प्रचार खिडकी

रविवार, 24 फ़रवरी 2008

अग्ग्रेगातोर्स से चंद बातें

पिछले दिनों अचानक देखा की चिट्ठाजगत गायब हो गया। में हैरान- परेशान हुआ की ये क्या। भैया जब चिट्ठाजगत ही नहीं होगा टू हमारे चिट्ठे क्या अन्तरिक्ष जगत में उतरेंगे। मगर शुक्र है की जल्दी ही दोबारा से अपने चिट्ठों का शहर नज़र आ गया । ये सच है की हमारे इन संकलकों के बगैर हमारे चिट्ठे एक ही ट्रेन में चल रहे उन मुसाफिरों की तरह हैं जिनके सफर का माध्यम एक ,मंजिल एक , मगर फिर भी वे एक दूसरे से अनजान हैं।ये तो अग्ग्रेगातोर्स से संबंधित अच्छी बातें हैं अब उनसे कुछ अलग अपने दिल की बातें हो जाएँ।

ये ठीक है की आप लोग अपनी और से कई सारी तब्दीलियाँ कर रहे हैं मगर मुझे लगता है कुछ बातें और होनी चाहिए। मसलन ज्यादा से ज्यादा चिट्ठे एक साथ ज्यादा से ज्यादा समय तक मुखपृष्ठ पर दिखें। हालांकि मौजूदा व्यवस्था अच्छी है मगर इसके साथ ही यदि मुखपृष्ठ पर लगभग पचास छोटे छोटे दिब्बाकार चित्रों या की ब्लॉगर के जो भी निशाँ हैं वो उपलब्ध हों , ताकि ये पता चल सके की इन लोगों ने भी पिछले कुछ समय में पोस्ट लिखी हैं।

साप्ताहिक, पाक्षिक या मासिक ही सही मगर एक लघु समीख्सा प्रस्तुत की जानी चाहिए। इस समीक्षा में बीते दिनों में आए नए ब्लोग्गेर्स और उनके ब्लॉग का संशिप्त परिचय, पिछले दिनों के मुख्य विषय या फिर वे विषय जो या जिनपर सबसे ज्यादा लिखा और पढा गया। आप आग्रीगातोर्स की कोई सूचना या भैविश्य की कोई योजना आदि की जानकारी दी जाए। यदि सबकी इच्छा हो तो कुछ विषय दिए जा सकते हैं जिन पर इच्छुक ब्लॉगर लिख सकें। मेरे ख्याल से जहाँ ये सबको जोड़ कर रखने में सहायक होगा वहीं एक ठोस दिशा भी मिल सकेगी।

सबसे जरूरी बात ये की जब नए ब्लोग्गेर्स आते हैं तो उनकी कई-काई पोस्टों पर कोई तिप्पन्नी नहीं आती इससे उन्हें जरूर ही थोड़ी निराशा होती है। इसलिए अच्छा होगा की अग्ग्रेगातोर्स की तरफ़ से कोई ऐसी व्यवस्था की जाए की नए ब्लोग्गेर्स के ब्लॉग पर स्वचालित टिपप्नियाँ पहुंचे ताकि उनको प्रोत्साहन मिल सके।

एक और बात । इन दिनों देखने में आ रहा है की बहुत से ब्लॉगर जाने अनजाने दूसरों की पोस्टों को अपने ब्लॉग पर दिखा रहे हैं। इसलिए जैसे ही ये सूचना अग्ग्रेगातोर्स को मिले (जाहिर है की ये काम वही ब्लॉगर कर सकतें हैं जिनकी पोस्ट्स चोरी हुई हैं ) तो वे तत्काल ही उन ब्लोग्गेर्स को जो की नक़ल कर रहे हैं एक सख्त हिदायत दें ताकि भविष्य में वे दोबारा ऐसा ना करें।

मुझे नहीं पता की मेरे विचार आपको कैसे लगे , बस दिल चाहा सो आपको बता दिया.

4 टिप्‍पणियां:

  1. aap kisi dusre templete ka use kare. is templete mein logo ko aapka likha hua summruy nahi dikhta hai. blogvani mein to kam se kam nahi dikhta hai. shayad yah wajah ho jiske karan log kam aate hain aapke blog par.

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  2. aur ek baat,apke blog par sirf google bloggerwale blogger hi comments likh sakte hai,wordpress ya kahi aur se annewale nahi.hume bhi apna google blogger id se karna padta hai,to shayad koi comment karna bhi chahe to nahi kar pata shayad.vaise ye to aap hi tay karenge ki kaun comment karen kaun nahi,hum ba yuhi keh diya,is anatha na le.

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  3. aap dono kaa dhanyavaad.
    magar template tak to theek hai use main jald hee badal bhee doonga magar ye id ya google account walee takneeki baatein mujhe nahin aateen, isliye mehek jee aap to kaise bhee mere saath banee rahein badee kripaa hogee.

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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