प्रचार खिडकी

गुरुवार, 1 मई 2008

एक कविता

होते होंगे,
कई दर्द,
मीठे भी,
हमें तो,
हर दर्द,
का स्वाद,
कसैला लगा है॥

हुए होंगे,
किसी के साथ
हसीन हादसे भी,
हमें तो ,
हर चोट से,
सदमा पहुंचा है॥

होता होगा,
वक्त, किसी के ,
साथ भी,
हमारे तो,
हमेशा ही,
आगे या पीछे,
रहता है॥

मगर ये हो सकता है कि ऐसा सिर्फ़ हमारे ही साथ होता हो?

5 टिप्‍पणियां:

  1. नहीं भाई ऐसा सभी के साथ होता है .

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  2. दर्द कभी किसी को सुहाता नही है चाहे वह कोई भी हो . दिल की आवाज कलम से उकेरने के लिए धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  3. अनुभव ....दर्द भरे या नुकीले .....लेखन में आ जाए....तो चिंतन में पकड़ लाता है

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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