प्रचार खिडकी
बुधवार, 21 अप्रैल 2010
कोई नया मुद्दा दीजिए प्लीज : आज हरिभूमि में प्रकाशित मेरा व्यंग्य
व्यंग्य को बडा करके पढने के लिए उस पर चटका लगाएं औन लाईन पढना चाहते हों तो इस लिंक पर क्लिक करके पढ सकते हैं ।
लेबल:
एक प्रकाशित व्यंग्य,
हरिभूमि
एक आम आदमी ..........जिसकी कोशिश है कि ...इंसान बना जाए
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आम जनता को तो जानो अकिल ही नहीं है..उ का मुद्दा जनायेंगे. आपे विचार करके गढ़ लिजिये न..आप तो मीडिया वाले है ही!!
जवाब देंहटाएंइस देश के मिडिया की सड़ चुकी हालत का एकदम सटीक चित्रण / धन्यवाद ऐसा सोचने के लिए /
जवाब देंहटाएंसही है मुद्दे की तलाश तो की ही जानी चाहिए नहीं तो टीआरपी गिर गई तो ठीकरा किसके सिर पर फोड़ेंगे इससे तो अपना ही सिर फोड़ लेंगे।
जवाब देंहटाएंअन्कल छा गये ब्लोग वाणी पर नेगेटिव और दो - दो
जवाब देंहटाएंकैसे मेनेज करते हो इतने प्यारे लोगो को.
आप लोग कुछ भी कहिए सानिया और शोएब , अपने अपने हिस्से का नापसंद चटका लगा गए हैं । और फ़िर भी लोग कहते हैं सेलिब्रिटी हिंदी ब्लोग नहीं देखते पढते , अब तो मिल गया न सबूत ।
जवाब देंहटाएंअजय जी, स्कैन कॉपी पढ़ा नहीं जा रहा है।
जवाब देंहटाएंअवधिया जी इमेज पर क्लिक करने से अलग विंडों में खुलता है वो बडे आराम से पढा जाता है , आप करके देखिए
जवाब देंहटाएंझा जी, राम-राम
जवाब देंहटाएंहा हा हा! टी आर पी के लिए कुछ भी करेगा,
बधाई-रचना प्रकाशन हेतु
Badhayee.
जवाब देंहटाएंimage click ki lekin clear nahi hai bilkul bhi.
इमेज पर क्लिक करके दोबारा से इमेज पर क्लिक कीजिए और तब तक क्लिक करते रहिए जब तक बिल्कुल ही साफ न पढ़ा जाए। जीत आपकी ही होगी। जुटे रहिए। अजय भैया ऐसे ही तो नहीं कह रहे हैं और हमने भी तो पढ़ा है इसी तरकीबे से।
जवाब देंहटाएंबधाई हो,अल्पना जी सही कह रही है।
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व्यंग्य है .. भूखमरी , शिक्षा , बीमारी और महंगाई मुद्दा नहीं बन सकती .. मुद्दा तो सनसनीखेज होनी चाहिए .. आपको बहुत बधाई !!
जवाब देंहटाएंBAHUT BAHUT BADHAI
जवाब देंहटाएंबहुत सही और सटीक चित्रण...
जवाब देंहटाएंलो कर लो बात भारत जेसे महान देश मै भी मुद्दो की कमी है क्या, आई पी एल, सानिया मिर्जा,ललित जी का टंकी पर चढना,रहूल बाबा का सिर्फ़ चुनाव के दिनो मै ही भारत मै गरीब को खोजना, उन की झोपडी मै सोना...अरे बाबा ओर नही तो मुलायम की सीटी को ही मुद्दा बना लो...
जवाब देंहटाएं@ राज भाटिया जी
जवाब देंहटाएंआपने खूब कही है
मुद्दा तो अविनाश वाचस्पति और उनकी इंडिका कार तथा रतन टाटा वाला भी कम जोरदार नहीं है। अजय जी और अन्य ब्लॉगर बंधु इस पर लिखें तो सही ... वैसे चौराहा पर श्री चंडीदत्त शुक्ल जी ने पोस्ट लगाई है।