एक प्याली चाय,
अक्सर मेरे,
भोर के सपनों को तोड़,
मेरी अर्धांगिनी,
के स्नेहिल यथार्थ की,
अनुभूति कराती है॥
एक प्याली चाय,
अक्सर,
बचाती है,
मेरा मान, जब,
असमय और अचानक,
आ जाता है,
घर कोई॥
एक प्याली चाय,
अक्सर,
बन जाती है,
बहाना,
हम कुछ ,
दोस्तों के,
मिल बैठ,
गप्पें हांकने का..
एक प्याली चाय,
अक्सर ,
देती है,
साथ मेरा,
रेलगाडी के,
बर्थ पर भी..
एक प्याली चाय,
अक्सर मुझे,
खींच ले जाती है,
राधे की,
छोटी दूकान पर,
जहाँ मिल जाता है,
एक अखबार भी पढने को॥
एक प्याली चाय,
कितना अलग अलग,
स्वाद देती है,
सर्दी में, गरमी में,
और रिमझिम ,
बरसात में भी॥
एक प्याली चाय,
को थामा हुआ,
है मैंने,या की,
उसने ही ,
थाम रखी है,
मेरी जिंदगी,
मैं अक्सर सोचता हूँ ......
अक्सर चाय पीते हुए ये पंक्तियां मेरे मन में कौंधती हैं , पहले भी शायद कही थी ......आज फ़िर चाय पी ...तो फ़िर कहने का मन किया ............और आपका ...??
सचमुच कमाल की होती है ये एक प्याली चाय .. मैं भी चली लेने !!
जवाब देंहटाएंएक प्याली चाय में बड़ी दम है...बेहतरीन रचना!!
जवाब देंहटाएंआपको नव संवत्सर की मांगलिक शुभकामनाएँ.
एक प्याली चाय में बड़ी दम है...बेहतरीन रचना!!
जवाब देंहटाएंbhaiya aaj to mera navratro ka vart hai maine abhi tak chai nahi pi. hai...
जवाब देंहटाएंएक प्याली चाय की महिमा अपरम्पार है ।
जवाब देंहटाएंएक प्याली चाय,
जवाब देंहटाएंकितना अलग अलग,
स्वाद देती है,
सर्दी में, गरमी में,
और रिमझिम ,
बरसात में भी॥
स्वाद लेना ही है तो अलग-अलग हाथों से चाय बनवाईए या कभी खुद बना कर श्रीमती जी को पेश करें. स्वाद अलग आयेगा.
इंसान को ज़िन्दगी मे चाय पीने की आदत ज़रूर डालनी चाहिये ...चाय इंसान को एक अच्छा इंसान बना देती है ।
जवाब देंहटाएंएक प्याली चाय,
जवाब देंहटाएंअक्सर मेरे,
भोर के सपनों को तोड़,
मेरी अर्धांगिनी,
के स्नेहिल यथार्थ की,
अनुभूति कराती है॥
ग़ज़ब की अभिव्यक्ति। बहुत सुंदर!!
एक प्याली चाय बहुत स्वाद लगी, बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंएक चाय की प्याली हो
जवाब देंहटाएंफ़िर मौजा ही मौजा
आपको नव संवत्सर की शुभकामनाएँ.
एक प्याली चाय बहुत स्वाद लगी, बहुत सुंदर.
जवाब देंहटाएंdobara aay hoon chai peene
इंसान को ज़िन्दगी मे चाय पीने की आदत ज़रूर डालनी चाहिये ...चाय इंसान को एक अच्छा इंसान बना देती है ।
जवाब देंहटाएंsehmat hun Sharad ji se
यह सूचना टिप्पणी बटोरने हेतु नही है बस यह जरूरी लगा की आपको ज्ञात हो आपकी किसी पोस्ट का जिक्र यहाँ किया गया है कृपया अवश्य पढ़े आज की ताज़ा रंगों से सजीनई पुरानी हलचल
जवाब देंहटाएंअजय जी ऎसा नही की चाय पर कविता लिखी आपने इसलिये मुझे पसंद आई, सच यह है की यह कविता सिर्फ़ आपकी ही नही हर व्यक्ति विशेष के मन की उपज है। बहुत खूबसूरत भावभीनी कविता हेतु शुभकामनाएं। निरंतर ऎसा ही लिखते रहें और सबके दिलों तक पहुँचते रहिये...
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत शुक्रिया सुनीता जी , कविता को पढने और सराहने के लिए । नई पुरानी हलचल में इसे स्थान देने और इसकी सूचना के लिए भी । आपने सच कहा अब ब्लॉगों की संख्या ज्यादा होने के कारण ये जरूरी हो गया है कि लेखक को सूचित किया जाए । पुन: आभार
जवाब देंहटाएंबहुत सही लिखा है सर! जैसे अपने ही मन की बात कह दी हो।
जवाब देंहटाएंसादर
वाह! क्या बात है,अजय भाई.
जवाब देंहटाएंआपकी एक प्याली चाय के क्या कहने.
सुनीता जी ने तो हलचल ही मचा रखी है
आपकी एक प्याली चाय को लेकर.
क्यूँ न हो ऐसा,उनका भी तो चाय का ही बिजिनस है न.
अब यदि चाय में दूध चाहिये तो
आ जाईयेगा मेरे ब्लॉग पर.
बहुत बहुत आभार और शुभकामनाएँ.
chay ke upar itni sunder kavita......jee khush ho gaya......
जवाब देंहटाएंओह! काफी देर से ब्लॉग पठन चल रहा है... पढ़कर चाय की तलब हो आई... मंगा ही लेता हूँ...
जवाब देंहटाएंबढ़िया रचना....
सादर...