प्रचार खिडकी

सोमवार, 18 जनवरी 2010

हर कोई ब्लॉग सजाने लगा है !!!!

हवाएं बदल रही हैं ,
रुख अपना,या कि,
मौसम का ही
मिज़ाज,गरमाने लगा है॥

जिन्हें कोफ्त होती थी,
हमारे पसीने की बू से,
हमें अब गले लगाते उन्हें,
इत्र का मजा आने लगा है ॥

गुंडों को कब डर था,
सजा पाने, जेल जाने का,
हाँ, चुनाव न लड़ पाने का,
दुःख , उन्हें भी सताने लगा है॥

कहीं भय हो, कहीं जय हो ,
बेशक अलग सबकी लय हो,
झूम के, घूम के, हर कोई,
गीत एक ही गाने लगा है॥

हर कोई दर्दे हाल पूछता है ,
सबको सरोकार है मेरी मुश्किलों से,
जिसने दिए जख्म अब तक,
अब वही उन्हें सहलाने लगा है॥

वो और था ज़माना हमारा,
कि आए , और लिख कर चल दिए,
अब कोई हमसा अनाडी कहाँ हैं,
हर कोई ब्लॉग सजाने लगा है॥

सुना है छापा पडेगा , इनकम टैक्स का,
अपने किसी ब्लॉगर के यहाँ भी,
लगता है ख़बर फ़ैल गयी है कि,
अब हिन्दी ब्लॉगर भी कमाने लगा है।


तो भाई लोगों जो जो मोटा कमा रहे हो, सब तैयार हो जाओ। अपना क्या है अपनी तो रद्दी की टोकरी है जिसमें कभी भी कुछ भी , ये देहाती बाबु कहते रहते है। हाँ छापा पड़े तो बताना जरूर, अजी हमसे कैसी शर्म .

16 टिप्‍पणियां:

  1. ब्लॉग वही जो टिप्पणकर्ता वाले को भाये
    तो कौन न अपने ब्लॉग सजाये

    जवाब देंहटाएं
  2. हमारा सजना भी क्या सजना
    जब आएंगे सजना होगा सजना

    जवाब देंहटाएं
  3. बहुत ज़ोरदार रचना .... अब मुझे भी टेम्प्लेट चेंज करना पड़ेगा....

    जवाब देंहटाएं
  4. सुना है छापा पडेगा , इनकम टैक्स का,
    अपने किसी ब्लॉगर के यहाँ भी,
    लगता है ख़बर फ़ैल गयी है कि,
    अब हिन्दी ब्लॉगर भी कमाने लगा है।


    -हाय!! ऐसा नसीब जागे...:)

    जवाब देंहटाएं
  5. ब्‍लाग को चाहे जितना भी हम सजा ले, लेकिन उसे पढ़ने वाले तो गिने-चुने ही मिलते हैं। कमाई हो ना हो, बस प्रेम मिल जाए शायद हर ब्‍लागर की यही चाहत रहती है।

    जवाब देंहटाएं
  6. har koi darde haal puchchta hai...

    janaab aapki kalam me tej hai.us tej ka asar aapke blog par bhi dikhta hai.aapka chmakta hua blog...

    chmakna har aur chmkana to har koi chahataa hai, koi blog par kah kar khush ho jata hai.khush hone ke is naye raaste se kalam ke naye sipahi bhi apne aap ko logo ke saath baatna chahate hain.

    har koi sirf darde haal puchchta hi nahi batana bhi chahata hai...

    jara sun ke dekhiye jarur maja aayega.

    जवाब देंहटाएं
  7. सुना है छापा पडेगा , इनकम टैक्स का,

    वो दिन आए तो!

    जवाब देंहटाएं
  8. भैया अपने इधर तो अभी ठंड पड रही है .. सो पढकर गरमी का अहसास हुआ ।

    जवाब देंहटाएं
  9. बहुत बढिया रचना!!
    चिट्ठाकारों पर भी कभी तो लक्ष्मी की कृ्पा होगी :)

    जवाब देंहटाएं
  10. सुना है छापा पडेगा , इनकम टैक्स का,
    अपने किसी ब्लॉगर के यहाँ भी,
    लगता है ख़बर फ़ैल गयी है कि,
    अब हिन्दी ब्लॉगर भी कमाने लगा है।

    Meree kamaai to kuch bhee nahee hai :)

    जवाब देंहटाएं
  11. जिन्हें कोफ्त होती थी,
    हमारे पसीने की बू से,
    हमें अब गले लगाते उन्हें,
    इत्र का मजा आने लगा है ॥

    जोरदार रचना बधाई
    krantidut.blogspot.com

    जवाब देंहटाएं
  12. बहुत खूब लिखा आपने. टोकरी मे से निकली हमेशा की तरह एक अच्छी रचना.

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

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