प्रचार खिडकी

मंगलवार, 4 अगस्त 2009

आवाजें ....क्यूँ बेआवाज हो जाती हैं ..?







सुना है कि,
दिल्ली देश का दिल है ,
यानि पूरे देश
रूपी शरीर के ,
बिलकुल मध्य में स्थित ,

ये भी सुना है है कि,
उस दिल्ली के
बीचों बीच एक ,
बहुत बड़ा केंद्र
बना हुआ है,

सभी तकनीकों ,
और ,तरकीबों से लैस,
वहाँ कुछ लोग
बैठे हैं ,इसलिए ताकि
उस गोल इमारत में
सभी दिशाओं से ,
आवाजें पहुँच सकें ,

आवाजें पहुँचती भी ,
होंगी शायद ,
या कभी पहुंचाई जाती होंगी,
मगर हमेशा वो ,
डूब जाती हैं ,
उस गोल इमारत के ,
अन्दर घूम घूम कर ,
भंवर में फंस कर ..

मैं आज तक ,
नहीं जान पाया ,
जाने वे आवाजें ,
वहाँ तक पहुँच कर ,
बेअवाज क्यूँ हो जाती हैं .....?

5 टिप्‍पणियां:

  1. मैं आज तक ,
    नहीं जान पाया ,
    जाने वे आवाजें ,
    वहाँ तक पहुँच कर ,
    बेअवाज क्यूँ हो जाती हैं .....?



    गहरी नींद में बैठे है सभी.....आवाज कैसे पहुंचेगी या पहुंचायी जायेगी......?

    जवाब देंहटाएं
  2. आवाज तो पहुँचती है पर कोई सुनने को तैयार नही है.....

    जवाब देंहटाएं
  3. बेहतरीन सोच -- सार्थक चिंता

    जवाब देंहटाएं
  4. आवाज तो पहुँचती है पर कोई सुनने को तैयार नही है.....

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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