पूरा लेख पढ़ लिया जी। सच कहा आप ने - मुख्य समस्या तो इनको मिलते धन की है। चाहे साम्राज्यवाद हो या ज़िहादी जुनूँ - इनका पोषण और सम्वर्धन इन्हीं के पैसों से हुआ है। अब तो बात बहुत आगे बढ़ चुकी है। जाने हल मिलेगा भी कि नहीं?
झा साहब! आपके लिए यह बेसक रद्दी की टोकरी हो,लेकिन हमें तो यहां बडे काम की चीजें मिल रही हें.रविवार के दिन,दरियागंज के पटरी पर लगने वाले किताबों के कबाडी बाजार में,कभी-कभी बडे काम की चीजें मिल जाती हे.
टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....
नई दुनिया में कलम घसीटने के लिए बधाई हो।
जवाब देंहटाएंअहिंसा का सही अर्थ
पूरा लेख पढ़ लिया जी। सच कहा आप ने - मुख्य समस्या तो इनको मिलते धन की है। चाहे साम्राज्यवाद हो या ज़िहादी जुनूँ - इनका पोषण और सम्वर्धन इन्हीं के पैसों से हुआ है। अब तो बात बहुत आगे बढ़ चुकी है।
जवाब देंहटाएंजाने हल मिलेगा भी कि नहीं?
बिलकुल सही लिखा धन्यवाद
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लगा पढ़कर।
जवाब देंहटाएंझा साहब! आपके लिए यह बेसक रद्दी की टोकरी हो,लेकिन हमें तो यहां बडे काम की चीजें मिल रही हें.रविवार के दिन,दरियागंज के पटरी पर लगने वाले किताबों के कबाडी बाजार में,कभी-कभी बडे काम की चीजें मिल जाती हे.
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा । धन्यवाद्
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही लिखा धन्यवाद
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