प्रचार खिडकी

बुधवार, 20 जनवरी 2010

चंद पंक्तियां बस और क्या !!!

यूं तो हम,
गर्दिशों की रेत से भी,
इक बुलंद इमारत'
खडी करने का,
माद्दा रखते हैं।

पर क्या करें '
कि मजबूर हैं हम,
लोग उम्मीद तो '
हमसे ,इससे भी '
ज्यादा रखते हैं॥

वो जानते हैं कि ,
मैं तोड़ देता हूँ,
सभी कसमें, और वादे,
फिर भी ,जाने क्यों'
हर बार मुझसे इक,
नया वादा रखते हैं॥

उन्हें शक है ,
मेरी मयकशी का,
इसलिए क्यों ना पीना हो,
पूरा मयखाना भी,
मगर हर बार,
जाम हम ,
अपना आधा रखते हैं..



कुछ उजडा हुआ सा


पेड़ के पत्ते,
से लिपटे,
ओस की बूँद ,
के आरपार,
जो की,
देखने की कोशिश,
इक इन्द्रधनुष,
मिला,
छितरा हुआ सा।


खुद में समा,
जब खुद को ,
टटोला,
अपने को,
तलाशा,
तो पाया,
इक पुलंदा,
बिल्कुल ,
बिखरा हुआ सा॥

बहुत बार ,
सजाया-संवारा,
वो आशियाना,
मगर,
हर बार ,
तुम बिन ,
लगा वो,
घरौंदा,
उजड़ा हुआ सा॥


अतीत की खिडकी

अतीत की,
इक झरोखा ,
जबसे,
अपने अन्दर,
खोला है॥

आँगन के,
हर कोने पे,
टंगा हुआ,
बस,
खुशियों का,
झोला है॥

तोतों के,
झुंड मिले,
तितलियों की,
टोली भी,
बरसों बाद ,
सुन पाया,
मैं कोयल की,
बोली भी॥

आम चढा ,
अमरुद चढा ,
नापे कई,
नदी नाले भी,
बन्दर संग ,
मिला मदारी,
मिल गए ,
जादू वाले भी॥

नानी से फ़िर,
सुनी कहानी,
दादी ने ,
लाड दुलार किया,
गली में मिल गयी,
निम्मो रानी,
जिससे मैंने , प्यार,
पहली बार किया॥

बारिश पडी तो,
नाचे छमछम,
हवा चली और,
उडी पतंग,
मिली दिवाली,
फुलझडियों सी,
इन्द्रधनुष से,
होली के रंग॥

फ़िर इक,
हल्का सा,
झोंका आया,
खुली आँख और,
कुछ नहीं पाया॥

काश , कभी,
वो छोटी खिड़की,
यूं न बंद होने पाती,
ख़ुद खोलता,
मैं उसको,
रोज ये जवानी,
बचपन से ,
जा कर मिल आती॥

अफ़सोस की ये खिड़की सिर्फ़ तभी खुलती है जब मैं गहरी नींद में होता हूँ.



16 टिप्‍पणियां:

  1. अजय जी सबसे पहले वसंत पंचमी कि शुभ कामनाएँ...आज काफी दिनों बाद आपको पढ़ा...आपने तो सम्पूर्ण जीवन उतार दिया है अपनी इस कृति में...बहुत सुंदर प्रभावशाली रचना

    जवाब देंहटाएं
  2. अजय भाई,
    कर रहे हो
    बहुत कविताई
    क्या ये पिछले माह
    गैर हाजिर रहने की कसर है
    या फिर बसंत के मौसम का असर है।

    जवाब देंहटाएं
  3. सुन्दर प्रस्तुति! बसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कामनाएं !

    जवाब देंहटाएं
  4. Aapka naya kavita sangrah kab aa raha hai bhaia... bahut dhoom machaiga ye tay hai...
    Vasant panchmi ki shubhkamnayen..
    Jai Hind...

    जवाब देंहटाएं
  5. चंद पंक्तियों में बहुत सुंदर रचना.....

    जवाब देंहटाएं
  6. आपको वसंत पंचमी की शुभकामनाये...

    एक एक पंक्तियाँ...बस और क्या नहीं जी...बहुत कुछ और क्या कहिये. शानदार प्रस्तुति..बार बार पढ़ना कितने ही अर्थ दे रहा है.

    जवाब देंहटाएं
  7. बहुत सुंदर कविता
    वसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाये

    जवाब देंहटाएं
  8. सभी रचनायें अच्छी लगी बहुत सुन्दर !!!

    जवाब देंहटाएं
  9. मिलने की तुम कोशिश करना,
    वादा कभी न करना,
    वादा तो टूट जाता है...

    जय हिंद...

    जवाब देंहटाएं
  10. वाकई बहुत सुन्दर रचनायें. really great.

    जवाब देंहटाएं
  11. बहुत खूब । आप तो आल राऊऊँडर हैं अब तक ये फन कहाँछुपा रखा था । सभी रचनायें एक से बढ कर एक हैं बधाई आपको

    जवाब देंहटाएं

टोकरी में जो भी होता है...उसे उडेलता रहता हूँ..मगर उसे यहाँ उडेलने के बाद उम्मीद रहती है कि....आपकी अनमोल टिप्पणियों से उसे भर ही लूँगा...मेरी उम्मीद ठीक है न.....

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...