प्रचार खिडकी

रविवार, 20 दिसंबर 2009

वैश्विक आतंकवाद की बढ़ती चुनौती (नई दुनिया में प्रकाशित एक आलेख )







नई दुनिया में प्रकाशित एक आलेख (आलेख को पढने के लिए इस पे चटका लगाएं )

7 टिप्‍पणियां:

  1. नई दुनिया में कलम घसीटने के लिए बधाई हो।

    अहिंसा का सही अर्थ

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  2. पूरा लेख पढ़ लिया जी। सच कहा आप ने - मुख्य समस्या तो इनको मिलते धन की है। चाहे साम्राज्यवाद हो या ज़िहादी जुनूँ - इनका पोषण और सम्वर्धन इन्हीं के पैसों से हुआ है। अब तो बात बहुत आगे बढ़ चुकी है।
    जाने हल मिलेगा भी कि नहीं?

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  3. झा साहब! आपके लिए यह बेसक रद्दी की टोकरी हो,लेकिन हमें तो यहां बडे काम की चीजें मिल रही हें.रविवार के दिन,दरियागंज के पटरी पर लगने वाले किताबों के कबाडी बाजार में,कभी-कभी बडे काम की चीजें मिल जाती हे.

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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