प्रचार खिडकी

रविवार, 1 जून 2008

भडास की सडास

अक्सर ही कई ऐसे मौकों पर जब मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा होता है न जाने कहाँ से अपने अज़ीज़ मित्र श्री चिटठा सिंह जी ,
कहीं न कहीं जरूर मिल जाते हैं और फ़िर कुछ ऐसी वैसी बात अवश्य ही निकल जाती है है की उसे यहाँ बताना लाजिमी हो जाता है। पिछले दिनों जैसे ही मिले कहने लगे , अमा सुना तुमने इन दिनों तो फ़िर से चिट्ठाजगत पर भडास ही भडास है अरे भडास क्या उसकी सडास ही फ़ैली हुई है , चारों तरफ़ उसकी बू आ रही है।

" क्या कह रहे हो मियां , एक बार फ़िर से, यार मुझे तो लगता है की ये सब इनकी टी आर पी का चक्कर होगा, वैसे भी मैं तो पहले ही इनका पंच लाइन पढ़ कर समझ गया था कि, सब उल्टे लोग हैं, बताओ लिखा है कि उगल दो , क्या उगल दो यार , कुछ भी अगर सलीके से निकालोगे तो ठीक है उग्लोगे तो उबकाई ही तो बाहर निकलेगी। और फ़िर इन्हें एकता कपूर के धारावाहिकों की तरह दुश्मनों को ढूँढने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं पड़ती , सब मजे में एक दूसरे को धकियाने में और गलियाने में लगे रहते हैं। और चिटठा जगत पर हर दूसरी पोस्ट में भडास निकली रहती है। अरे भाई , भडास और गुस्सा निकालने के लिए क्या बाहर कम जगर और गुंजाइश है कि यहाँ भी शुरू हो गए , यार यहाँ तो प्यार बांतों , कुछ अच्छी अच्छी बातें करो कि दिल को सुकून पहुंचे। "

चिटठा सिंग जो अब तक धैर्यपूर्वक सुन रहे थे ( यहाँ मैं बता दूँ कि चिट्ठासिंग उन मासूम लोगों में से एक हैं जो बस तीली जला कर चुपचाप खड़े हो जाते हैं और फ़िर लगी हुई आग की लपटें चुपचाप तापते हैं ) , ने आगे कहा , " अरे भाई , इस बार मामला ज्यादा गंभीर है , सुना है कि किसी भडासी भाई ने बलात्कार की कोशिश की है और उनके ख़िलाफ़ कोई मुकदमा भी दर्ज हुआ है । और बेशर्मी की हद देखो कि जिसका बलात्कार करने की कोशिश की हैवो उनके मित्र की पुत्री थी शायद। "

मैं अवाक और स्तब्ध हो गया, " क्या कह रहे हो , क्या ये सच है , हाँ यार टी आर पी के लिए कोई इस हद तक तो भडास नहीं निकाल सकता । वैसे ये तो ठीक है कि कोई इस चिट्ठाजगत पर चिकनी चुपडी बातें कर रहा है और दुनिया भर की शिक्षा बघाड रहा है इसका मतलब ये तो नहीं कि उसे gundagardee करने , लम्पती करने और सीधे कहूँ तो नीचे गिरने का कोई अधिकार नहीं है , मगर यार ये तो हद से भी हद हो गयी कि सीधा बलात्कार तक पहुँच गए । खैर वो भी क्या करते आजकल सबको पता है कि अपने क़ानून का जो हाल है उसमें तो बलात्कार और हत्या ही दो वे जुर्म बच गए हैं जिनमें अपराधियों का कुछ नहीं बिगड़ता । यार ये तो चिट्ठाजगत के लिए बुरी ख़बर है और जब इसकी चर्चा किसी और माध्यम में होगी तो सोचो इसका क्या असर पडेगा। वैसे इसके बाद क्या हुआ

यार उनकी खूब लानत मलामत हुई, और बहुत से लोगों ने तो उनसे अपने सम्बन्ध तक तोड़ लिए , सच कहूँ तो उनपर सबने जम कर भडास निकाली । अच्छा अब चलता हूँ , चिट्ठाजगत की और भी खबरें लेकर फ़िर मिलूंगा।

चिट्ठासिंग चले गए और मैं अब तक उस भडास की सडास महसूस कर रहा हूँ.

3 टिप्‍पणियां:

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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