भटिंडा ,पंजाब से प्रकाशित दैनिक "पायलट " के इस अंक में स्तंभ
ब्लोग हलचल में माधुरी प्रकरण पर आधारित कुछ पोस्टों की चर्चा ।
चित्र को पढने के लिए उसे चटकाएं और छवि के खुलने पर उसे चटका कर आराम से पढा जा सकता है । उम्मीद है कि आपको प्रयास पसंद आएगा ।
क्लिक करने पर अखबार की कटिंग खुलती नहीं है झा साहब !
जवाब देंहटाएंगोदियाल जी फ़िर आपके यहां ही कोई समस्या आ रही है क्योंकि अन्य सभी पिछली पोस्ट पर भी यही बता चुके हैं कि उन्हें पढने में कोई दिक्कत नहीं आ रही है । आप ब्राऊज़र बदल कर देखें शायद कुछ बात बन सके ।
जवाब देंहटाएंउम्दा प्रस्तुती / सराहनीय प्रयास इसे जारी रखिये जोरशोर से /
जवाब देंहटाएंसराहनीय
जवाब देंहटाएंजारी रखें
कतरन एकदम सही दिख रही है
जवाब देंहटाएंलगता है गोदियाल जी के कम्प्यूटर से मिलना पड़ेगा :-)
Pabla Sahaab, I shall be greatful sir, if you can do something .मैं इन्टरनेट एक्स्प्लोरल के मार्फ़त ब्राउज करता हूँ ! कंप्यूटर भी ठीक-ठाक कैपेसिटी का है , पता नहीं क्यों यह प्रोब्लम आती है आपका प्रिंट मीडिया वाला ब्लॉग भी आसानी से नहीं खुलता मेरे कंप्यूटर में !
जवाब देंहटाएं@ पी.सी.गोदियाल
जवाब देंहटाएंगोदियाल जी मुझे शक ही नहीं विश्वास है कि आप इन्टरनेट एक्स्प्लोरर का संस्करण 6 उपयोग में ला रहे हैं। यही समस्या की जड़ है!
आप क्रोम, ओपेरा, फ़्लॉक, फायरफॉक्स या सफ़ारी में से किसी एक का प्रयोग करें, सब ठीक होगा
अगर नहीं, तो इन्टरनेट एक्स्प्लोरर को ही अपडेट कर लें 7 या 8 में
सराहनीय ....
जवाब देंहटाएंसेकुलर हिन्दू और गद्दार में बस एक तिनके भर का अन्तर रह गया है न जाने कब टूट जाए।
जवाब देंहटाएंपी.सी.गोदियाल जी आप गंगा जल से अपने कम्प्यूटर को नहालाये यह पबित्र हो कर सब कुछ खोलेगा...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी लगी यह कोशिश,ओर रिपोर्ट. धन्यवाद
@बी एस पाबला
जवाब देंहटाएंयह बात आपने एकदम दुरस्त कही पाबला साहब , इस बात पर तो कभी मेरा ध्यान गया ही नहीं ! बहुत बहुत शुक्रिया पाबला साहब !
@भाटिया साहब, बस मुझे दो चार शुभचिंतक और मिल जाए तो मेरी ब्लोगिंग का पूरा ही बेडा गर्क हो जाएगा :)
बढ़िया आलेख!
जवाब देंहटाएंसराहनीय प्रयास ! जारी रहे ज्यादा से ज्यादा अख़बारों में |
जवाब देंहटाएंउपयोगी आलेख।
जवाब देंहटाएं@ Ajay ji-
जवाब देंहटाएं'Raddi ki tokri' kuchh khatakta hai...
'phoolon ki tokri' kaisa rahega?
Owner must respect the blogs he writes and keeps in his tokri.
दिव्या जी @ ज़ील जी ,
जवाब देंहटाएंलगता है कि अब मुझे इस ब्लोग का नाम बदलना ही पडेगा , आप लोगों ने बहुत बार टोक दिया है और अब आपने जो बात कह दी उसने मुझे सोचने पर विवश कर दिया है ।