पापा जी इकोनोमिक्स वाले |
खबरी लाल : पीएम साहब ! पेट्रोल की कीमत फ़िर बढा दी है सरकार ने , क्या आपको अब भी नहीं लगता कि महंगाई आसमान छू रही है । जनता त्रस्त से पस्त वाली स्थिति की ओर अग्रस है और आप शाश्वत रूप से मस्त वाली कटेगरी में फ़िट हो गए हैं ..इस बार पेट्रोल की कीमत आपने पांच रुपए बढा दी , सर जी ..पिछले कुछ महीनों में आपने छब्बीस रुपए तक बढा दिया है ..आपको पता है ..
पापा जी इकोनोमिक्स वाले : सॉरी ! नो क्वेश्चन ऑफ़ इकोनोमिक्स प्लीज़
खबरी लाल : अच्छा सर , किसानों की समस्या तो सुना है कि आप तक पहुंच गई , जी..नहीं नहीं सर किसान की समस्या ..कसाब की समस्या नहीं ..किसान की समस्या ..देश के किसान की समस्या तो आप तक पहुंच गई है न ..जी हां हां कसाब को तो आपकी सरकार समस्या मानती ही नहीं है ..सर अभी भट्टा परसौल में ..इतने किसानों की जानें चली गई ...बाबा ......नहीं सर ..बाबा से मेरा तात्पर्य बाबा रामदेव नहीं है ...सर बाबा बोले तो राहुल बाबा ..तो खुद फ़टाक से फ़टफ़टिया पर लिफ़्ट लेकर पहुंच गए ..भट्टा में बहिन जी का भट्टा बैठाने के लिए किंतु बहिन जी दन्न से बरेली का बांस कर दिया ..बाबा निकल लिए .तो सर आपको पता है कि किसानों के मरने का आंकडा हर साल उन्नीस प्रतिशत बढ
पापा जी इकोनिमिक्स वाले : सॉरी ! नो क्वेश्चन ऑफ़ इकोनोमिक्स प्लीज़
खबरी लाल : लानत है , अब इसमें भी इकोनोमिक्स ही था ..अच्छा चलिए इसको भी जाने दीजीए ..सर राष्ट्रमंडल खेल को अब लोग भ्रष्टमंडल खेल कहने लगे हैं ..सर उसमें तो सुना है कि कलमाडी जी ने उतना कमा लिया जितना कि ललित मोदी भी न कमा सके थे ..क्रिकेट प्लेयर्स को चीयर लीडर्स में बदल कर ...आखिर सच क्या है सर ..सुना है कि कलमाडी का काला मुंह जनता के सामने सिर्फ़ इस लिए आ गया क्योंकि उन्होंने किसी के साथ मुंह काला नहीं किया और खुद ही सारी रकम डकार ली ..सर सुप्रीम कोर्ट तक इतने जारे जीरो एक ही नीरो के कब्जे में देख कर चकित हो गई ..तो सर उस घोटाले में तो अलग अलग सैक्शन बनाए जा सकते हैं ...एक में नौ सौ करोड ......दूसरे मे पांच हजार करोड ..सर सर ..
पापा जी इकोनिमिक्स वाले : सॉरी ! नो क्वेश्चन ऑफ़ इकोनोमिक्स प्लीज़
खबरी लाल :आयं , ये भी इकोनोमिक्स से ही रिलेटेड था सर ...अच्छा सर चलिए इन सबसे दूर हट कर कोई अलग सवाल लेते हैं ....सर कहा जा रहा है ..आपकी पार्टी के युवराज बहुत ज्यादा एज़ के हो रहे हैं ..शादी वैगेरह का कोई चक्कर ही नहीं चल रहा है ..अब देश भी एक युवराज का शाही शादी देखने के लिए बेताब है सर ...उनकी उम्र भी तो अब हो गई है .,.....
पापा जी इकोनिमिक्स वाले : सॉरी ! नो क्वेश्चन ऑफ़ इकोनोमिक्स प्लीज़ ..
खबरी लाल : सत्यानाश , सब कुछ इकोनोमिक्स ही है ..ओह अब तो कुछ पूछते भी डर लगता है ..अच्छा सर आप अपने पीएम बनने के सफ़र को कैसे देखते हैं ...हे भगवान अब इसमें भी इकोनोमिक्स न निकल जाए
पापा जी इकोनिमिक्स वाले : हे हे हे हे ..फ़ायनली यू आस्कड मी ए माई लाईक क्वेश्चन ....सी मैडम के त्याग के बारे में ..आई नैवर फ़ील सॉरी ...एक्चुअली ..
खबरी लाल : ....बस बस बस बस ..सर टाईम खत्म ..बीच में ..ये तो बडा टोइंग है .....के विज्ञापन भी आने हैं ....
सॉरी ! नो क्वेश्चन ऑफ़ इकोनोमिक्स प्लीज़
जवाब देंहटाएंहर सवाल इकोनोमिक्स से ही जुडा है
इक्नोनोमिक्स वाले पापा जी बेशक इससे जुड़े सवालों के जवाब न दे पाते हो पर जब सवा करोड़ जनता जवाब देगी तो इन्हे सारे सबजेक्ट खुद ब खुद याद आ जाएगा।
जवाब देंहटाएंपापाजी पर कुछ रहम कीजिए...
जवाब देंहटाएंक्यों बेचारे पापा जी का बैंड बजा रहे हैं जैसे तैसे तो फ़ैविकोल का जोड लगाकर बैठे हैं कुर्सी से चिपक कर और आप है कि……………अरे छोडिये और उनके मन के प्रश्न ही पूछिये जनता का क्या है उसे आदत है हर हाल मे जीने की अगर ये बेचार यदि कुर्सी से हट गये तो कैसे जीयेंगे कम से कम इनकी तो सोचिये।
जवाब देंहटाएंबिना इक्नोमिक्स के तो जीवन ही नहीं चलता है , उन्हें पोलिटिक्स भी नहीं आती है , सो उससे रिलेटिड क्वेश्चन पूछे जाने चाहिए. मिट्टी के माधो पर पानी डाल लें तो बह जायेंगे.
जवाब देंहटाएंकाशः पापा जी ने मार्क्स की पूंजी पढ़ी होती। अव्वल तो जो किया है वो नहीं करते। करते तो जवाब देने से मना नहीं करते।
जवाब देंहटाएं:) :) बहुत बढ़िया कटाक्ष ...
जवाब देंहटाएंअरे अरे पापा जी पहले ही परेशान हे ही ही ही ही कर के, छोडो छोडो..... इन की उम्र ओर सफ़ेद दाडी का लिहाज तो करो,देश जाये भाड मे, जनता मरे भुखी लेकिन इन का दिल ना दुखाओ, इन्हे तो अपनी पार्टी बचानी हे..... यार आखिर कुर्सी का सवाल हे....
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया कटाक्ष|धन्यवाद|
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