प्रचार खिडकी

शनिवार, 13 जून 2009

वे एहसानों का हिसाब रखते हैं..


डरते हैं अब तो,
पास जाते उनके,
सुना है की,
वे एहसानों का हिसाब रखते हैं.......

बालों की सफेदी से,
मौत भुलावे में,
कहीं भेज न दे बुलावा,
बोतलों में नहीं ,
वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....

कत्ल करने से गुरेज नहीं,
सजा का भी खौफ नहीं,
एक हाथ में खंज़र,
दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....


ये अलग बात है की देखते नहीं,
नजर भर में पलट दें , तख्त-ताज,
लफ्जों में क़यामत,
आँखों में सैलाब रखते हैं....

आदमियों की भीड़ में,
इंसानों की तलाश हुई मुश्किल,
इंसान की सूरत सा ,लोग,
चेहरे पर नकाब रखते हैं..



16 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत बढिया रचना है।बधाई स्वीकारें।

    बहुत बढिया लिखा है--

    कत्ल करने से गुरेज नहीं,
    सजा का भी खौफ नहीं,
    एक हाथ में खंज़र,
    दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....

    जवाब देंहटाएं
  2. भाई अजय जी
    बहुत ही बढ़िया रचना लिखी है . बधाई स्वीकार करें और लिखते रहिये.

    जवाब देंहटाएं
  3. कत्ल करने से गुरेज नहीं,
    सजा का भी खौफ नहीं,
    एक हाथ में खंज़र,
    दूसरे में कानून की किताब रखते हैं....
    अरे बाप रे..... मरवा दिया ना:)
    अजय जी आप ने बहुत ही सुंदर रचना पेश की है.
    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  4. sarvthaa naye bimb aur naye pratikon dwara gazab kar diya ,
    aapne atyant hridaysaprshi kavita rachi hai
    aapko badhaai...................

    जवाब देंहटाएं
  5. ऐसे लोग तो पड़ोस में
    बेहिसाब बसते हैं
    जिनके लिए जीवन सस्‍ता है
    मूल्‍य जिनके लिए सस्‍ते हैं।

    जवाब देंहटाएं
  6. उम्दा लिखा है अजय भाई। एक गुज़ारिश है अपनी टिप्पणियों को भी रचना मान सहेजा करें....आपकी टिप्पणियां भी बेहत रचनात्मक होती हैं।

    जवाब देंहटाएं
  7. लफ्जों में क़यामत,
    आँखों में सैलाब रखते हैं....
    बेहतरीन लाइनें .

    जवाब देंहटाएं
  8. बहुत सुंदर अजय जी,
    अच्छा लगा,

    कोई नही डरता है आज इंसानियत तो रुलाने से,
    मानवता को भुलाने से,
    कही कोई कमजोर नही है,आज तो
    अमीर ग़रीब सब मुँहतोड़ जवाब रखते है.

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बहुत सुंदर रचना। आप का कविता लेखन बहुत ही सधा हुआ है।

    जवाब देंहटाएं
  10. आपकी कविता पढकर अभिभूत हूं, अंतिम चार पंक्तियों में आपने जिंदगी का आइना खोल कर रख दिया है।

    -Zakir Ali ‘Rajnish’
    { Secretary-TSALIIM & SBAI }

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  11. Bahut khoobsurat..umda lekhen.... aabhar.
    Hindi me tippani kaise kare aapke blog par?

    जवाब देंहटाएं
  12. सुरभि जी सिर्फ इसी नहीं किसी भी ब्‍लॉग पर यूनीकोड में लिखकर टिप्‍पणी की जा सकती है।

    जवाब देंहटाएं
  13. सार्थक और लाज़बाब
    बालों की सफेदी से,
    मौत भुलावे में,
    कहीं भेज न दे बुलावा,
    बोतलों में नहीं ,
    वे मटकों में खिजाब रखते हैं.....


    धन्यवाद

    जवाब देंहटाएं
  14. लफ्जों में क़यामत,
    आँखों में सैलाब रखते हैं....
    बेहतरीन लाइनें .

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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