है मौसम का सुरूर ,याकि तेरी नज़रों का कसूर,हर वक्त,इश्कियाने को जी चाहता है .............या मैं हो जाऊं फ़ना तुझमें ,या तू ही कुर्बान हो जा,कयामत तक इसे ही,आजमाने को जी चाहता है .........नहीं मुझे परवाह,अब दुनिया ए दौर की,तेरी नज़रों से,खुद को सजाने को जी चाहता है........मुझे फ़िक्र है दस्तूरों ,और, बंदिशों की, मगर ,करूं क्या कि जी ,बस यही ,और यही चाहता है ........मैंने कब कहा कि ,ये कुफ़्र नहीं है , होगा शायद,ये तो दिल ही जाने ,कब गलत, कब सही चाहता है ........इस कमबख्त दिल की,फ़ितरत ही कुछ ऐसी है,जो मिलना हो मुश्किलअक्सर , ये वही चाहता है ........तैयार है हर दिल यहां ,कोई उडने को आसमान,तो कोई भाग चलने को,इक ज़मीं चाहता है ..............हा हा हा ...........ये दिल बेइमान ....ये दिल बेलगाम...........ये दिल .......छोडो यार .........हा हा हा ..
प्रचार खिडकी
शनिवार, 21 अगस्त 2010
हर वक्त ! इश्कियाने को जी चाहता है......अजय कुमार झा
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बहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंवाह वाह ....क्या कहने अजय भाई ....एक दम ही इश्किया हो रहे है !! लगे रहिये !!
जवाब देंहटाएंतैयार है हर दिल यहां,
जवाब देंहटाएंकोई उडने को आसमान, तो कोई भाग चलने को,
इक ज़मीं चाहता है ..
क्या कहने!
अजय जी
जवाब देंहटाएंआज तो इश्क का सुरूर सिर चढ कर बोल रहा है मगर खूब बोल रहा है……………आपका जुनून तो छा गया आज्………………पढकर दिल बाग बाग हो गया।
क्या बात है जी...मौसम के ये तेवर और आपकी कविता...आनंद आ गया
जवाब देंहटाएंतैयार है हर दिल यहां,
जवाब देंहटाएंकोई उडने को आसमान, तो कोई भाग चलने को,
इक ज़मीं चाहता है ।
सुन्दर शब्द रचना ।
झा जी क्या बात है!
जवाब देंहटाएंमौसम का असर है या और कुछ ....!
हा हा हा ...........ये दिल बेइमान ....ये दिल बेलगाम...........ये दिल .......छोडो यार .........हा हा हा ..
जवाब देंहटाएंHar Pal Har Jagah Chaye Rahte hain
कहिये जी ... इश्क विश्क इस उमर में भी बेईमान हो गया है ?... हा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंवाह वाह ....क्या कहने अजय भाई ...
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर कविता जी,हां भाई आप की उम्र है, ओर मुंछे भी तो शायद इसी लिये सफ़ा चट करवा ली आप ने :)
जवाब देंहटाएंहै मौसम का सुरूर ,या
जवाब देंहटाएंकि तेरी नज़रों का कसूर,
हर वक्त,
इश्कियाने को जी चाहता है .............
रचना तो बहुत सुन्दर है मगर सलाह दूंगा कि कृपया वकालात को भी पूरा समय दे :)
दिल भी बन गया है नगर सेवा की बस 'मजाल',
जवाब देंहटाएंजो पूछिए गुंजाईश तो कहता 'बस एक और' !
मस्त... ज़बरदस्त! :-)
जवाब देंहटाएंकीजिये जो जी में आए
जवाब देंहटाएंकोई गड़बड़ झाला नहीं है....
बस ई ध्यान रखिये कहीं बीवी न गाने लगे
ओ मेरे सनम अब तो मुझे
जुतियाने को जी चाहता है....:):)
हाँ नहीं तो..!
हा हा हा हा....
वकील साहब,
जवाब देंहटाएंआज मौसम बड़ा बेईमान है??
दिल के जज्बात को बढ़ाते रहिये
जवाब देंहटाएंजब से मेकओवर किया है तब से बहक गए हो ....
जवाब देंहटाएं:):)...वो ज़मीं ही तो नहीं मिलती ...
बहुत खूबसूरत रचना ...
मौसम का मिजाज़ और ये ख्वाहिशें ...
जवाब देंहटाएंआसार अच्छे नजर नहीं आ रहे ....
अच्छी कविता ...!
आमीन !
जवाब देंहटाएंये दिल बेइमान ....ये दिल बेलगाम...........
जवाब देंहटाएंदिल है कि मानता नहीं ..
बहुत खूब
अजय कुमार झा जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार !
हर वक्त, इश्कियाने को जी चाहता है
अरे भाई , ध्यान रहे…
अति सर्वत्र वर्ज्यते
इसलिए चीनी कम !
मज़ेदार पोस्ट … बधाई !
- राजेन्द्र स्वर्णकार
अजय भाई बहुत अच्छी कविता है
जवाब देंहटाएंअच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंइसमे आपकी कोई गलती नहीं है
जवाब देंहटाएंohho.....kyaa baat hai :)
जवाब देंहटाएंwaah ji kya bat hai....bahut khub
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