अक्सर उनमें आग लगा देते हैं.....
उतनी तो दुश्मनी नहीं कि ,कत्ल कर दें मेरा ,
इसलिए वो रोज़ , जहर, बस जरा जरा देते हैं ......
मैंने कब कहा कि, गुनाह को उकसाया उसने ,
वे तो बस मेरे पापों को, थोडी सी हवा देते हैं....
वो जब करते हैं गुजारिश , घर अपने आने की,
जाने क्यूँ, हर बार, इक नया ही पता देते हैं......
मैं ठान लेता हूँ कई बार, अबके नहीं मानूंगा,
नयी अदा से वो, हर बार लुभा लेते हैं.......
जख्मों से अब दर्द नहीं होता, कोई टीस भी नहीं,
पर जाने क्यूँ जख्मों के निशाँ, रुला देते हैं......
जब भी जाता हूँ गाँव अपने, ऐसी होती है खातिर मेरी,
अपने ही घर में , मुझे, मेहमान बना देते हैं......
सिलसिला टूटता नहीं उनपर मेरे विश्वास का,
पुरानी को छोड़ , रोज़ इक नयी कहानी सुना देते हैं....
सिलसिला टूटता नहीं उनपर मेरे विश्वास का,
जवाब देंहटाएंपुरानी को छोड़ , रोज़ इक नयी कहानी सुना देते हैं....
ek sundar rachana dil aisa hi hota hai .....dil ke hare har hai dil ke jite jit ............
जख्मों से अब दर्द नहीं होता, कोई टीस भी नहीं,
जवाब देंहटाएंपर जाने क्यूँ जख्मों के निशाँ, रुला देते हैं......
जब भी जाता हूँ गाँव अपने, ऐसी होती है खातिर मेरी,
अपने ही घर में , मुझे, मेहमान बना देते हैं......
बहुत उम्दा लाइनें हैं.
बहुत अच्छा लिखा है आपने
जवाब देंहटाएंसुन्दर रचना है बधाई।
जवाब देंहटाएंnamaskaar mitr kya baat hai yaar aap to chhupe rustam nikle mai to hat prbh hun vyang likhe bala insaan itne sundar vyang likh sakta hai uske saath saath itni sundar ye rachna khash kar ye layne
जवाब देंहटाएंउतनी तो दुश्मनी नहीं कि ,कत्ल कर दें मेरा ,
इसलिए वो रोज़ , जहर, बस जरा जरा देते हैं ......
mai to nat mastak hun mitr
waah waah waah
bus shabd hi nahi
kya kahun
saadar
praveen pathik
9971969084
जब भी जाता हूँ गाँव अपने, ऐसी होती है खातिर मेरी,
जवाब देंहटाएंअपने ही घर में , मुझे, मेहमान बना देते हैं......
बहुत उम्दा लाइनें हैं.