प्रचार खिडकी

शुक्रवार, 19 नवंबर 2010

मां तेरे जाने के बाद ......फ़िर अगले जनम का इंतज़ार है मुझे ...




मां तेरे जाने के बाद ,
मुझे "मां "कहना भी ,
क्यों अजीब लगता है ?
जैसे ही,
करते हैं कोशिश ,
ये होंठ ,
एक कतरा आसूं का ,
बैठा आखों के करीब लगता है ॥॥
मां ,अब जाता हूं ,
जो घर कभी ,
मुझे मालूम है कि ,
अब मुझे,
हर स्टेशन से फ़ोन करके ,
ये नहीं बताना पडता कि ,
मैं पहुंचा कहां हूं ,
मुझे पता है कि ,
घर पर अब ,
सबको ये मालूम है कि ,
खाना तो मैं ,
सफ़र में ही खा लूंगा ,
और कोई मेरा ,
अब देर रात तक इंतज़ार नहीं करता ॥॥
मां , तेरे जाने के बाद ,
अक्सर ही ,
मुझे अकले बैठे पिताजी ,
याद दिलाते हैं कि ,
कौन सी ,वो जगह थी ,
जो खाली हो गई है ॥
मां , देख न तू ,
हुई कितनी निर्मोही ,
छोड गई ढेर सारे ,
भगवान मेरे लिए ,
मगर एक अकेली ,
तू ही नहीं रही,पास मेरे ॥॥
मां , अब तो मुझे ,
उम्र ये बहुत भारी लगती है ,
अब तो मुझे फ़िर से ,
इक अगले जनम
का इंतज़ार है ...
मां मिलेगी न
अगले जनम भी .
मां बनके .......मिलेगी न ......मिलेगी न ...????????



23 टिप्‍पणियां:

  1. मां तो है मां, मां तो है मां,
    मां जैसा दुनिया में और कोई कहां...

    जय हिद...

    जवाब देंहटाएं
  2. माँ की जितनी व्याख्या की जाये कम है।

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहद संवेदनशील रचना..अजय भैया अपने तो भावुक कर दिया...माँ को प्रणाम..भावपूर्ण रचना के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  4. माँ का रिश्ता ही ऐसा है......


    उनका आशीष राह में हर दुःख दर्द से आपको दूर रखे..

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत ही मार्मिक .. पढकर आँखों में आंसूं आ गए ...

    जवाब देंहटाएं
  6. ... behad samvedansheel ... maarmik rachanaa ... rachanaa ke liye badhaai !!!

    जवाब देंहटाएं
  7. दुनिया भर में माँ पर ऐसी ही कवितायें लिखी जानी चाहिये ।

    जवाब देंहटाएं
  8. आप की मन की गहराईयों से निकली ये पंक्तियां....

    जवाब देंहटाएं
  9. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना मंगलवार 23 -11-2010
    को ली गयी है ...
    कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..


    http://charchamanch.blogspot.com/

    जवाब देंहटाएं
  10. बहुत ही सुंदर.... पंक्तियाँ आँखें नम कर गयीं ......

    जवाब देंहटाएं
  11. दिल के दर्द का मार्मिक चित्रण्।

    जवाब देंहटाएं
  12. मार्मिक रचना। जरूर मिलेगी माँ बेटे की पुकार सुन लेती है।

    जवाब देंहटाएं
  13. ये दर्द मेरा भी है.. आँखे भर आई इस मार्मिक रचना से जो मुझे खुद पे घटित होती हुवी लगती है..

    जवाब देंहटाएं
  14. अभिभूत करने वाली सुन्दर रचना!
    शुभकामनाएँ!

    जवाब देंहटाएं
  15. मन की गहराईयों से निकली....मार्मिक रचना ..

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...