पिछले दों वर्षों के दौरान इस ब्लॉगजगत पर अपने बहुत सारे पल , बहुत सी खुशियाँ, कुछ गम, कुछ उपलब्धियां, कुछ कमियाँ, कुछ दोस्त और बहुत से यादगार लम्हों को जिया है। यूँ तो मैं किसी भी बहस में कभी नहीं पड़ा, मगर स्वाभाविक रूप से और समय के अनुरूप उन विषयों और मुद्दों को जरूर छुआ और अपने लेखन का विषय बने जो सामयिक थे, मसलन इसी जूते वाली घटना को ही लें मुझे लगता है कि देर सवेर हम में से बहुतों ने इस घटना से प्रेरित होकर , या उकता कर या किसी और वजह से लिखा जरूर है। और ऐसा नहीं है कि ये पहली बार हुआ है, बल्कि हम अक्सर उन ज्वलंत मुद्दों को अपनी अपनी पोस्टों में उठाते जरूर रहे हैं । मगर अलग अलग।
सो पता नहीं क्यूँ अचानक मेरे मष्तिष्क में ये विचार कौंध उता कि क्या ये नहीं हो सकता कि हम सब कोई एक विषय या अलग अलग विषयों को उठाएं और उन पर बहस हो, मत विमत हो , चर्चा परिचर्चा का दौर चले , सब अपनी अपनी बात कहें और अपने अंदाज में कहें। हाँ भाषा की मर्यादा बनी रहे इसके लिए बहस के संचालकों को उन पर जो इस बहस जाए लाया पर जगह एक उन्हें रखना होगा . मैं जानता हूँ कि आप में से कुछ लोग कहेंगे कि ऐसा तो पहले से ही मौजूद कई कम्युनिटी ब्लॉग कर रहे हैं, किंतु आप और हम ये अच्छी तरह जानते हैं कि वे कम्युनिटी ब्लोग्स किस तरह की चर्चा कर रहे हैं और उनकी सार्थकता कहाँ तक सिद्ध हो पा रही है. चलिए यदि मान भी लिया जाए कि पहले से ही ऐसा हो रहा है तो भी ये तो हो ही सकता है कि उन्हें एक जगह पर लाया जाए और यदि ये काम ब्लॉग अग्ग्रीगेतार्स ही कर सकें तो क्या अच्छा हो?
एक और आखिरी बात , जब आप इस मंच को बनाने और उसे सामने लाने के लिए तैयार हो जाएँ तो फ़िर एक दिन तय करके पूरे सप्ताह तक उस पर चर्चा और बहस हो , सप्ताहांत में उसकी एक विषद चर्चा करके किसी निष्कर्ष पर पहुंचा जाए, इस पूरी बहस को समाचार पत्रों में प्रकाशित करने की जिम्मेदारी मेरे हिस्से , मुझे यदि पहले से मौजूद ऐसे किस भी मंच में कोई शामिल करना चाहें तो उन्हें भी मेरी गुजारिश है कि आदेश दें। ऐसा हो सकता है कि इस प्रयास से कोई बहुत बड़ी क्रांति न आए , ये भी हो सक्ताहै किंतु ये तो है ही कि इससे आपको एक संतुष्टी मिलेगी और ब्लॉग्गिंग को एक दिशा, तो मार्गदर्शन करें............
अच्छा सोचा आपने निकलेगा परिणाम।
जवाब देंहटाएंशुरु करेंगे जब इसे जोड़ लें मेरा नाम।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
विचार अच्छा है।
जवाब देंहटाएंbaat to sahi hai
जवाब देंहटाएंबेहद उत्तम विचार.....
जवाब देंहटाएंbahut badiya vichar hai aapka jab bhi aap aisa manch banayen mujhe jaroor amantrit karen dhanyvad
जवाब देंहटाएंkhyaal dilchasp hai,mujhe bulana na bhulen
जवाब देंहटाएंaap logon kaa bahut bahut dhanyavaad, yadi aisaa hee hai to main jaldee hee ek blog shuru karne jaa raha hoon naam hoga "BAHAS '. aur ismein ham wahee karenge jo maine upar aagrah kiya hai.....
जवाब देंहटाएंrequest kab aur kaha bhejani hai bata dijiye... aur ho sake to plz membership b de dijiye.. yatha sambhav apka sahyog karuga... nam kuch aur sochiye.. bahas ke nam par kuch log to kewal apni khujlahat mitane aa jayege.. aap mera ishara samajh rahe hoge..
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया और दिलचस्प लगा! लिखते रहिये और हम पड़ने का लुत्फ़ उठाएंगे!
जवाब देंहटाएंआपको मेरे दुसरे ब्लॉग पर स्वागत है -
http://urmi-z-unique.blogspot.com
http://khanamasala.blogspot.com