मां तेरे जाने के बाद ,
मुझे "मां "कहना भी ,
क्यों अजीब लगता है ?
जैसे ही,
करते हैं कोशिश ,
ये होंठ ,
एक कतरा आसूं का ,
बैठा आखों के करीब लगता है ॥॥
मां ,अब जाता हूं ,
जो घर कभी ,
मुझे मालूम है कि ,
अब मुझे,
हर स्टेशन से फ़ोन करके ,
ये नहीं बताना पडता कि ,
मैं पहुंचा कहां हूं ,
मुझे पता है कि ,
घर पर अब ,
सबको ये मालूम है कि ,
खाना तो मैं ,
सफ़र में ही खा लूंगा ,
और कोई मेरा ,
अब देर रात तक इंतज़ार नहीं करता ॥॥
मां , तेरे जाने के बाद ,
अक्सर ही ,
मुझे अकले बैठे पिताजी ,
याद दिलाते हैं कि ,
कौन सी ,वो जगह थी ,
जो खाली हो गई है ॥
मां , देख न तू ,
हुई कितनी निर्मोही ,
छोड गई ढेर सारे ,
भगवान मेरे लिए ,
मगर एक अकेली ,
तू ही नहीं रही,पास मेरे ॥॥
मां , अब तो मुझे ,
उम्र ये बहुत भारी लगती है ,
अब तो मुझे फ़िर से ,
इक अगले जनम
का इंतज़ार है ...
मां मिलेगी न
अगले जनम भी .
मां बनके .......मिलेगी न ......मिलेगी न ...????????
मां तो है मां, मां तो है मां,
जवाब देंहटाएंमां जैसा दुनिया में और कोई कहां...
जय हिद...
ओह!
जवाब देंहटाएंजरुर मिलेगी मेरे भाई.
मार्मिक !
जवाब देंहटाएंमाँ की जितनी व्याख्या की जाये कम है।
जवाब देंहटाएंबहोत ही मार्मिक चित्रण
जवाब देंहटाएंबेहद संवेदनशील रचना..अजय भैया अपने तो भावुक कर दिया...माँ को प्रणाम..भावपूर्ण रचना के लिए बधाई
जवाब देंहटाएंमाँ बस माँ होती है
जवाब देंहटाएंमाँ का रिश्ता ही ऐसा है......
जवाब देंहटाएंउनका आशीष राह में हर दुःख दर्द से आपको दूर रखे..
बहुत ही मार्मिक .. पढकर आँखों में आंसूं आ गए ...
जवाब देंहटाएंबहुत भावभीनी और मार्मिक रचना ..
जवाब देंहटाएं... behad samvedansheel ... maarmik rachanaa ... rachanaa ke liye badhaai !!!
जवाब देंहटाएंइसे मेरे भी विचार माने
जवाब देंहटाएंदुनिया भर में माँ पर ऐसी ही कवितायें लिखी जानी चाहिये ।
जवाब देंहटाएंआप की मन की गहराईयों से निकली ये पंक्तियां....
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना मंगलवार 23 -11-2010
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ...
कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
बहुत ही सुंदर.... पंक्तियाँ आँखें नम कर गयीं ......
जवाब देंहटाएंदिल के दर्द का मार्मिक चित्रण्।
जवाब देंहटाएंभावनाओं से भरी .. मार्मिक रचना ...
जवाब देंहटाएंमार्मिक रचना। जरूर मिलेगी माँ बेटे की पुकार सुन लेती है।
जवाब देंहटाएंये दर्द मेरा भी है.. आँखे भर आई इस मार्मिक रचना से जो मुझे खुद पे घटित होती हुवी लगती है..
जवाब देंहटाएंअभिभूत करने वाली सुन्दर रचना!
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ!
kavit aur bhav dono sunder haen
जवाब देंहटाएंkeep it up
मन की गहराईयों से निकली....मार्मिक रचना ..
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