मजदूर दिवस को ,
फ़िर आज ,
मनाने की ,
जोरदार थी तैयारी ....
मीडिया की ,
फ़िर मंत्री जी की ,
और टाटा-बिडला की भी ,
आज आनी थी बारी ,
सबने की घोषणा ,
अबकि इसे,
मजदूरों के बीच ही ,
जाकर मनाया जाएगा
कितनी चिंता है ,
आज हमें, कामगारों की ,
उन्हें साथ बिठाकर
ये बताया जाएगा
शहर के छोर की ,
गंदी झुग्गी बस्ती के ,
एक कोने की ,
कराई गई सफ़ाई
टेंट लगे और ,
बडे से भोंपू , ताकि ,
जो बोलें मंत्री जी ,
वो सबको दे सुनाई
नेताजी आए , थोडा
अचकचाए फ़िर सकपकाए,
अरे ! अब आ गए हम हैं ,काहे का गम है ,
लेकिन आपकी संख्या थोडी कम है ??
पीए ने कान में बताया ,
फ़ुसफ़ुसा के समझाया ,
नेताजी जल्दी से कुछ भी ,
बोले के , फ़ौरन जाईये निकल,
अभी अभी पता चला है कि ,
इस बस्ती के ,दस मजदूर ,
कल लगी तो जो आग ,
उसमें जिंदा गए थे जल
आयं ! काहे की ,फ़ैक्ट्री थी ,
कौन सा था वो कारखाना
अबे जब ऐसा था तो ,
तुम्हें ये पहले ही था बताना
सर, जूतों का था वो कारखाना,
जहां कल लगी थी आग ,
मालिक ने जड दिया था ताला ,
अंदर दस जिंदगियां राख
नेताजी चौंके, नीचे उतर आए ,
चलो फ़िर मंत्रालय में ही मजदूर दिवस मनाते हैं ,
अच्छा हुआ जूते जल गए , और मजदूर भी ,
पहले जूते बनाते हैं , बाद में जूते चलाते हैं
सुना है कि सरकार ने आज उन अभागे मजदूरों के परिवार वालों को दो दो लाख रुपए का मुआवजा देने की घोषणा की है ...काश कि इस या इससे ज्यादा मुआवजे में ..मजदूरों को भी कभी ...एक फ़ैक्ट्री मालिक , एक नेता या मंत्री जिंदा जलाने को मिल जाता
एकदम सही लिखा आपने.
जवाब देंहटाएंसचाई है इस रचना में।
जवाब देंहटाएंआपको शायद यह मालूम होगा की मुआवजे में एक लाख रुपये मिलते है और बड़े आदमी के घर का एल ई डी टीवी एक लाख पच्चीस हज़ार का आता है इससे एक आम आदमी की हैसियत का पता चलता है |
जवाब देंहटाएंबेहद संवेदनहीन होता जा रहा है समाज... बहुत ही सार्थक रचना!!!
जवाब देंहटाएंबहुत संवेदनशील रचना ...
जवाब देंहटाएंसमाज की संवेदनशून्यता पर सटीक टिप्पणी..
जवाब देंहटाएंसहमत हे जी आप की इस रचना से
जवाब देंहटाएंआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
जवाब देंहटाएंप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (2-5-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
sachchai isi men hai ki sarkar tak kyon jaayen kya hamane apane yahan kaam karne valon ko majadoor divas par koi chhutti ya atirikt paisa diya hai? agar nahin to ham usi sarkar ya malik ka ek chhota hissa nahin hain.
जवाब देंहटाएंचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 03- 05 - 2011
जवाब देंहटाएंको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.blogspot.com/
पैसों के बदले एक आदमी को जलने की छूट होती ...
जवाब देंहटाएंझकझोरती है यह लाईन, मगर जिस यस सब इसी तरह चलता रहा तो दुखी जनों के हृदयं में पीड़ा इसी नफरत का रूप लेगी ही ....
करारा कटाक्ष
जवाब देंहटाएंयथार्थ की भावभूमि पर लिखी गयी करुणापूरित व्यंग्य कविता .......बहुत अच्छी
जवाब देंहटाएंभावनाओं को मथने वाली उत्कृष्ट रचना। काश की एक दिन आये जब मजदूरों को उनके श्रम का पूरा मूल्य मिले और वो भी उनका पसीना सूखने के पहले।
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी,मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे.ऐसा मेरा विश्वास है.
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी, क्या आप हिंदी से प्रेम करते हैं? तब एक बार जरुर आये. मैंने अपने अनुभवों के आधार ""आज सभी हिंदी ब्लॉगर भाई यह शपथ लें"" हिंदी लिपि पर एक पोस्ट लिखी है. मुझे उम्मीद आप अपने सभी दोस्तों के साथ मेरे ब्लॉग www.rksirfiraa.blogspot.com पर टिप्पणी करने एक बार जरुर आयेंगे. ऐसा मेरा विश्वास है.
जवाब देंहटाएंश्रीमान जी, हिंदी के प्रचार-प्रसार हेतु सुझाव :-आप भी अपने ब्लोगों पर "अपने ब्लॉग में हिंदी में लिखने वाला विजेट" लगाए. मैंने भी कल ही लगाये है. इससे हिंदी प्रेमियों को सुविधा और लाभ होगा.