तो आख़िर कार काफी नहीं , तो कुछ ही दिनों बाद , जूता प्रकरण का दूसरा, मगर भारतीय इतिहास का पहला, अधयाय आज संपन्न हुआ। इसमें कई बातें की समानता रही। मसलन दोनों में ही शिकारी ज अक्षर की नाम राशिः वाले थे, दोनों ही एक ही नस्ल यानि पत्रकार थे और दुःख की बात की दोनों का ही निशाना एक दम गंदा था। तो कुछ भी आगे कहने से पहले पेश है कुछ गंदी सी तुकबंदी :-
आख़िर बता दिया हमने भी,
इक अमेरिका ही अकेला नहीं,
अब भारत का भी,
लोकतंत्र बदलने लगा है॥
मुझे तो यकीन हो चला है,
अब हमें भी देसी ओबमा मिल कर रहेगा,
पत्रकार सम्मेलनों में,
यहाँ भी जूता चलने लगा है॥
ज्योतिषी ग्रह-नक्षत्र देख कर,
सबको यही बतला रहे हैं,
ज नाम राशि, व पत्रकार सम्मलेन से दूर रहे,
अभी कईयों के पाँव खुजला रहे हैं॥
दोनों ही घटनाओं का सार संग्रह ये निकला ,की भारत और अमरीका का लोकतंत्र ही सच्चा लोकतंत्र है। पत्रकार सम्मेलनों में ज नाम के पत्रकारों को नंगे पाँव ही अनुमति देनी चाहिए और सबसे अहम् ये की पूरे विश्व के पत्रकारों का निशाना भी नेताओं के मामले में बिल्कुल ख़राब है,( क्यूंकि उनके निशाने में भी कभी कोई नेता नहीं आता ) । और इसलिए अविलम्ब, इससे पहले की कोई और घटना हो इन पत्रकारों के निशाने की ट्रेनिंग का प्रबंध अभिनव बिंद्रा से करवाने का प्रबंध करना चाहिए.
aapne bilkul sahi farmaya, aap he dekh lo yeh neta kitne kismat vale hote hain, koi inhe nisha banata hain to bhi mar nahi sakta hain, bindra je se mera bhi nivedan hai ke i sarthak karya ko avashya kar desh ke bhali main sahyog dave...lakin please chidambaram ji ko chod do, vo kuch to pak saaf hain...
जवाब देंहटाएंअच्छी पोस्ट लिखी है।बधाई।
जवाब देंहटाएंwaah !!
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