मैं जो करता हूँ,
सब वो,मेरी ,
गलतियां कहलाती हैं।
कोशिशें अक्सर,
मेरी,
नाकामियां बन जाती हैं॥
जब भी थामता हूँ,
हाथ किसी का, उसकी,
दुश्वारियाँ बढ़ जाती हैं॥
जब बांटता हूँ,
दर्द किसी का,
रुस्वाइयां बन जाती हैं॥
मगर मैं फ़िर भी चलता रहता हूँ.
सब वो,मेरी ,
गलतियां कहलाती हैं।
कोशिशें अक्सर,
मेरी,
नाकामियां बन जाती हैं॥
जब भी थामता हूँ,
हाथ किसी का, उसकी,
दुश्वारियाँ बढ़ जाती हैं॥
जब बांटता हूँ,
दर्द किसी का,
रुस्वाइयां बन जाती हैं॥
मगर मैं फ़िर भी चलता रहता हूँ.
यही होना चाहिए अजय भईया , हमें चलते रहना चाहिए ।
जवाब देंहटाएंजीवन चलने का नाम ..
जवाब देंहटाएंचलते रहो सुबहो शाम!
रुक जाना नहीं, तू कहीं हार के,
जवाब देंहटाएंकाटों पे चलके साये मिलेंगे बहार के,
ओ राही, ओ राही,
ओ राही, ओ राही...
जय हिंद...
बस, चलते रहिये..बहुत शुभकामनाएँ.
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी कविता।
जवाब देंहटाएंकोशिशें अक्सर,
जवाब देंहटाएंमेरी,
नाकामियां बन जाती हैं॥
अगर नाकामियाँ न हो तो शायद कोशिशें मर जायेंगी.
बहुत सुन्दर रचना
फिर भी चलते रहना चाहिए .......... अच्छा लिखा है ....
जवाब देंहटाएंajay ji
जवाब देंहटाएंnaye baras ki shubhkamnayen
aapaki raddi ki tokari badi bhari hai.
bilkul apani si peeda lagati hai.
shukriya.