जो दिखता है, वो बिकता है, और,
जो बिकता है, वही दिखता है।
दर्द बेचो , या नंगापन,
अच्छी पैकिंग में सब बिकता है॥
मोहब्बत-नफरत, घटना-दुर्घटना,
हत्या-आत्महत्या, व्यापार ,व्याभिचार,
सब खबरें हैं इस मंडी की,
ये गर्म ख़बरों का है बाज़ार ..
नाबालिग़ की अस्मत लुटना, एक्सक्लूसिव है,
आन्तंक-अपराध, रोज़ के आकर्षण,
भूत-प्रेत , नाग-नागिन, डायन-चुडैल,
जाने किसे-किसे, है आमंत्रण॥
पत्रकारिता की ना जाने,
ये कौन सी मजबूरी है,
सब कुछ ख़बर बन ही जाए,
क्या ये बात जरूरी है ?
काश कि हमारा मीडिया ये बात समझ पाता !
जो बिकता है, वही दिखता है।
दर्द बेचो , या नंगापन,
अच्छी पैकिंग में सब बिकता है॥
मोहब्बत-नफरत, घटना-दुर्घटना,
हत्या-आत्महत्या, व्यापार ,व्याभिचार,
सब खबरें हैं इस मंडी की,
ये गर्म ख़बरों का है बाज़ार ..
नाबालिग़ की अस्मत लुटना, एक्सक्लूसिव है,
आन्तंक-अपराध, रोज़ के आकर्षण,
भूत-प्रेत , नाग-नागिन, डायन-चुडैल,
जाने किसे-किसे, है आमंत्रण॥
पत्रकारिता की ना जाने,
ये कौन सी मजबूरी है,
सब कुछ ख़बर बन ही जाए,
क्या ये बात जरूरी है ?
काश कि हमारा मीडिया ये बात समझ पाता !
पत्रकारिता की ना जाने,
जवाब देंहटाएंये कौन सी मजबूरी है,
सब कुछ ख़बर बन ही जाए,
क्या ये बात जरूरी है ?
काश कि हमारा मीडिया ये बात समझ पाता
KARARA JWAAB
बहुत खूब, लाजबाब !
जवाब देंहटाएंमीडिया वाले इतनी जल्दि नहीं समझ पायेंगे अजय भईया ।
जवाब देंहटाएंजो दिखता है, वो बिकता है, और,
जवाब देंहटाएंजो बिकता है, वही दिखता है।
दर्द बेचो , या नंगापन,
अच्छी पैकिंग में सब बिकता है॥
दुखती रग छेड़ दी अजय भाई !
बहुत खुब, अजय भाई।
जवाब देंहटाएंसब पैसे की माया है।
बहुत अच्छी धुलाई की आपने । सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंकाश हमारे मिडिया वाले से समझते, ओर जनता की दुखती रग से ना खेलते
जवाब देंहटाएंपत्रकारिता की ना जाने,
जवाब देंहटाएंये कौन सी मजबूरी है,
सब कुछ ख़बर बन ही जाए,
क्या ये बात जरूरी है ?
saara masla hi yahi hai..