बहुत सार्थक लेख ...कथानक भले ही समाज से लिए गए हों पर उनकी सार्थकता ज़रूर होनी चाहिए ...यही सोच एक फिल्म बनाते समय फिल्म निर्माताओं को सही दिशा दे सकती है ..
टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....
achha vishleshan kiya...... apne apne lekh mein.
जवाब देंहटाएंबहुत दिनों बाद पढ़ने को मिले हो।
जवाब देंहटाएंवाह जी, बहुत सुंदर लगा, धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत सार्थक लेख ...कथानक भले ही समाज से लिए गए हों पर उनकी सार्थकता ज़रूर होनी चाहिए ...यही सोच एक फिल्म बनाते समय फिल्म निर्माताओं को सही दिशा दे सकती है ..
जवाब देंहटाएंवाह बहुत बढिया. बधाई.
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