरा स्वभाव सेवा करना..दोनों अपना अपना काम कर रहे हैं एक दूसरे की वजह से हम अपना स्वभाव क्यूँ बदलें और रही बात गांव वालों की पीठ पीछे बात करने की तो ईश्वर नें मुझे बाजू में कान दिये हैं, पीठ पर नहीं..तो क्यूँ सुनूँ पीठ पीछे की बात!!

    बस, आज के लिए इतना ही काफी. अपना स्वभाव न बदलें, टिप्पणी करते रहें.

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  24. हद में रहकर जो बात कही जाती है अजय जी उसकी ज़द दिल तक होती है । सोचसमझ कर, नाप तौल कर टीपना आपको हमेशा सुकून देगा। आज़मा के देखिएगा कभी।
    आपका अपना
    ---बवाल

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  25. समीर भाई ने बहुत पते की बात की..

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  26. लगे रहो भइया,
    जय जय ब्लोगिंग

    वीनस केसरी

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  27. बाबा समीरानंद की बातों को ध्यान में रखें और सब राग द्वेष भूल जायें, श्रीमान .... को उड़ाने दें तो आप भी उनको उड़ा दें।

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  28. aap un logo me se hai jo bahut honest hoke,dil se,aur rachna ko pyaar se padhke comment karte hai...ye baat dikh jaati hai...aapki ye aadat bahut achhee hai...email female s ekuch mat dariye,mujhe bhi ek do aaye haal me....mast rahiye...enjoy!!

    aur kahin nahi to mera blog haajir hai... :)

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  29. Tippni Kijiye Shok Se Janab, Magar Lekh Padhkar. Aise Tippnikaar Na Bane Ki Bina Pdhe Hi Caar Kaale Akshar Teep Dijiye. caahe Fir Malee-Female Athwa E-Male Ki Hi Baat Ho. Acha Likha Aapne. Meri Tippni Saweekaren

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  30. इस टिप्पणी से सहमत। मेरी ही मान लीजिए-

    टिप्पणी करनी चाहिए जी. टिप्पणियां उडाई जा रही हैं, यह बात कुछ समझ में नहीं आई. कोई आपकी टिप्पणियां क्या डिलीट कर दे रहा है या कोई आपकी टिप्पणियां कॉपी करके अपने नाम से दे रहा है. और टिप्पणी करने से धमकी मिल रही है, यह बात आज पहली बार सुनी. अगर ऐसा है तो यही कहा जा सकता है कि लोगों को अब टिप्पणियों की चिंता नहीं रही. ऐसे में ब्लॉग लेखन और निखरेगा.

    समझ में न आने के बावजूद यही कहूँगा कि टिप्पणियां करते रहे. लोगों का हौसला बढ़ाते रहे.

    जवाब देंहटाएं
  31. हम भी खूब पढ़ना चाहते हैं और खूब-खूब टिप्पणी करना चाहते हैं....मगर इतना समय कहाँ मिल पाता..

    हाँ, आपकी टिप्पणियां सब जगह मोहित करती नजर आती हैं।

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  32. अब इतनी टिप्पणियों के बाद क्या कहूँ.................जारी रखिये अपनी टिप्पणी

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  33. हम तो टुकुर टुकुर ताक ही रहे हैं, की कब तो आप आवेंगे और कब तो तिपियावेंगे...

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  34. Ajay ji aapke jaisa hi junoon mera bhi hai
    aur bhuktbhogi bhi hoon

    aap jaisa decide kare mujhe bhi bata dijiyega

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  35. aapki tipapniu se agar kisi ko gurej hai aur hatana chahe to hatata rahe..apa apna kaam jari rakhe

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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