आप सोचेंगे कि ये क्या सवाल हुआ .फ़िर तो कोई कहेगा कि क्यों निकलता है सूरज और क्यों होती है रात, क्योंबदलते हैं दिन और महीने। हाँ , हाँ हो सकता है कि आप को ये इसी तरह का एक बेतुका सवाल लगे मगर मैं ये बातयहाँ इसलिए उठा रहा हूँ क्योंकि पिछले कुछ समय से ना सिर्फ़ इस ब्लॉगजगत पर बल्कि विभिन्न माध्यमों मेंऔर बहुत से लोगों , विशेषकर महिलाओं द्वारा , ये सवाल खूब उठाया गया है, बहुत सारे तर्क-वितर्क , आकलन, विश्लेषण, आरोप खासकर पुरुषवादी मानसिकता और समाज पर हर बार उंगली उठाई जाती रही है। और कमोबेश ये कहीं ना कहीं सच तो हैं ही, मगर और भी कुछ बातें हैं जो शायद सामने नहीं आती , या कि उन्हें सामने लाया नहीं जाता।
कल यूं ही किसी ने किसी से पूछ लिया , यार ये बेटियाँ पैदा ही क्यों होती हैं, काफी देर के बहस के बाद कुछ उत्तर ऐसे मिले :-
--बेटियाँ इसलिए पैदा होती हैं, ताकि उसे पैदा करने वाली माँ को उसके पापबोध का एहसास कराया जा सके। उसेबताया जा सके कि ये उसके सभी गुनाहों की या कहें कि ख़ुद औरत के रूप में पैदा होने की सबसे बड़ी सजा है जिसकी कोई माफी नहीं है॥
बेटियाँ इसलिए पैदा होती हैं ताकि बेटों को एहसास दिलाया जा सके कि देखो इनकी तुलना में तुम्हारा महत्व हमेशा ज्यादा रहा है और रहेगा॥
बेटियाँ इसलिए भी पैदा होती हैं ताकि समाज को कोई मिल सके , कोसने के लिए, पीटने के लिए, नोचने के लिए, सहने के लिए...
बेटियाँ , और बेटियों के बाद फ़िर बेटियाँ इसलिए पैदा होती हैं कि , काश किसी बार बेटा पैदा हो जाए .....
उत्तर मिल ही रहे थे कि बीच में किसी ने टोक दिया , क्यों फालतू की मगजमारी कर रहे हो । तुम्हें नहीं पता अब बेटियाँ कहाँ पैदा हो रही हैं, उन्हें तो गर्भ में ही मारा जा रहा है।
दूसरे ने कहा , तुम हर बार ये बात उठाते हो और वही पुराना राग अलापते हो मगर किसी बार ये नहीं कहते कि बेटियोंके जन्म पर सबसे ज्यादा दुःख और अफ़सोस कौन जताता है, माँ, सास , चाची , मामी और ये कन्या भ्रूण हत्या करने वाली डाक्टरनियों के अन्दर क्या किसी पुरूष का दिल और दिमाग लगा रहता है। ये बहस चलती ही जारही है और आगे भी चलती रहेगी। बेटियाँ पैदा होती रहे इसी में इस संसार का अस्तित्व बचा है अन्यथा कहीं कुछ भी नहीं बचेगा.....
बेटियाँ , और बेटियों के बाद फ़िर बेटियाँ इसलिए पैदा होती हैं कि , काश किसी बार बेटा पैदा हो जाए .....
जवाब देंहटाएंयही होता है ।
बेटियाँ पैदा होती रहे इसी में इस संसार का अस्तित्व बचा है अन्यथा कहीं कुछ भी नहीं बचेगा....
जवाब देंहटाएंBetiyaan kyon paida hoti hain??? ye sawal hi apne aapme bahut tedha hai bhaia.. aksar bete paida kiye jate hain.. lekin bete paida karne kee koshish me dhokhe se betiyan paida ho jati hai.. kanya bhroon hatya ke bhayanak sach par likhi gayee ek khoobsoorat rachna hai jaldi hi padhaaunga aapko..
जवाब देंहटाएंJai Hind...
केवल एक बात
जवाब देंहटाएंबेटियाँ पैदा होती रहे इसी में इस संसार का अस्तित्व बचा है अन्यथा कहीं कुछ भी नहीं बचेगा.....
मुझे तो बेटियों से प्यार है और प्यार ही रहेगा।
जवाब देंहटाएंबेटियाँ ही हैं जो दुनिया को थामे हुए हैं।
जवाब देंहटाएंअरे कल की बेटी आज की बहिन आज की मां है, बेटिया इस लिये पेदा होती है कि यह इस दुनिया को नया जीवन दे
जवाब देंहटाएंबेटियाँ पैदा होती रहे इसी में इस संसार का अस्तित्व बचा है अन्यथा कहीं कुछ भी नहीं बचेगा.....
जवाब देंहटाएंसच्ची बात ,सार्थक लेख
बेटियाँ पैदा होती रहे इसी में इस संसार का अस्तित्व बचा है अन्यथा कहीं कुछ भी नहीं बचेगा.....
जवाब देंहटाएंयही सार है!
beti hi to maa ban kar janni banti hai purush ki bhi sirf itni si baat samajh le har koi to sara fasaad na mit jaye.........samajh aa jaye ki janni bina kisi ka koi astitva hi nhi hai.
जवाब देंहटाएंबेटियाँ , और बेटियों के बाद फ़िर बेटियाँ इसलिए पैदा होती हैं कि
जवाब देंहटाएंये दुर्गा है, काली है, जननी है,
इस धरती पर नित नया जीवन देती है
बेटों से थक कर बेटियां साथ देती है
वात्सल्य,करुना....
सच्ची नि:स्वार्थ सेवा......
लेकिन अफ़सोस...समझ अंतिम समय में ही माँ-बाप को आती है....
वाह कृष्ण मुरारी जी ,, आपकी टिप्पणी ने तो मेरी पोस्ट में कही गई बात का वजन ही बहुत बढा दिया है । बहुत बहुत आभार और धन्यवाद आपका
जवाब देंहटाएंअजय कुमार झा
परिवार में सबको, सबसे अधिक प्यार करने वाली सिर्फ बेटी होती है , मगर भिन्न भिन्न कारण बता कर समाज उसके आगे जन्म से ही रोड़े पैदा करता रहता है ! और यह बेचारी पूरे जीवन अपने आँख में आंसू लिए अपने घोंसले के निर्माण में लगी रहती है ! और क्या कहूं .
जवाब देंहटाएंबेटियाँ ही हैं जो दुनिया को थामे हुए हैं।
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