प्रचार खिडकी

सोमवार, 17 मई 2010

कसाब को फ़ांसी पर, आज के "दैनिक सच कहूं" में प्रकाशित मेरा एक आलेख

आलेख को पढने के लिए उस पर चटकाने पर जो छवि खुले उसे चटका कर आराम से
पढा जा सकता है । दैनिक सच कहूं , सिरसा एवं दिल्ली से प्रकाशित

7 टिप्‍पणियां:

  1. सराहनीय प्रस्तुती ,अच्छा प्रयास है आपका हर क्षेत्र में / हार्दिक शुभकामनायें भगवान आपकी हमेशा मदद करें /

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  2. सुन्दर और विचारणीय आलेख

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  3. सादर वन्दे!
    आपने सही कहा!
    हंसों के आगे जब भारत में
    बगुलों का अभिनन्दन होता
    राष्ट्रभक्त पाता फाँसी
    गद्दारों का वंदन होता
    रत्नेश त्रिपाठी

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  4. कभी नही होगी इसे फ़ांसी, भाई वोट का सवाल है, एक अरब मै दो चार सॊ मर गये तो कया? हां अगर इन का कोई मरता तो देखते, केसे इन की....

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  5. बधाई भैया.. दिल खुश हो जाता है जब अपने बड़े भाई को किसी पत्रकार से बेहतर आलेख लिखते देखता हूँ..

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टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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