प्रचार खिडकी
गुरुवार, 11 जून 2009
मैं, चिट्ठासिंग ,और महिला आरक्षण
जब भी किसी गंभीर मुद्दे पर बाबा रामदेव की कपाल भारती वाली मुद्रा में ध्यान लगा कर सोच रहा होता हूँ. ये चिट्ठासिंग (अरे वही पाजी जिसकी हर्बल जूतों की दूकान है मेरी गली में ) कमबख्त पता नहीं कहाँ से आ जाता है..और मुझे मंझधार वाली स्थिति से सीधे बंटाधार वाली स्थिति तक ले जाता है .
आते ही चीखा ," हाँ भाई ..चिट्ठोरे,( कहता है जो लुच्चे होते हैं उन्हें मैं छीछोरे कहता हैं और जो टुच्चे होते हैं और लिखते भी हैं ..उन्हें चिट्ठोरे ) क्यूँ ऐसे मुतमईन बैठा है ...न तो तेरे से पहेली बूझी जाती ...न कोई इनाम जीता जाता..तो फिर ये चिंतन मनन क्यों कुछ भी ठेल ठाल. दे...वैसे भी पढ़ कौन रहा है....
अबे जा चिट्ठे..तुझे क्या पता...इन दिनों महिला आरक्षण पर बड़ी ही तीखी बहस चल रही है...
अच्छा अच्छा तो तुम लोग भी लग गए इस ड्रामे में ...रुको इससे पहले की कुछ और कहो सुनो मेरे कुछ सवालों का जवाब दो ...बिलकुल सीधे सीधे ..स्पष्ट ..
अच्छा बताओ इस वक्त देश के सबसे बड़े पद...राष्ट्रपति ..पर कौन है ..पुरुष या महिला...?
मुझे पता था ,,तुम यही कहोगे..महिला...मगर ..तुम्हें याद दिला दूं की इस पद पर कोई महिला पहली बार ही बैठी है...
चुप चुप....ये पहली बार वाला राग मत गा...अबे कोई दलित बना तो पहला दलित..कोई महिला बनी तो पहली महिला..कोई वैज्ञानिक बना तो पहला वैज्ञानिक...अमा कोई भी बने तुम लोग ये पहले वाला एंगल जरूर घुसेड दोगे...अब चुपचाप मेरे सवालों का जवाब दे.......
अच्छा ये बता लोक सभा के अध्यक्ष के रूप में किसे चुना गया है ..पुरुष या महिला को...
महिला को ..मीरा कुमार..मगर ये पहली....मैं सिटपिटा कर चुप हो गया..
अच्छा ये बता ये जो दो बार से तुम प्रधानमंत्री बना रहे हो ..आज जिस राजनितिक दल के हाथ में देश की बागडोर है ..उस पार्टी की बागडोर किसके हाथ में है..पुरुष या महिला...
मैं गुस्से से घूर कर रह गया.........
चल छोड़ ...तू ये बता...देश की राजधानी दिल्ली ..की सरकार का मुखिया कौन है..पुरुष या महिला...?
नहीं बता रहा ..और सुन ,... उत्तर प्रदेश. राजस्थान...और भी कई राज्यों जिनका नाम अभी मुझे याद नहीं है का मुख्या मंत्री कौन है..पुरुष या महिला..
अबे सबसे धाँसू मंत्रालय..रेल मंत्रालय किसके पास है..पुरुष या महिला...के..
अबे घोंचू..आज जहां देख ..वहाँ महिला राजनीतिज्ञों की धाक पहले से ही है..क्या आरक्षण से कुछ अलग हो जाएगा...
बेटा ..सब कुछ ढोंग है...कूटनीति है...जैसे हिंदी कमजोर ..कमजोर है..का धंधा फल फूल रहा है न ..वैसे ही ये दूकान भी चल रही है..ताकि सब को कहने का मौका मिलता रहे की ..देखो महिला कमजोर है ..उन्हें आरक्षण देंगे तभी उनका कल्याण होगा...और ये तेरी महिलाएं भी कम नहीं है ...इस आरक्षण के लिए क्यूँ नहीं सारी महिला राजनीतिज्ञ एक साथ हो लेती...और छोड़ ये कभी एक साथ होती ही नहीं...तू ही बता इस पोस्ट के लिए गूगल बाबा का कितना सर खाया तब जाके ये तस्वीर मिली है....सब दिखावा है ...कुछ दिनों तक इसी बहाने देश को भटकाया जाएगा ताकि ..बाजार में आलू प्याज के दाम सुनते समय भी उसके दिमाग में यही गूंजे ..महिला आरक्षण....समझा ..यार ..
जा जा तो जा..तू मुझे पथ भ्रष्ट कर देता है...मैं फिर कपाल भारती की मुद्रा में बैठ रहा हूँ....
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व्यंग्य
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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